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भजन संहिता total 150 अध्याय
भजन संहिता
भजन संहिता अध्याय 140
भजन संहिता अध्याय 140
1 याहवेह, दुष्ट पुरुषों से मुझे उद्धार प्रदान कीजिए; हिंसक पुरुषों से मेरी रक्षा कीजिए,
2 वे मन ही मन अनर्थ षड़्यंत्र रचते रहते हैं और सदैव युद्ध ही भड़काते रहते हैं.
3 उन्होंने अपनी जीभ सर्प सी तीखी बना रखी है; उनके होंठों के नीचे नाग का विष भरा है.
भजन संहिता अध्याय 140
4 याहवेह, दुष्टों से मेरी रक्षा कीजिए; मुझे उन हिंसक पुरुषों से सुरक्षा प्रदान कीजिए, जिन्होंने, मेरे पैरों को उखाड़ने के लिए युक्ति की है.
5 उन अहंकारियों ने मेरे पैरों के लिए एक फंदा बनाकर छिपा दिया है; तथा रस्सियों का एक जाल भी बिछा दिया है, मार्ग के किनारे उन्होंने मेरे ही लिए फंदे लगा रखे हैं.
भजन संहिता अध्याय 140
6 मैं याहवेह से कहता हूं, “आप ही मेरे परमेश्वर हैं.” याहवेह, कृपा करके मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए.
7 याहवेह, मेरे प्रभु, आप ही मेरे उद्धार का बल हैं, युद्ध के समय आप ही मेरे सिर का आवरण बने.
8 दुष्टों की अभिलाषा पूर्ण न होने दें, याहवेह; उनकी बुरी युक्ति आगे बढ़ने न पाए अन्यथा वे गर्व में ऊंचे हो जाएंगे.
भजन संहिता अध्याय 140
9 जिन्होंने इस समय मुझे घेरा हुआ है; उनके होंठों द्वारा उत्पन्न कार्य उन्हीं के सिर पर आ पड़े.
10 उनके ऊपर जलते हुए कोयलों की वृष्टि हो; वे आग में फेंक दिए जाएं, वे दलदल के गड्ढे में डाल दिए जाएं, कि वे उससे बाहर ही न निकल सकें.
भजन संहिता अध्याय 140
11 निंदक इस भूमि पर अपने पैर ही न जमा सकें; हिंसक पुरुष अति शीघ्र बुराई द्वारा पकड़े जाएं.
12 मैं जानता हूं कि याहवेह दुखित का पक्ष अवश्य लेंगे तथा दीन को न्याय भी दिलाएंगे.
13 निश्चयतः धर्मी आपके नाम का आभार मानेंगे, सीधे आपकी उपस्थिति में निवास करेंगे.