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नीतिवचन total 31 अध्याय

नीतिवचन

नीतिवचन अध्याय 14
नीतिवचन अध्याय 14

1 हर बुद्धिमान स्त्री अपने घर को बनाती है, पर मूर्ख स्त्री उसको अपने ही हाथों से ढा देती है।

2 जो सिधाई से चलता वह यहोवा का भय माननेवाला है, परन्तु जो टेढ़ी चाल चलता वह उसको तुच्छ जाननेवाला ठहरता है।

3 मूर्ख के मुँह में गर्व का अंकुर है*, परन्तु बुद्धिमान लोग अपने वचनों के द्वारा रक्षा पाते हैं।

नीतिवचन अध्याय 14

4 जहाँ बैल नहीं, वहाँ गौशाला स्वच्छ तो रहती है, परन्तु बैल के बल से अनाज की बढ़ती होती है।

5 सच्चा साक्षी झूठ नहीं बोलता, परन्तु झूठा साक्षी झूठी बातें उड़ाता है।

6 ठट्ठा करनेवाला बुद्धि को ढूँढ़ता, परन्तु नहीं पाता, परन्तु समझवाले को ज्ञान सहज से मिलता है। (नीति. 17:24)

नीतिवचन अध्याय 14

7 मूर्ख से अलग हो जा, तू उससे ज्ञान की बात न पाएगा।

8 विवेकी मनुष्य की बुद्धि* अपनी चाल को समझना है, परन्तु मूर्खों की मूर्खता छल करना है।

9 मूर्ख लोग पाप का अंगीकार करने को ठट्ठा जानते हैं, परन्तु सीधे लोगों के बीच अनुग्रह होता है।

10 मन अपना ही दुःख जानता है, और परदेशी उसके आनन्द में हाथ नहीं डाल सकता।

नीतिवचन अध्याय 14

11 दुष्टों के घर का विनाश हो जाता है, परन्तु सीधे लोगों के तम्बू में बढ़ती होती है।

12 ऐसा मार्ग है*, जो मनुष्य को ठीक जान पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।

13 हँसी के समय भी मन उदास हो सकता है, और आनन्द के अन्त में शोक हो सकता है।

नीतिवचन अध्याय 14

14 जो बेईमान है, वह अपनी चालचलन का फल भोगता है, परन्तु भला मनुष्य आप ही आप सन्तुष्‍ट होता है।

15 भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु विवेकी मनुष्य समझ बूझकर चलता है।

16 बुद्धिमान डरकर बुराई से हटता है, परन्तु मूर्ख ढीठ होकर चेतावनी की उपेक्षा करता है।

नीतिवचन अध्याय 14

17 जो झट क्रोध करे, वह मूर्खता का काम करेगा, और जो बुरी युक्तियाँ निकालता है, उससे लोग बैर रखते हैं।

18 भोलों का भाग मूर्खता ही होता है, परन्तु विवेकी मनुष्यों को ज्ञानरूपी मुकुट बाँधा जाता है।

19 बुरे लोग भलों के सम्मुख, और दुष्ट लोग धर्मी के फाटक पर दण्डवत् करेंगे।

नीतिवचन अध्याय 14

20 निर्धन का पड़ोसी भी उससे घृणा करता है, परन्तु धनी के अनेक प्रेमी होते हैं।

21 जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता, वह पाप करता है, परन्तु जो दीन लोगों पर अनुग्रह करता, वह धन्य होता है।

22 जो बुरी युक्ति निकालते हैं, क्या वे भ्रम में नहीं पड़ते? परन्तु भली युक्ति निकालनेवालों से करुणा और सच्चाई का व्यवहार किया जाता है।

नीतिवचन अध्याय 14

23 परिश्रम से सदा लाभ होता है, परन्तु बकवाद करने से केवल घटती होती है।

24 बुद्धिमानों का धन उनका मुकुट ठहरता है, परन्तु मूर्ख से केवल मूर्खता ही उत्‍पन्‍न होती है।

25 सच्चा साक्षी बहुतों के प्राण बचाता है, परन्तु जो झूठी बातें उड़ाया करता है उससे धोखा ही होता है।

नीतिवचन अध्याय 14

26 यहोवा के भय में दृढ़ भरोसा है, और यह उसके संतानों के लिए शरणस्थान होगा।

27 यहोवा का भय मानना, जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फंदों से बच जाते हैं।

28 राजा की महिमा प्रजा की बहुतायत से होती है, परन्तु जहाँ प्रजा नहीं, वहाँ हाकिम नाश हो जाता है।

नीतिवचन अध्याय 14

29 जो विलम्ब से क्रोध करनेवाला है वह बड़ा समझवाला है, परन्तु जो अधीर होता है, वह मूर्खता को बढ़ाता है।

30 शान्त मन*, तन का जीवन है, परन्तु ईर्ष्या से हड्डियाँ भी गल जाती हैं।

31 जो कंगाल पर अंधेर करता, वह उसके कर्ता की निन्दा करता है, परन्तु जो दरिद्र पर अनुग्रह करता, वह उसकी महिमा करता है।

नीतिवचन अध्याय 14

32 दुष्ट मनुष्य बुराई करता हुआ नाश हो जाता है, परन्तु धर्मी को मृत्यु के समय भी शरण मिलती है।

33 समझवाले के मन में बुद्धि वास किए रहती है, परन्तु मूर्ख मनुष्‍य बुद्धि के विषय में कुछ भी नहीं जानता।

34 जाति की बढ़ती धर्म ही से होती है, परन्तु पाप से देश के लोगों का अपमान होता है।

नीतिवचन अध्याय 14

35 जो कर्मचारी बुद्धि से काम करता है उस पर राजा प्रसन्‍न होता है, परन्तु जो लज्जा के काम करता, उस पर वह रोष करता है।