Hindi बाइबिल

व्यवस्थाविवरण total 34 अध्याय

व्यवस्थाविवरण

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14
व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

अनुचित शोक 1 “तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के पुत्र हो; इसलिए मरे हुओं के कारण न तो अपना शरीर चीरना, और न भौहों के बाल मुँडाना*। (रोमियों. 9:4)

2 क्योंकि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये एक पवित्र प्रजा है, और यहोवा ने तुझको पृथ्वी भर के समस्त देशों के लोगों में से अपनी निज सम्पत्ति होने के लिये चुन लिया है। (तीतुस. 2:14, 1 पतरस. 2:9)

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

शुद्ध और अशुद्ध पशु 3 “तू कोई घिनौनी वस्तु न खाना।

4 जो पशु तुम खा सकते हो वे ये हैं, अर्थात् गाय-बैल, भेड़-बकरी,

5 हिरन, चिकारा, मृग, जंगली बकरी, साबर, नीलगाय, और बनैली भेड़।

6 अतः पशुओं में से जितने पशु चिरे या फटे खुरवाले और पागुर करनेवाले होते हैं उनका माँस तुम खा सकते हो।

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

7 परन्तु पागुर करनेवाले या चिरे खुरवालों में से इन पशुओं को, अर्थात् ऊँट, खरगोश, और शापान को न खाना, क्योंकि ये पागुर तो करते हैं परन्तु चिरे खुर के नहीं होते, इस कारण वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।

8 फिर सूअर, जो चिरे खुर का तो होता है परन्तु पागुर नहीं करता, इस कारण वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है। तुम न तो इनका माँस खाना, और न इनकी लोथ छूना।

9 “फिर जितने जलजन्तु हैं उनमें से तुम इन्हें खा सकते हो, अर्थात् जितनों के पंख और छिलके होते हैं।

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

10 परन्तु जितने बिना पंख और छिलके के होते हैं उन्हें तुम न खाना; क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।

11 “सब शुद्ध पक्षियों का माँस तो तुम खा सकते हो।

12 परन्तु इनका माँस न खाना, अर्थात् उकाब, हड़फोड़, कुरर;

13 गरूड़, चील और भाँति-भाँति के शाही;

14 और भाँति-भाँति के सब काग;

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

15 शुतुर्मुर्ग, तहमास, जलकुक्कट, और भाँति-भाँति के बाज;

16 छोटा और बड़ा दोनों जाति का उल्लू, और घुग्घू;

17 धनेश, गिद्ध, हाड़गील;

18 सारस, भाँति-भाँति के बगुले, हुदहुद, और चमगादड़।

19 और जितने रेंगनेवाले जन्तु हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; वे खाए न जाएँ।

20 परन्तु सब शुद्ध पंखवालों का माँस तुम खा सकते हो।

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

21 “जो अपनी मृत्यु से मर जाए उसे तुम न खाना*; उसे अपने फाटकों के भीतर किसी परदेशी को खाने के लिये दे सकते हो, या किसी पराए के हाथ बेच सकते हो; परन्तु तू तो अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये पवित्र प्रजा है। बकरी का बच्चा उसकी माता के दूध में न पकाना।

दशमांश का नियम 22 “बीज की सारी उपज में से जो प्रति वर्ष खेत में उपजे उसका दशमांश अवश्य अलग करके रखना।

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

23 और जिस स्थान को तेरा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम का निवास ठहराने के लिये चुन ले उसमें अपने अन्न, और नये दाखमधु, और टटके तेल का दशमांश, और अपने गाय-बैलों और भेड़-बकरियों के पहलौठे अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खाया करना; जिससे तुम उसका भय नित्य मानना सीखोगे।

24 परन्तु यदि वह स्थान जिसको तेरा परमेश्‍वर यहोवा अपना नाम बनाएँ रखने के लिये चुन लेगा बहुत दूर हो, और इस कारण वहाँ की यात्रा तेरे लिये इतनी लम्बी हो कि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा की आशीष से मिली हुई वस्तुएँ वहाँ न ले जा सके,

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

25 तो उसे बेचकर, रुपये को बाँध, हाथ में लिये हुए उस स्थान पर जाना जो तेरा परमेश्‍वर यहोवा चुन लेगा,

26 और वहाँ गाय-बैल, या भेड़-बकरी, या दाखमधु, या मदिरा, या किसी भाँति की वस्तु क्यों न हो, जो तेरा जी चाहे, उसे उसी रुपये से मोल लेकर अपने घराने समेत अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खाकर आनन्द करना।

27 और अपने फाटकों के भीतर के लेवीय को न छोड़ना, क्योंकि तेरे साथ उसका कोई भाग या अंश न होगा।

व्यवस्थाविवरण अध्याय 14

28 “तीन-तीन वर्ष के बीतने पर तीसरे वर्ष की उपज का सारा दशमांश निकालकर अपने फाटकों के भीतर इकट्ठा कर रखना;

29 तब लेवीय जिसका तेरे संग कोई निज भाग या अंश न होगा वह, और जो परदेशी, और अनाथ, और विधवाएँ तेरे फाटकों के भीतर हों, वे भी आकर पेट भर खाएँ; जिससे तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे सब कामों में तुझे आशीष दे।