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भजन संहिता total 150 अध्याय

भजन संहिता

भजन संहिता अध्याय 109
भजन संहिता अध्याय 109

झूठे अभियोक्ता के विरुद्ध याचिका 1 प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन हे परमेश्‍वर तू, जिसकी मैं स्तुति करता हूँ, चुप न रह!

2 क्योंकि दुष्ट और कपटी मनुष्यों ने मेरे विरुद्ध मुँह खोला है, वे मेरे विषय में झूठ बोलते हैं।

3 उन्होंने बैर के वचनों से मुझे चारों ओर घेर लिया है, और व्यर्थ मुझसे लड़ते हैं। (यूह. 15:25)

भजन संहिता अध्याय 109

4 मेरे प्रेम के बदले में वे मेरी चुगली करते हैं, परन्तु मैं तो प्रार्थना में लौलीन रहता हूँ।

5 उन्होंने भलाई के बदले में मुझसे बुराई की और मेरे प्रेम के बदले मुझसे बैर किया है।

6 तू उसको किसी दुष्ट के अधिकार में रख, और कोई विरोधी उसकी दाहिनी ओर खड़ा रहे।

भजन संहिता अध्याय 109

7 जब उसका न्याय किया जाए, तब वह दोषी निकले, और उसकी प्रार्थना पाप गिनी जाए!

8 उसके दिन थोड़े हों, और उसके पद को दूसरा ले! (प्रेरि. 1:20)

9 उसके बच्चे अनाथ हो जाएँ, और उसकी स्त्री विधवा हो जाए!

10 और उसके बच्चे मारे-मारे फिरें, और भीख माँगा करे; उनको अपने उजड़े हुए घर से दूर जाकर टुकड़े माँगना पड़े!

भजन संहिता अध्याय 109

11 महाजन फंदा लगाकर, उसका सर्वस्व ले ले*; और परदेशी उसकी कमाई को लूट लें!

12 कोई न हो जो उस पर करुणा करता रहे, और उसके अनाथ बालकों पर कोई तरस न खाए!

13 उसका वंश नाश हो जाए, दूसरी पीढ़ी में उसका नाम मिट जाए!

14 उसके पितरों का अधर्म यहोवा को स्मरण रहे, और उसकी माता का पाप न मिटे!

भजन संहिता अध्याय 109

15 वह निरन्तर यहोवा के सम्मुख रहे, वह उनका नाम पृथ्वी पर से मिटे!

16 क्योंकि वह दुष्ट, करुणा करना भूल गया वरन् दीन और दरिद्र को सताता था और मार डालने की इच्छा से खेदित मनवालों के पीछे पड़ा रहता था।

17 वह श्राप देने से प्रीति रखता था, और श्राप उस पर आ पड़ा; वह आशीर्वाद देने से प्रसन्‍न न होता था, इसलिए आशीर्वाद उससे दूर रहा।

भजन संहिता अध्याय 109

18 वह श्राप देना वस्त्र के समान पहनता था, और वह उसके पेट में जल के समान और उसकी हड्डियों में तेल के समान* समा गया।

19 वह उसके लिये ओढ़ने का काम दे, और फेंटे के समान उसकी कटि में नित्य कसा रहे।

20 यहोवा की ओर से मेरे विरोधियों को, और मेरे विरुद्ध बुरा कहनेवालों को यही बदला मिले!

भजन संहिता अध्याय 109

21 परन्तु हे यहोवा प्रभु, तू अपने नाम के निमित्त मुझसे बर्ताव कर; तेरी करुणा तो बड़ी है, इसलिए तू मुझे छुटकारा दे!

22 क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूँ, और मेरा हृदय घायल हुआ है*।

23 मैं ढलती हुई छाया के समान जाता रहा हूँ; मैं टिड्डी के समान उड़ा दिया गया हूँ।

भजन संहिता अध्याय 109

24 उपवास करते-करते मेरे घुटने निर्बल हो गए; और मुझ में चर्बी न रहने से मैं सूख गया हूँ।

25 मेरी तो उन लोगों से नामधराई होती है; जब वे मुझे देखते, तब सिर हिलाते हैं। (इब्रा. 10:12-13, लूका 20:42-43)

26 हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, मेरी सहायता कर! अपनी करुणा के अनुसार मेरा उद्धार कर!

भजन संहिता अध्याय 109

27 जिससे वे जाने कि यह तेरा काम है, और हे यहोवा, तूने ही यह किया है!

28 वे मुझे कोसते तो रहें, परन्तु तू आशीष दे! वे तो उठते ही लज्जित हों, परन्तु तेरा दास आनन्दित हो! (1 कुरि. 4:12)

29 मेरे विरोधियों को अनादररूपी वस्त्र पहनाया जाए, और वे अपनी लज्जा को कम्बल के समान ओढ़ें!

भजन संहिता अध्याय 109

30 मैं यहोवा का बहुत धन्यवाद करूँगा, और बहुत लोगों के बीच में उसकी स्तुति करूँगा।

31 क्योंकि वह दरिद्र की दाहिनी ओर खड़ा रहेगा, कि उसको प्राण-दण्ड देनेवालों से बचाए।