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रोमियो total 16 अध्याय

रोमियो

रोमियो अध्याय 6
रोमियो अध्याय 6

1 {पाप के लिए मृत, परमेश्‍वर के लिए जीवित } तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो?

2 कदापि नहीं! हम जब पाप के लिये मर गए* तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएँ?

3 क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया?

4 इसलिए उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नये जीवन के अनुसार चाल चलें।

रोमियो अध्याय 6

5 क्योंकि यदि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे।

6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर नाश हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।

7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से मुक्त हो गया है।

रोमियो अध्याय 6

8 इसलिए यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है कि उसके साथ जीएँगे भी,

9 क्योंकि हम जानते है कि मसीह मरे हुओं में से जी उठा और फिर कभी नहीं मरेगा। मृत्यु उस पर प्रभुता नहीं करती।

10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्‍वर के लिये जीवित है।

रोमियो अध्याय 6

11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्‍वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।

12 इसलिए पाप तुम्हारे नाशवान शरीर में राज्य न करे, कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो।

13 और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्‍वर को सौंपो, और अपने अंगों को धार्मिकता के हथियार होने के लिये परमेश्‍वर को सौंपो।

रोमियो अध्याय 6

14 तब तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हो।

15 {पाप के दासत्व से, परमेश्‍वर के दास } तो क्या हुआ? क्या हम इसलिए पाप करें कि हम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हैं? कदापि नहीं!

16 क्या तुम नहीं जानते कि जिसकी आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो: चाहे पाप के, जिसका अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिसका अन्त धार्मिकता है?

रोमियो अध्याय 6

17 परन्तु परमेश्‍वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे अब मन से उस उपदेश के माननेवाले हो गए, जिसके साँचे में ढाले गए थे,

18 और पाप से छुड़ाए जाकर* धार्मिकता के दास हो गए।

19 मैं तुम्हारी शारीरिक दुर्बलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूँ। जैसे तुम ने अपने अंगों को अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धार्मिकता के दास करके सौंप दो।

रोमियो अध्याय 6

20 जब तुम पाप के दास थे, तो धार्मिकता की ओर से स्वतंत्र थे।

21 तो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? क्योंकि उनका अन्त तो मृत्यु है।

22 परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्‍वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिससे पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।

रोमियो अध्याय 6

23 क्योंकि पाप की मजदूरी* तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।