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भजन संहिता total 150 अध्याय

भजन संहिता

भजन संहिता अध्याय 1
भजन संहिता अध्याय 1

पहला भाग
भजन 1—41

1 {परमेश्‍वर की व्यवस्था में सच्चा सुख } क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर* नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है!

2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है।

भजन संहिता अध्याय 1

3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है* और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।

4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।

भजन संहिता अध्याय 1

5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;

6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।