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रोमियो total 16 अध्याय

रोमियो

रोमियो अध्याय 13
रोमियो अध्याय 13

अधिकारियों की अधीनता 1 तुममें से प्रत्येक प्रशासनिक अधिकारियों के अधीन रहे. यह इसलिये कि परमेश्वर द्वारा ठहराए अधिकारी के अलावा अन्य कोई अधिकारी नहीं है. वर्तमान अधिकारी परमेश्वर के द्वारा ही ठहराए गए हैं.

2 इसलिये वह, जो अधिकारी का विरोध करता है, परमेश्वर के आदेश का विरोधी है और ऐसे विरोधी स्वयं अपने ऊपर दंड ले आएंगे.

रोमियो अध्याय 13

3 राजा अच्छे काम के लिए नहीं परंतु बुरे काम के लिए भय के कारण हैं. क्या तुम अधिकारियों से निर्भय रहना चाहते हो? तो वही करो, जो उचित है. इस पर तुम्हें अधिकारी की सराहना प्राप्‍त होगी

4 क्योंकि अधिकारी तुम्हारे ही हित में परमेश्वर का सेवक है किंतु यदि तुम वह करते हो, जो बुरा है तो डरो क्योंकि उसके हाथ में तलवार व्यर्थ नहीं है. वह अधिकारी परमेश्वर द्वारा चुना हुआ सेवक है—कुकर्मियों के दंड के लिए प्रतिशोधी.

रोमियो अध्याय 13

5 इसलिये यह सही है कि सिर्फ दंड के भय के कारण ही नहीं परंतु अंतरात्मा के हित में भी अधीन रहा जाए.

6 तुम इसी कारण राज्य-कर भी चुकाते हो कि राजा परमेश्वर के जनसेवक हैं और इसी काम के लिए समर्पित हैं.

7 जिसे जो कुछ दिया जाना निर्धारित है, उसे वह दो: जिसे कर देना है, उसे कर दो; जिसे शुल्क, उसे शुल्क; जिनसे डरना है, उनसे डरो तथा जो सम्मान के अधिकारी हैं, उनका सम्मान करो.

रोमियो अध्याय 13

आपसी प्रेम तथा व्यवस्था 8 आपसी प्रेम के अलावा किसी के कर्ज़दार न हो. वह जो अपने पड़ोसी से प्रेम करता है, उसने व्यवस्था का पालन कर लिया

9 क्योंकि: व्यभिचार मत करो, हत्या मत करो, चोरी मत करो, लोभ मत करो,* निर्ग 20:13-15, 17; व्यव 5:17-19, 21 तथा इसके अतिरिक्त यदि कोई भी अन्य आज्ञा हो तो उसका सार यही है: अपने पड़ोसी के लिए तुम्हारा प्रेम वैसा ही हो जैसा तुम्हारा स्वयं के लिए है. † लेवी 19:18

रोमियो अध्याय 13

10 प्रेम पड़ोसी का बुरा नहीं करता. इसलिये प्रेम व्यवस्था की पूर्ति है.

ज्योति की संतान 11 आवश्यक है कि तुम समय को पहचानो. तुम्हारा नींद से जाग जाने का समय आ चुका है. उस समय की तुलना में, जब हमने इस विश्वास को अपनाया था, हमारे उद्धार की पूर्ति पास है.

12 रात समाप्‍त होने पर है. दिन का आरंभ हो रहा है. इसलिये हम अंधकार के कामों को त्याग कर ज्योति के शस्त्र धारण कर लें.

रोमियो अध्याय 13

13 हमारा स्वभाव समय के अनुसार—दिन के अनुकूल हो, न कि लीला-क्रीड़ा, पियक्कड़पन, व्यभिचार, भ्रष्‍ट आचरण, झगड़ा तथा जलन से भरा,

14 परंतु प्रभु येशु मसीह को धारण कर लो तथा शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने की इच्छा न करो.