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भजन संहिता total 150 अध्याय
भजन संहिता
भजन संहिता अध्याय 95
भजन संहिता अध्याय 95
1. आओ हम यहोवा के लिये ऊंचे स्वर से गाएं, अपने उद्धार की चट्टान का जयजयकार करें!
2. हम धन्यवाद करते हुए उसके सम्मुख आएं, और भजन गाते हुए उसका जयजयकार करें!
3. क्योंकि यहोवा महान ईश्वर है, और सब देवताओं के ऊपर महान राजा है।
4. पृथ्वी के गहिरे स्थान उसी के हाथ में हैं; और पहाड़ों की चोटियां भी उसी की हैं।
5. समुद्र उसका है, और उसी ने उसको बनाया, और स्थल भी उसी के हाथ का रचा है॥
6. आओ हम झुक कर दण्डवत करें, और अपने कर्ता यहोवा के साम्हने घुटने टेकें!
भजन संहिता अध्याय 95
7. क्योंकि वही हमारा परमेश्वर है, और हम उसकी चराई की प्रजा, और उसके हाथ की भेड़ें हैं॥ भला होता, कि आज तुम उसकी बात सुनते!
8. अपना अपना हृदय ऐसा कठोर मत करो, जैसा मरीबा में, वा मस्सा के दिन जंगल में हुआ था,
9. जब तुम्हारे पुरखाओं ने मुझे परखा, उन्होंने मुझ को जांचा और मेरे काम को भी देखा।
10. चालीस वर्ष तक मैं उस पीढ़ी के लोगों से रूठा रहा, और मैं ने कहा, ये तो भरमाने वाले मन के हैं, और इन्होंने मेरे मार्गों को नहीं पहिचाना।
भजन संहिता अध्याय 95
11. इस कारण मैं ने क्रोध में आकर शपथ खाई कि ये मेरे विश्राम स्थान में कभी प्रवेश न करने पाएंगे॥