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नीतिवचन total 31 अध्याय

नीतिवचन

नीतिवचन अध्याय 12
नीतिवचन अध्याय 12

1 जो शिक्षा पाने में प्रीति रखता है वह ज्ञान से प्रीति रखता है, परन्तु जो डांट से बैर रखता, वह पशु सरीखा है।

2 भले मनुष्य से तो यहोवा प्रसन्न होता है, परन्तु बुरी युक्ति करने वाले को वह दोषी ठहराता है।

3 कोई मनुष्य दुष्टता के कारण स्थिर नहीं होता, परन्तु धर्मियों की जड़ उखड़ने की नहीं।

4 भली स्त्री अपने पति का मुकुट है, परन्तु जो लज्जा के काम करती वह मानो उसकी हड्डियों के सड़ने का कारण होती है।

नीतिवचन अध्याय 12

5 धर्मियों की कल्पनाएं न्याय ही की होती हैं, परन्तु दुष्टों की युक्तियां छल की हैं।

6 दुष्टों की बातचीत हत्या करने के लिये घात लगाने के विषय में होती है, परन्तु सीधे लोग अपने मुंह की बात के द्वारा छुड़ाने वाले होते हैं।

7 जब दुष्ट लोग उलटे जाते हैं तब वे रहते ही नहीं, परन्तु धर्मियों का घर स्थिर रहता है।

8 मनुष्य कि बुद्धि के अनुसार उसकी प्रशंसा होती है, परन्तु कुटिल तुच्छ जाना जाता है।

नीतिवचन अध्याय 12

9 जो रोटी की आस लगाए रहता है, और बड़ाई मारता है, उस से दास रखने वाला तुच्छ मनुष्य भी उत्तम है।

10 धर्मी अपने पशु के भी प्राण की सुधि रखता है, परन्तु दुष्टों की दया भी निर्दयता है।

11 जो अपनी भूमि को जोतता, वह पेट भर खाता है, परन्तु जो निकम्मों की संगति करता, वह निर्बुद्धि ठहरता है।

12 दुष्ट जन बुरे लोगों के जाल की अभिलाषा करते हैं, परन्तु धर्मियों की जड़ हरी भरी रहती है।

नीतिवचन अध्याय 12

13 बुरा मनुष्य अपने दुर्वचनों के कारण फन्दे में फंसता है, परन्तु धर्मी संकट से निकास पाता है।

14 सज्जन अपने वचनों के फल के द्वारा भलाई से तृप्त होता है, और जैसी जिसकी करनी वैसी उसकी भरनी होती है।

15 मूढ़ को अपनी ही चाल सीधी जान पड़ती है, परन्तु जो सम्मति मानता, वह बुद्धिमान है।

16 मूढ़ की रिस उसी दिन प्रगट हो जाती है, परन्तु चतुर अपमान को छिपा रखता है।

नीतिवचन अध्याय 12

17 जो सच बोलता है, वह धर्म प्रगट करता है, परन्तु जो झूठी साक्षी देता, वह छल प्रगट करता है।

18 ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोच विचार का बोलना तलवार की नाईं चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।

19 सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है।

20 बुरी युक्ति करने वालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करने वालों को आनन्द होता है।

नीतिवचन अध्याय 12

21 धर्मी को हानि नहीं होती है, परन्तु दुष्ट लोग सारी विपत्ति में डूब जाते हैं।

22 झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।

23 चतुर मनुष्य ज्ञान को प्रगट नहीं करता है, परन्तु मूढ़ अपने मन की मूढ़ता ऊंचे शब्द से प्रचार करता है।

24 कामकाजी लोग प्रभुता करते हैं, परन्तु आलसी बेगारी में पकड़े जाते हैं।

नीतिवचन अध्याय 12

25 उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है।

26 धर्मी अपने पड़ोसी की अगुवाई करता है, परन्तु दुष्ट लोग अपनी ही चाल के कारण भटक जाते हैं।

27 आलसी अहेर का पीछा नहीं करता, परन्तु कामकाजी को अनमोल वस्तु मिलती है।

28 धर्म की बाट में जीवन मिलता है, और उसके पथ में मृत्यु का पता भी नहीं॥