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अय्यूब total 42 अध्याय

अय्यूब

अय्यूब अध्याय 11
अय्यूब अध्याय 11

सोपर का वचन 1

2 तब नामाती सोपर ने कहा, “बहुत सी बातें जो कही गई हैं, क्या उनका उत्तर देना न चाहिये? क्या यह बकवादी मनुष्य धर्मी ठहराया जाए?

3 क्या तेरे बड़े बोल के कारण लोग चुप रहें? और जब तू ठट्ठा करता है, तो क्या कोई तुझे लज्जित न करे?

अय्यूब अध्याय 11

4 तू तो यह कहता है, 'मेरा सिद्धान्त शुद्ध है और मैं परमेश्‍वर की दृष्टि में पवित्र हूँ।'

5 परन्तु भला हो, कि परमेश्‍वर स्वयं बातें करें*, और तेरे विरुद्ध मुँह खोले,

6 और तुझ पर बुद्धि की गुप्त बातें प्रगट करे, कि उनका मर्म तेरी बुद्धि से बढ़कर है। इसलिए जान ले, कि परमेश्‍वर तेरे अधर्म में से बहुत कुछ भूल जाता है।

अय्यूब अध्याय 11

7 “क्या तू परमेश्‍वर का गूढ़ भेद पा सकता है? और क्या तू सर्वशक्तिमान का मर्म पूरी रीति से जाँच सकता है?

8 वह आकाश सा ऊँचा है; तू क्या कर सकता है? वह अधोलोक से गहरा है, तू कहाँ समझ सकता है?

9 उसकी माप पृथ्वी से भी लम्बी है और समुद्र से चौड़ी है।

अय्यूब अध्याय 11

10 जब परमेश्‍वर बीच से गुजरे, बन्दी बना ले और अदालत में बुलाए, तो कौन उसको रोक सकता है?

11 क्योंकि वह पाखण्डी मनुष्यों का भेद जानता है*, और अनर्थ काम को बिना सोच विचार किए भी जान लेता है।

12 परन्तु मनुष्य छूछा और निर्बुद्धि होता है; क्योंकि मनुष्य जन्म ही से जंगली गदहे के बच्चे के समान होता है।

अय्यूब अध्याय 11

13 “यदि तू अपना मन शुद्ध करे*, और परमेश्‍वर की ओर अपने हाथ फैलाए,

14 और यदि कोई अनर्थ काम तुझ से हुए हो उसे दूर करे, और अपने डेरों में कोई कुटिलता न रहने दे,

15 तब तो तू निश्चय अपना मुँह निष्कलंक दिखा सकेगा; और तू स्थिर होकर कभी न डरेगा।

अय्यूब अध्याय 11

16 तब तू अपना दुःख भूल जाएगा, तू उसे उस पानी के समान स्मरण करेगा जो बह गया हो।

17 और तेरा जीवन दोपहर से भी अधिक प्रकाशमान होगा; और चाहे अंधेरा भी हो तो भी वह भोर सा हो जाएगा।

18 और तुझे आशा होगी, इस कारण तू निर्भय रहेगा; और अपने चारों ओर देख-देखकर तू निर्भय विश्राम कर सकेगा।

अय्यूब अध्याय 11

19 और जब तू लेटेगा, तब कोई तुझे डराएगा नहीं; और बहुत लोग तुझे प्रसन्‍न करने का यत्न करेंगे।

20 परन्तु दुष्ट लोगों की आँखें धुँधली हो जाएँगी, और उन्हें कोई शरण स्थान न मिलेगा और उनकी आशा यही होगी कि प्राण निकल जाए।”