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अय्यूब total 42 अध्याय

अय्यूब

अय्यूब अध्याय 1
अय्यूब अध्याय 1

अय्यूब का भारी परीक्षा में पड़ना 1 ऊस देश में अय्यूब नामक एक पुरुष था; वह खरा और सीधा* था और परमेश्‍वर का भय मानता और बुराई से परे रहता था। (अय्यूब. 1:8)

2 उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुई।

3 फिर उसके सात हजार भेड़-बकरियाँ, तीन हजार ऊँट, पाँच सौ जोड़ी बैल, और पाँच सौ गदहियाँ, और बहुत ही दास-दासियाँ थीं; वरन् उसके इतनी सम्पत्ति थी, कि पूर्वी देशों में वह सबसे बड़ा था।

अय्यूब अध्याय 1

4 उसके बेटे बारी-बारी दिन पर एक दूसरे के घर में खाने-पीने को जाया करते थे; और अपनी तीनों बहनों को अपने संग खाने-पीने के लिये बुलवा भेजते थे।

5 और जब-जब दावत के दिन पूरे हो जाते, तब-तब अय्यूब उन्हें बुलवाकर पवित्र करता, और बड़ी भोर को उठकर उनकी गिनती के अनुसार होमबलि चढ़ाता था; क्योंकि अय्यूब सोचता था, “कदाचित् मेरे बच्चों ने पाप करके परमेश्‍वर को छोड़ दिया हो।” इसी रीति अय्यूब सदैव किया करता था।

अय्यूब अध्याय 1

6 एक दिन यहोवा परमेश्‍वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया।

7 यहोवा ने शैतान से पूछा, “तू कहाँ से आता है?” शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ।”

8 यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तूने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।”

अय्यूब अध्याय 1

9 शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “क्या अय्यूब परमेश्‍वर का भय बिना लाभ के मानता है? (प्रका. 12:10)

10 क्या तूने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बाँधा? तूने तो उसके काम पर आशीष दी है,

11 और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है। परन्तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।” (प्रका. 12:10)

अय्यूब अध्याय 1

12 यहोवा ने शैतान से कहा, “सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना।” तब शैतान यहोवा के सामने से चला गया।

13 {अय्यूब के बच्‍चों और सम्पत्ति का नाश } एक दिन अय्यूब के बेटे-बेटियाँ बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पी रहे थे;

14 तब एक दूत अय्यूब के पास आकर कहने लगा, “हम तो बैलों से हल जोत रहे थे और गदहियाँ उनके पास चर रही थीं

अय्यूब अध्याय 1

15 कि शबा के लोग धावा करके उनको ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।”

16 वह अभी यह कह ही रहा था कि दूसरा भी आकर कहने लगा, “परमेश्‍वर की आग आकाश से गिरी और उससे भेड़-बकरियाँ और सेवक जलकर भस्म हो गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।”

17 वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, “कसदी लोग तीन दल बाँधकर ऊँटों पर धावा करके उन्हें ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।”

अय्यूब अध्याय 1

18 वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, “तेरे बेटे-बेटियाँ बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पीते थे,

19 कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।”

20 तब अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुँड़ाकर भूमि पर गिरा और दण्डवत् करके कहा, (एज्रा. 9:3, 1 पत. 5:6)

अय्यूब अध्याय 1

21 “मैं अपनी माँ के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊँगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है।” (सभो. 5:15)

22 इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्‍वर पर मूर्खता से दोष लगाया।