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श्रेष्ठगीत total 8 अध्याय

श्रेष्ठगीत

श्रेष्ठगीत अध्याय 5
श्रेष्ठगीत अध्याय 5

1 हे मेरी बहिन, हे मेरी दुल्हिन, मैं अपनी बारी में आया हूं, मैं ने अपना गन्धरस और बलसान चुन लिया; मैं ने मधु समेत छत्ता खा लिया, मैं ने दूध और दाखमधु भी लिया॥ हे मित्रों, तुम भी खाओ, हे प्यारों, पियो, मनमाना पियो!

2 मैं सोती थी, परन्तु मेरा मन जागता था। सुन! मेरा प्रेमी खटखटाता है, और कहता है, हे मेरी बहिन, हे मेरी प्रिय, हे मेरी कबूतरी, हे मेरी निर्मल, मेरे लिये द्वार खोल; क्योंकि मेरा सिर ओस से भरा है, और मेरी लटें रात में गिरी हुई बून्दोंसे भीगी हैं।

श्रेष्ठगीत अध्याय 5

3 मैं अपना वस्त्र उतार चुकी थी मैं उसे फिर कैसे पहिनूं? मैं तो अपने पांव धो चुकी थी अब उन को कैसे मैला करूं?

4 मेरे प्रेमी ने अपना हाथ किवाड़ के छेद से भीतर डाल दिया, तब मेरा हृदय उसके लिये उभर उठा।

5 मैं अपने प्रेमी के लिये द्वार खोलने को उठी, और मेरे हाथों से गन्धरस टपका, और मेरी अंगुलियों पर से टपकता हुआ गन्धरस बेण्डे की मूठों पर पड़ा।

श्रेष्ठगीत अध्याय 5

6 मैं ने अपने प्रेमी के लिये द्वार तो खोला परन्तु मेरा प्रेमी मुड़कर चला गया था। जब वह बोल रहा था, तब मेरा प्राण घबरा गया था मैं ने उसको ढूंढ़ा, परन्तु न पाया; मैं ने उसको पुकारा, परन्तु उसने कुछ उत्तर न दिया।

7 पहरे वाले जो नगर में घूमते थे, मुझे मिले, उन्होंने मुझे मारा और घायल किया; शहरपनाह के पहरूओं ने मेरी चद्दर मुझ से छीन ली।

8 हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम को शपथ धराकर कहती हूं, यदि मेरा प्रेमी तुम को मिल जाए, तो उस से कह देना कि में प्रेम में रोगी हूं।

श्रेष्ठगीत अध्याय 5

9 हे स्त्रियों में परम सुन्दरी तेरा प्रेमी और प्रेमियों से किस बात में उत्तम है? तू क्यों हम को ऐसी शपथ धराती है?

10 मेरा प्रेमी गोरा और लाल सा है, वह दस हजार में उत्तम है।

11 उसका सिर चोखा कुन्दन है; उसकी लटकती हुई लटें कौवों की नाईं काली हैं।

12 उसकी आंखें उन कबूतरों के समान हैं जो दुध में नहा कर नदी के किनारे अपने झुण्ड में एक कतार से बैठे हुए हों।

श्रेष्ठगीत अध्याय 5

13 उसके गाल फूलों की फुलवारी और बलसान की उभरी हुई क्यारियां हैं। उसके होंठ सोसन फूल हैं जिन से पिघला हुआ गन्धरस टपकता है॥

14 उसके हाथ फीरोजा जड़े हुए सोने के किवाड़ हैं। उसका शरीर नीलम के फूलों से जड़े हुए हाथीदांत का काम है।

15 उसके पांव कुन्दन पर बैठाये हुए संगमर्मर के खम्भे हैं। वह देखने में लबानोन और सुन्दरता में देवदार के वृक्षों के समान मनोहर है।

श्रेष्ठगीत अध्याय 5

16 उसकी वाणी अति मधुर है, हां वह परम सुन्दर है। हे यरूशलेम की पुत्रियो, यही मेरा प्रेमी और यही मेरा मित्र है॥