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भजन संहिता total 150 अध्याय
भजन संहिता
भजन संहिता अध्याय 51
भजन संहिता अध्याय 51
1 *संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक पद: यह पदउस समय का है जब बतशेबा के साथ दाऊद द्वारा पाप करने के बाद नातान नबी दाऊद के पास गया था। *हे परमेश्वर, अपनी विशाल प्रेमपूर्ण अपनी करूण से मुझ पर दया कर। मेरे सभी पापों को तू मिटा दे।
2 हे परमेश्वर, मेरे अपराध मुझसे दूर कर। मेरे पाप धो डाल, और फिर से तू मुझको स्वच्छ बना दे।
भजन संहिता अध्याय 51
3 मैं जानता हूँ, जो पाप मैंने किया है। मैं अपने पापों को सदा अपने सामने देखता हूँ।
4 है परमेश्वर, मैंने वही काम किये जिनको तूने बुरा कहा। तू वही है, जिसके विरूद्ध मैंने पाप किये। मैं स्वीकार करता हूँ इन बातों को, ताकि लोग जान जाये कि मैं पापी हूँ और तू न्यायपूर्ण है, तथा तेरे निर्णय निष्पक्ष होते हैं।
भजन संहिता अध्याय 51
5 मैं पाप से जन्मा, मेरी माता ने मुझको पाप से गर्भ में धारण किया।
6 हे परमेश्वर, तू चाहता है, हम विश्वासी बनें। और मैं निर्भय हो जाऊँ। इसलिए तू मुझको सच्चे विवेक से रहस्यों की शिक्षा दे।
7 तू मुझे विधि विधान के साथ, जूफा के पौधे का प्रयोग कर के पवित्र कर। तब तक मुझे तू धो, जब तक मैं हिम से अधिक उज्जवल न हो जाऊँ।
भजन संहिता अध्याय 51
8 मुझे प्रसन्न बना दे। बता दे मुझे कि कैसे प्रसन्न बनूँ मेरी वे हडिडयाँ जो तूने तोड़ी, फिर आनन्द से भर जायें।
9 मेरे पापों को मत देख। उन सबको धो डाल।
10 परमेश्वर, तू मेरा मन पवित्र कर दे। मेरी आत्मा को फिर सुदृढ कर दे।
भजन संहिता अध्याय 51
11 अपनी पवित्र आत्मा को मुझसे मत दूर हटा, और मुझसे मत छीन।
12 वह उल्लास जो तुझसे आता है, मुझमें भर जायें। मेरा चित अडिग और तत्पर कर सुरक्षित होने को और तेरा आदेश मानने को।
13 मैं पापियों को तेरी जीवन विधि सिखाऊँगा, जिससे वे लौट कर तेरे पास आयेंगे।
भजन संहिता अध्याय 51
14 हे परमेश्वर, तू मुझे हत्या का दोषी कभी मत बनने दें। मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता, मुझे गाने दे कि तू कितना उत्तम है
15 हे मेरे स्वामी, मुझे मेरा मुँह खोलने दे कि मैं तेरे प्रसंसा का गीत गाऊँ।
16 जो बलियाँ तुझे नहीं भाती सो मुझे चढ़ानी नहीं है। वे बलियाँ तुझे वाँछित तक नहीं हैं।
भजन संहिता अध्याय 51
17 हे परमेश्वर, मेरी टूटी आत्मा ही तेरे लिए मेरी बलि हैं। हे परमेश्वर, तू एक कुचले और टूटे हृदय से कभी मुख नहीं मोड़ेगा।
18 हे परमेश्वर, सिय्योन के प्रति दयालु होकर, उत्तम बन। तू यरूशलेम के नगर के परकोटे का निर्माण कर।
19 तू उत्तम बलियों का और सम्पूर्ण होमबलियों का आनन्द लेगा। लोग फिर से तेरी वेदी पर बैलों की बलियाँ चढ़ायेंगे।