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भजन संहिता total 150 अध्याय

भजन संहिता

भजन संहिता अध्याय 129
भजन संहिता अध्याय 129

1 इस्राएल अब यह कहे, कि मेरे बचपन से लोग मुझे बार बार क्लेश देते आए हैं,

2 मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार क्लेश देते तो आए हैं, परन्तु मुझ पर प्रबल नहीं हुए।

3 हलवाहों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया, और लम्बी लम्बी रेखाएं कीं।

4 यहोवा धर्मी है; उसने दुष्टों के फन्दों को काट डाला है।

5 जितने सिय्योन से बैर रखते हैं, उन सभों की आशा टूटे, ओर उन को पीछे हटना पड़े!

भजन संहिता अध्याय 129

6 वे छत पर की घास के समान हों, जो बढ़ने से पहिले सूख जाती है;

7 जिस से कोई लवैया अपनी मुट्ठी नहीं भरता, न पूलियों का कोई बान्धने वाला अपनी अंकवार भर पाता है,

8 और न आने जाने वाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!