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भजन संहिता total 150 अध्याय

भजन संहिता

भजन संहिता अध्याय 107
भजन संहिता अध्याय 107

1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है!

2 यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने द्रोही के हाथ से दाम दे कर छुड़ा लिया है,

3 और उन्हें देश देश से पूरब- पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है॥

4 वे जंगल में मरूभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया;

भजन संहिता अध्याय 107

5 भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए।

6 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उसने उन को सकेती से छुड़ाया;

7 और उन को ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुंचे।

8 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

भजन संहिता अध्याय 107

9 क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है॥

10 जो अन्धियारे और मृत्यु की छाया में बैठे, और दु:ख में पड़े और बेड़ियों से जकड़े हुए थे,

11 इसलिये कि वे ईश्वर के वचनों के विरुद्ध चले, और परमप्रधान की सम्मति को तुच्छ जाना।

12 तब उसने उन को कष्ट के द्वारा दबाया; वे ठोकर खाकर गिर पड़े, और उन को कोई सहायक न मिला।

भजन संहिता अध्याय 107

13 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उस ने सकेती से उनका उद्धार किया;

14 उसने उन को अन्धियारे और मृत्यु की छाया में से निकाल लिया; और उन के बन्धनों को तोड़ डाला।

15 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

16 क्योंकि उसने पीतल के फाटकों को तोड़ा, और लोहे के बेण्डों को टुकड़े टुकड़े किया॥

भजन संहिता अध्याय 107

17 मूढ़ अपनी कुचाल, और अधर्म के कामों के कारण अति दु:खित होते हैं।

18 उनका जी सब भांति के भोजन से मिचलाता है, और वे मृत्यु के फाटक तक पहुंचते हैं।

19 तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और व सकेती से उनका उद्धार करता है;

20 वह अपने वचन के द्वारा उन को चंगा करता और जिस गड़हे में वे पड़े हैं, उससे निकालता है।

भजन संहिता अध्याय 107

21 लोग यहोवा की करूणा के कारण और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

22 और वे धन्यवाद बलि चढ़ाएं, और जयजयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें॥

23 जो लोग जहाजों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर होकर व्यापार करते हैं;

24 वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहिरे समुद्र में करता है, देखते हैं।

भजन संहिता अध्याय 107

25 क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठकर तरंगों को उठाती है।

26 वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता;

27 वे चक्कर खाते, और मत वाले की नाईं लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है।

28 तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उन को सकेती से निकालता है।

भजन संहिता अध्याय 107

29 वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।

30 तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उन को मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है।

31 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें।

32 और सभा में उसको सराहें, और पुरनियों के बैठक में उसकी स्तुति करें॥

भजन संहिता अध्याय 107

33 वह नदियों को जंगल बना डालता है, और जल के सोतों को सूखी भूमि कर देता है।

34 वह फलवन्त भूमि को नोनी करता है, यह वहां के रहने वालों की दुष्टता के कारण होता है।

35 वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है।

36 और वहां वह भूखों को बसाता है, कि वे बसने के लिये नगर तैयार करें;

37 और खेती करें, और दाख की बारियां लगाएं, और भांति भांति के फल उपजा लें।

भजन संहिता अध्याय 107

38 और वह उन को ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं, और उनके पशुओं को भी वह घटने नहीं देता॥

39 फिर अन्धेर, विपत्ति और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हैं।

40 और वह हाकिमों को अपमान से लाद कर मार्ग रहित जंगल में भटकाता है;

41 वह दरिद्रों को दु:ख से छुड़ा कर ऊंचे पर रखता है, और उन को भेड़ों के झुंड सा परिवार देता है।

भजन संहिता अध्याय 107

42 सीधे लोग देख कर आनन्दित होते हैं; और सब कुटिल लोग अपने मुंह बन्द करते हैं।

43 जो कोई बुद्धिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करूणा के कामों पर ध्यान करेगा॥