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नीतिवचन total 31 अध्याय
नीतिवचन
नीतिवचन अध्याय 13
नीतिवचन अध्याय 13
1 बुद्धिमान पुत्रा पिता की शिक्षा सुनता है, परन्तु ठट्ठा करने वाला घुड़की को भी नहीं सुनता।
2 सज्जन अपनी बातों के कारण उत्तम वस्तु खाने पाता है, परन्तु विश्वासघाती लोगों का पेट उपद्रव से भरता है।
3 जो अपने मुंह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो गाल बजाता है उसका विनाश जो जाता है।
4 आलसी का प्राण लालसा तो करता है, और उस को कुछ नहीं मिलता, परन्तु कामकाजी हृष्ट पुष्ट हो जाते हैं।
नीतिवचन अध्याय 13
5 धर्मी झूठे वचन से बैर रखता है, परन्तु दुष्ट लज्जा का कारण और लज्जित हो जाता है।
6 धर्म खरी चाल चलने वाले की रक्षा करता है, परन्तु पापी अपनी दुष्टता के कारण उलट जाता है।
7 कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है।
8 प्राण की छुड़ौती मनुष्य का धन है, परन्तु निर्धन घुड़की को सुनता भी नहीं।
नीतिवचन अध्याय 13
9 धर्मियों की ज्योति आनन्द के साथ रहती है, परन्तु दुष्टों का दिया बुझ जाता है।
10 झगड़े रगड़े केवल अंहकार ही से होते हैं, परन्तु जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है।
11 निर्धन के पास माल नहीं रहता, परन्तु जो अपने परिश्रम से बटोरता, उसकी बढ़ती होती है।
12 जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है।
नीतिवचन अध्याय 13
13 जो वचन को तुच्छ जानता, वह नाश हो जाता है, परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है।
14 बुद्धिमान की शिक्षा जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फन्दों से बच सकते हैं।
15 सुबुद्धि के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु विश्वासघातियों का मार्ग कड़ा होता है।
16 सब चतुर तो ज्ञान से काम करते हैं, परन्तु मूर्ख अपनी मूढ़ता फैलाता है।
नीतिवचन अध्याय 13
17 दुष्ट दूत बुराई में फंसता है, परन्तु विश्वासयोग्य दूत से कुशल क्षेम होता है।
18 जो शिक्षा को सुनी- अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डांट को मानता, उसकी महिमा होती है।
19 लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है।
20 बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।
नीतिवचन अध्याय 13
21 बुराई पापियों के पीछे पड़ती है, परन्तु धर्मियों को अच्छा फल मिलता है।
22 भला मनुष्य अपने नाती- पोतों के लिये भाग छोड़ जाता है, परन्तु पापी की सम्पत्ति धर्मी के लिये रखी जाती है।
23 निर्बल लोगों को खेती बारी से बहुत भोजनवस्तु मिलती है, परन्तु ऐसे लोग भी हैं जो अन्याय के कारण मिट जाते हैं।
24 जो बेटे पर छड़ी नहीं चलाता वह उसका बैरी है, परन्तु जो उस से प्रेम रखता, वह यत्न से उस को शिक्षा देता है।
नीतिवचन अध्याय 13
25 धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं॥