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भजन संहिता total 150 अध्याय

भजन संहिता

भजन संहिता अध्याय 65
भजन संहिता अध्याय 65

1 हे सिय्योन के परमेश्वर, मैं तेरी स्तुती करता हूँ। मैंने जो मन्नत मानी, तुझपर चढ़ाता हूँ।

2 मैं तेरे उन कामों का बखान करता हूँ, जो तूने किये हैं। हमारी प्रार्थनायें तू सुनता रहता हैं। तू हर किसी व्यक्ति की प्रार्थनायें सुनता है, जो तेरी शरण में आता है।

भजन संहिता अध्याय 65

3 जब हमारे पाप हम पर भारी पड़ते हैं, हमसे सहन नहीं हो पाते, तो तू हमारे उन पापों को हर कर ले जाता है।

4 हे परमेश्वर, तूने अपने भक्त चुने हैं। तूने हमको चुना है कि हम तेरे मन्दिर में आयें और तेरी उपासना करें। हम तेरे मन्दिर में बहुत प्रसन्न हैं। सभी अद्भुत वस्तुएं हमारे पास है।

भजन संहिता अध्याय 65

5 हे परमेश्वर, तू हमारी रक्षा करता है। सज्जन तेरी प्रार्थना करते, और तू उनकी विनतियों का उत्तर देता है। उनके लिए तू अचरज भरे काम करता है। सारे संसार के लोग तेरे भरोसे हैं।

6 परमेश्वर ने अपनी महाशक्ति का प्रयोग किया और पर्वत रच डाले। उसकी शक्ति हम अपने चारों तरफ देखते हैं।

भजन संहिता अध्याय 65

7 परमेश्वर ने उफनते हुए सागर शांत किया। परमेश्वर ने जगत के सभी असंख्य लोगों को बनाया है।

8 जिन अद्भुत बातों को परमेश्वर करता है, उनसे धरती का हर व्यक्ति डरता है। परमेश्वर तू ही हर कहीं सूर्य को उगाता और छिपाता है। लोग तेरा गुणगान करते हैं।

9 पृथ्वी की सारी रखवाली तू करता है। तू ही इसे सींचता और तू ही इससे बहुत सारी वस्तुएं उपजाता है। हे परमेश्वर, नदियों को पानी से तू ही भरता है। तू ही फसलों की बढ़वार करता है। तू यह इस विधि से करता है।

भजन संहिता अध्याय 65

10 जुते हुए खेतों पर वर्षा कराता है। तू खेतों को जल से सराबोर कर देता, और धरती को वर्षा से नरम बनाता है, और तू फिर पौधों की बढ़वार करता है।

11 तू नये साल का आरम्भ उत्तम फसलों से करता है। तू भरपूर फसलों से गाड़ियाँ भर देता है।

भजन संहिता अध्याय 65

12 वन औक पर्वत दूब घास से ढक जाते हैं।

13 भेड़ों से चरागाहें भर गयी। उसलों से घाटियाँ भरपूर हो रही हैं। हर कोई गा रहा और आनन्द में ऊँचा पुकार रहा है।