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नीतिवचन total 31 अध्याय
नीतिवचन
नीतिवचन अध्याय 29
नीतिवचन अध्याय 29
1 जो बार बार डांटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नाश हो जाएगा और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा।
2 जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाय हाय करती है।
3 जो पुरूष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है, परन्तु वेश्याओं की संगति करने वाला धन को उड़ा देता है।
नीतिवचन अध्याय 29
4 राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उस को उलट देता है।
5 जो पुरूष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है।
6 बुरे मनुष्य का अपराध फन्दा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जय जयकार करता है।
7 धर्मी पुरूष कंगालों के मुकद्दमे में मन लगाता है; परन्तु दुष्ट जन उसे जानने की समझ नहीं रखता।
नीतिवचन अध्याय 29
8 ठट्ठा करने वाले लोग नगर को फूंक देते हैं, परन्तु बुद्धिमान लोग क्रोध को ठण्डा करते हैं।
9 जब बुद्धिमान मूढ़ के साथ वाद विवाद करता है, तब वह मूढ़ क्रोधित होता और ठट्ठा करता है, और वहां शान्ति नहीं रहती।
10 हत्यारे लोग खरे पुरूष से बैर रखते हैं, और सीधे लोगों के प्राण की खोज करते हैं।
11 मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है।
नीतिवचन अध्याय 29
12 जब हाकिम झूठी बात की ओर कान लगाता है, तब उसके सब सेवक दुष्ट हो जाते हैं।
13 निर्धन और अन्धेर करने वाला पुरूष एक समान है; और यहोवा दोनों की आंखों में ज्योति देता है।
14 जो राजा कंगालों का न्याय सच्चाई से चुकाता है, उसकी गद्दी सदैव स्थिर रहती है।
15 छड़ी और डांट से बुद्धि प्राप्त होती है, परन्तु जो लड़का यों ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है।
नीतिवचन अध्याय 29
16 दुष्टों के बढ़ने से अपराध भी बढ़ता है; परन्तु अन्त में धर्मी लोग उनका गिरना देख लेते हैं।
17 अपने बेटे की ताड़ना कर, तब उस से तुझे चैन मिलेगा; और तेरा मन सुखी हो जाएगा।
18 जहां दर्शन की बात नहीं होती, वहां लोग निरंकुश हो जाते हैं, और जो व्यवस्था को मानता है वह धन्य होता है।
19 दास बातों ही के द्वारा सुधारा नहीं जाता, क्योंकि वह समझ कर भी नहीं मानता।
नीतिवचन अध्याय 29
20 क्या तू बातें करने में उतावली करने वाले मनुष्य को देखता है? उस से अधिक तो मूर्ख ही से आशा है।
21 जो अपने दास को उस के लड़कपन से सुकुमारपन में पालता है, वह दास अन्त में उसका बेटा बन बैठता है।
22 क्रोध करने वाला मनुष्य झगड़ा मचाता है और अत्यन्त क्रोध करने वाला अपराधी होता है।
23 मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, परन्तु नम्र आत्मा वाला महिमा का अधिकारी होता है।
नीतिवचन अध्याय 29
24 जो चोर की संगति करता है वह अपने प्राण का बैरी होता है; शपथ खाने पर भी वह बात को प्रगट नहीं करता।
25 मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।
26 हाकिम से भेंट करना बहुत लोग चाहते हैं, परन्तु मनुष्य का न्याय यहोवा की करता है।
27 धर्मी लोग कुटिल मनुष्य से घृणा करते हैं और दुष्ट जन भी सीधी चाल चलने वाले से घृणा करता है॥