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होशे total 14 अध्याय

होशे

होशे अध्याय 2
होशे अध्याय 2

1

1 इसलिए तुम लोग अपने भाइयों से अम्मी और अपनी बहनों से रुहामा कहो। (1 पत. 2:10) {परमेश्‍वर के अविश्वासी लोग } “अपनी माता से विवाद करो, विवाद क्योंकि वह मेरी स्त्री नहीं, और न मैं उसका पति हूँ। वह अपने मुँह पर से अपने छिनालपन को और अपनी छातियों के बीच से व्यभिचारों को अलग करे;

3 नहीं तो मैं उसके वस्त्र उतारकर उसको जन्म के दिन के समान नंगी कर दूँगा, और उसको मरुस्थल के समान और मरूभूमि सरीखी बनाऊँगा, और उसे प्यास से मार डालूँगा।

होशे अध्याय 2

4 उसके बच्चों पर भी मैं कुछ दया न करूँगा, क्योंकि वे कुकर्म के लड़के हैं।

5 उनकी माता ने छिनाला किया है; जिसके गर्भ में वे पड़े, उसने लज्जा के योग्य काम किया है। उसने कहा, 'मेरे यार जो मुझे रोटी-पानी, ऊन, सन, तेल और मद्य देते हैं, मैं उन्हीं के पीछे चलूँगी।'

6 इसलिए देखो, मैं उसके मार्ग को काँटों से घेरूँगा, और ऐसा बाड़ा खड़ा करूँगा कि वह राह न पा सकेगी।

होशे अध्याय 2

7 वह अपने यारों के पीछे चलने से भी उन्हें न पाएगी; और उन्हें ढूँढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, 'मैं अपने पहले पति के पास फिर लौट जाऊँगी, क्योंकि मेरी पहली दशा इस समय की दशा से अच्छी थी।'

8 वह यह नहीं जानती थी, कि अन्न, नया दाखमधु और तेल मैं ही उसे देता था, और उसके लिये वह चाँदी सोना जिसको वे बाल देवता के काम में ले आते हैं, मैं ही बढ़ाता था।

होशे अध्याय 2

9 इस कारण मैं अन्न की ऋतु में अपने अन्न को, और नये दाखमधु के होने के समय में अपने नये दाखमधु को हर लूँगा; और अपना ऊन और सन भी जिनसे वह अपना तन ढाँपती है, मैं छीन लूँगा।

10 अब मैं उसके यारों के सामने उसके तन को उघाड़ूँगा, और मेरे हाथ से कोई उसे छुड़ा न सकेगा।

11 और मैं उसके पर्व, नये चाँद और विश्रामदिन आदि सब नियत समयों के उत्सवों का अन्त कर दूँगा।

होशे अध्याय 2

12 मैं उसकी दाखलताओं और अंजीर के वृक्षों को*, जिनके विषय वह कहती है कि यह मेरे छिनाले की प्राप्ति है जिसे मेरे यारों ने मुझे दी है, उन्हें ऐसा उजाड़ूँगा कि वे जंगल से हो जाएँगे, और वन-पशु उन्हें चर डालेंगे।

13 वे दिन जिनमें वह बाल देवताओं के लिये धूप जलाती, और नत्थ और हार पहने अपने यारों के पीछे जाती और मुझको भूले रहती थी, उन दिनों का दण्ड मैं उसे दूँगा, यहोवा की यही वाणी है।

होशे अध्याय 2

14 {परमेश्‍वर की उसके लोगों पर दया } “इसलिए देखो, मैं उसे मोहित करके जंगल में ले जाऊँगा, और वहाँ उससे शान्ति की बातें कहूँगा।

15 वहीं मैं उसको दाख की बारियाँ दूँगा, और आकोर की तराई को आशा का द्वार कर दूँगा और वहाँ वह मुझसे ऐसी बातें कहेगी जैसी अपनी जवानी के दिनों में अर्थात् मिस्र देश से चले आने के समय कहती थी।

16 और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय तू मुझे पति कहेगी और फिर बाली न कहेगी।

होशे अध्याय 2

17 क्योंकि भविष्य में मैं उसे बाल देवताओं के नाम न लेने दूँगा; और न उनके नाम फिर स्मरण में रहेंगे।

18 और उस समय मैं उनके लिये वन-पशुओं और आकाश के पक्षियों और भूमि पर के रेंगनेवाले जन्तुओं के साथ वाचा बाँधूँगा, और धनुष और तलवार तोड़कर युद्ध को उनके देश से दूर कर दूँगा; और ऐसा करूँगा कि वे लोग निडर सोया करेंगे।

19 मैं सदा के लिये तुझे अपनी स्त्री करने की प्रतिज्ञा करूँगा, और यह प्रतिज्ञा धर्म, और न्याय, और करुणा, और दया के साथ करूँगा।

होशे अध्याय 2

20 यह सच्चाई के साथ की जाएगी, और तू यहोवा को जान लेगी*।

21 “यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं आकाश की सुनकर उसको उत्तर दूँगा, और वह पृथ्वी की सुनकर उसे उत्तर देगा;

22 और पृथ्वी अन्न, नये दाखमधु, और ताजे तेल की सुनकर उनको उत्तर देगी, और वे यिज्रेल को उत्तर देंगे।

23 मैं अपने लिये उसे देश में बोऊँगा, और लोरुहामा पर दया करूँगा, और लोअम्मी से कहूँगा, तू मेरी प्रजा है, और वह कहेगा, 'हे मेरे परमेश्‍वर'।” (रोम. 9:25, 1 पत. 2:10)