पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नहेमायाह

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नहेमायाह अध्याय 8

1. जब सातवां महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपने अपने नगर में थे। तब उन सब लोगों ने एक मन होकर, जलफाटक के साम्हने के चौक में इकट्ठे होकर, बज्रा शास्त्री से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ। 2. तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहिले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरूष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभों के साम्हने व्यवस्था को ले आया। 3. और वह उसकी बातें भोर से दो पहर तक उस चौक के साम्हने जो जलफाटक के साम्हने था, क्या स्त्री, क्या पुरूष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे। 4. एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिये बना था, ख्ड़ा हो गयां; और उसकी दाहिनी अलंग मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिरयाह, हिल्किरयाह और मासेयाह; और बाई अलंग, पदायाह, मीशाएल, मल्किरयाह, हाशूम, हश्बस्राना,जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए। 5. तब एज्रा ने जो सब लोगों से ऊंचे पर था, सभों के देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उस ने उसको खोला, तब सब लोग उठ खाड़े हुए। 6. तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने अपने हाथ उठाकर आमेन, आमेन, कहा; और सिर झुकाकर अपना अपना माथा भूमि पर टेक कर यहोवा को दणडवत किया। 7. और येशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिरयाह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नाम लेवीय, लोगों को व्यवस्था समझाते गए, और लोग अपने अपने स्थान पर खड़े रहे। 8. और उन्हों ने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया। 9. तब नहेमायाह जो अधिपति था, और एज्रा जो याजक और शास्त्री था, और जो लेवीय लोगों को समझा रहे थे, उन्हों ने सब लोगों से कहा, आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये पवित्रा है; इसलिये विलाप न करो और न रोओ। क्योंकि सब लोग व्यवस्था के वचन सुनकर रोते रहे। 10. फिर उस ने उन से कहा, कि जाकर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास बैना भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्रा है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है। 11. यों लेवियों ने सब लोगों को यह कहकर चुप करा दिया, कि चुप रहो क्योंकि आज का दिन पवित्रा है; और उदास मत रहो। 12. तब सब लोग खाने, पीने, बैना भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उनको समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे। 13. और दूसरे दिन को भी समस्त प्रजा के पितरों के घराने के मुख्य मुख्य पुरूष और याजक और लेवीय लोग, एज्रा शास्त्री के पास व्यवस्था के वचन ध्यान से सुनने के लिये इकट्टे हुए। 14. और उन्हें व्यवस्था में यह लिखा हुआ मिला, कि यहोवा ने मूसा से यह आज्ञा दिलाई थी, कि इस्राएली सातवें महीने के पर्व के समय झोपड़ियों में रहा करें, 15. और अपने सब नगरों और यरूशलेम में यह सुनाया और प्रचार किया जाए, कि पहाड़ पर जाकर जलपाई, तैलवृक्ष, मेंहदी, खजूर और घने घने वृक्षों की डालियां ले आकर झोपड़ियां बनाओे, जैसे कि लिखा है। 16. सो सब लोग बाहर जाकर डालियां ले आए, और अपने अपने घर की छत पर, और अपने आंगनों में, और परमेश्वर के भवन के आंगनों में, और जलफाटक के चौक में, और एप्रैम के फाटक के चौक में, झोंपड़ियां बना लीं। 17. वरन सब मणडली के लोग जितने बन्धुआई से छूटकर लौट आए थे, झोंपड़ियां बना कर उन में टिके। नून के पुत्रा यहोशू के दिनों से लेकर उस दिन तक इस्राएलियों ने ऐसा नहीं किया था। और उस समय बहुत बड़ा आनन्द हुआ। 18. फिर पहीले दिन से पिछले दिन तक एज्रा ने प्रतिदिन परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में से पढ़ पढ़कर सुनाया। यों वे सात दिन तक पर्व को मानते रहे, और साठवें दिन नियम के अनुसार महासभा हुई।
1. जब सातवां महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपने अपने नगर में थे। तब उन सब लोगों ने एक मन होकर, जलफाटक के साम्हने के चौक में इकट्ठे होकर, बज्रा शास्त्री से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ। .::. 2. तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहिले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरूष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभों के साम्हने व्यवस्था को ले आया। .::. 3. और वह उसकी बातें भोर से दो पहर तक उस चौक के साम्हने जो जलफाटक के साम्हने था, क्या स्त्री, क्या पुरूष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे। .::. 4. एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिये बना था, ख्ड़ा हो गयां; और उसकी दाहिनी अलंग मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिरयाह, हिल्किरयाह और मासेयाह; और बाई अलंग, पदायाह, मीशाएल, मल्किरयाह, हाशूम, हश्बस्राना,जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए। .::. 5. तब एज्रा ने जो सब लोगों से ऊंचे पर था, सभों के देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उस ने उसको खोला, तब सब लोग उठ खाड़े हुए। .::. 6. तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने अपने हाथ उठाकर आमेन, आमेन, कहा; और सिर झुकाकर अपना अपना माथा भूमि पर टेक कर यहोवा को दणडवत किया। .::. 7. और येशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिरयाह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नाम लेवीय, लोगों को व्यवस्था समझाते गए, और लोग अपने अपने स्थान पर खड़े रहे। .::. 8. और उन्हों ने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया। .::. 9. तब नहेमायाह जो अधिपति था, और एज्रा जो याजक और शास्त्री था, और जो लेवीय लोगों को समझा रहे थे, उन्हों ने सब लोगों से कहा, आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये पवित्रा है; इसलिये विलाप न करो और न रोओ। क्योंकि सब लोग व्यवस्था के वचन सुनकर रोते रहे। .::. 10. फिर उस ने उन से कहा, कि जाकर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास बैना भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्रा है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है। .::. 11. यों लेवियों ने सब लोगों को यह कहकर चुप करा दिया, कि चुप रहो क्योंकि आज का दिन पवित्रा है; और उदास मत रहो। .::. 12. तब सब लोग खाने, पीने, बैना भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उनको समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे। .::. 13. और दूसरे दिन को भी समस्त प्रजा के पितरों के घराने के मुख्य मुख्य पुरूष और याजक और लेवीय लोग, एज्रा शास्त्री के पास व्यवस्था के वचन ध्यान से सुनने के लिये इकट्टे हुए। .::. 14. और उन्हें व्यवस्था में यह लिखा हुआ मिला, कि यहोवा ने मूसा से यह आज्ञा दिलाई थी, कि इस्राएली सातवें महीने के पर्व के समय झोपड़ियों में रहा करें, .::. 15. और अपने सब नगरों और यरूशलेम में यह सुनाया और प्रचार किया जाए, कि पहाड़ पर जाकर जलपाई, तैलवृक्ष, मेंहदी, खजूर और घने घने वृक्षों की डालियां ले आकर झोपड़ियां बनाओे, जैसे कि लिखा है। .::. 16. सो सब लोग बाहर जाकर डालियां ले आए, और अपने अपने घर की छत पर, और अपने आंगनों में, और परमेश्वर के भवन के आंगनों में, और जलफाटक के चौक में, और एप्रैम के फाटक के चौक में, झोंपड़ियां बना लीं। .::. 17. वरन सब मणडली के लोग जितने बन्धुआई से छूटकर लौट आए थे, झोंपड़ियां बना कर उन में टिके। नून के पुत्रा यहोशू के दिनों से लेकर उस दिन तक इस्राएलियों ने ऐसा नहीं किया था। और उस समय बहुत बड़ा आनन्द हुआ। .::. 18. फिर पहीले दिन से पिछले दिन तक एज्रा ने प्रतिदिन परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में से पढ़ पढ़कर सुनाया। यों वे सात दिन तक पर्व को मानते रहे, और साठवें दिन नियम के अनुसार महासभा हुई। .::.
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