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भजन संहिता total 150 अध्याय
भजन संहिता
भजन संहिता अध्याय 107
भजन संहिता अध्याय 107
पाँचवाँ भाग
भजन 107—150
3 {परमेश्वर के उद्धार के लिए धन्यवाद }यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा की है!
2 यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने शत्रु के हाथ से दाम देकर छुड़ा लिया है,
3 और उन्हें देश-देश से, पूरब-पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से इकट्ठा किया है। (भज. 106:47)
भजन संहिता अध्याय 107
4 वे जंगल में मरूभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया;
5 भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए।
6 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दुहाई दी, और उसने उनको सकेती से छुड़ाया;
7 और उनको ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुँचे।
भजन संहिता अध्याय 107
8 लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
9 क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है। (लूका 1:53, यिर्म. 31:25)
10 जो अंधियारे और मृत्यु की छाया में बैठे, और दुःख में पड़े और बेड़ियों से जकड़े हुए थे,
भजन संहिता अध्याय 107
11 इसलिए कि वे परमेश्वर के वचनों के विरुद्ध चले*, और परमप्रधान की सम्मति को तुच्छ जाना।
12 तब उसने उनको कष्ट के द्वारा दबाया; वे ठोकर खाकर गिर पड़े, और उनको कोई सहायक न मिला।
13 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दुहाई दी, और उसने सकेती से उनका उद्धार किया;
भजन संहिता अध्याय 107
14 उसने उनको अंधियारे और मृत्यु की छाया में से निकाल लिया; और उनके बन्धनों को तोड़ डाला।
15 लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
16 क्योंकि उसने पीतल के फाटकों को तोड़ा, और लोहे के बेंड़ों को टुकड़े-टुकड़े किया।
भजन संहिता अध्याय 107
17 मूर्ख अपनी कुचाल, और अधर्म के कामों के कारण अति दुःखित होते हैं।
18 उनका जी सब भाँति के भोजन से मिचलाता है, और वे मृत्यु के फाटक तक पहुँचते हैं।
19 तब वे संकट में यहोवा की दुहाई देते हैं, और वह सकेती से उनका उद्धार करता है;
भजन संहिता अध्याय 107
20 वह अपने वचन के द्वारा उनको चंगा करता* और जिस गड्ढे में वे पड़े हैं, उससे निकालता है। (भज. 147:15)
21 लोग यहोवा की करुणा के कारण और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
22 और वे धन्यवाद-बलि चढ़ाएँ, और जयजयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें।
भजन संहिता अध्याय 107
23 जो लोग जहाजों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर होकर व्यापार करते हैं;
24 वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहरे समुद्र में करता है, देखते हैं।
25 क्योंकि वह आज्ञा देता है, तब प्रचण्ड वायु उठकर तरंगों को उठाती है।
भजन संहिता अध्याय 107
26 वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता;
27 वे चक्कर खाते, और मतवालों की भाँति लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है।
28 तब वे संकट में यहोवा की दुहाई देते हैं, और वह उनको सकेती से निकालता है।
भजन संहिता अध्याय 107
29 वह आँधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।
30 तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उनको मन चाहे बन्दरगाह में पहुँचा देता है।
31 लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें।
भजन संहिता अध्याय 107
32 और सभा में उसको सराहें, और पुरनियों के बैठक में उसकी स्तुति करें।
33 वह नदियों को जंगल बना डालता है, और जल के सोतों को सूखी भूमि कर देता है।
34 वह फलवन्त भूमि को बंजर बनाता है, यह वहाँ के रहनेवालों की दुष्टता के कारण होता है।
भजन संहिता अध्याय 107
35 वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है।
36 और वहाँ वह भूखों को बसाता है, कि वे बसने के लिये नगर तैयार करें;
37 और खेती करें, और दाख की बारियाँ लगाएँ, और भाँति-भाँति के फल उपजा लें।
38 और वह उनको ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं, और उनके पशुओं को भी वह घटने नहीं देता।
भजन संहिता अध्याय 107
39 फिर विपत्ति और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हैं*।
40 और वह हाकिमों को अपमान से लादकर मार्ग रहित जंगल में भटकाता है;
41 वह दरिद्रों को दुःख से छुड़ाकर ऊँचे पर रखता है, और उनको भेड़ों के झुण्ड के समान परिवार देता है।
42 सीधे लोग देखकर आनन्दित होते हैं; और सब कुटिल लोग अपने मुँह बन्द करते हैं।
भजन संहिता अध्याय 107
43 जो कोई बुद्धिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करुणा के कामों पर ध्यान करेगा।