पवित्र बाइबिल

बाइबल सोसाइटी ऑफ इंडिया (BSI)
भजन संहिता
1. हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिए रहूंगा।
2. मैं परम प्रधान परमेश्वर को पुकारूंगा, ईश्वर को जो मेरे लिये सब कुछ सिद्ध करता है।
3. ईश्वर स्वर्ग से भेजकर मुझे बचा लेगा, जब मेरा निगलने वाला निन्दा कर रहा हो। परमेश्वर अपनी करूणा और सच्चाई प्रगट करेगा॥
4. मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात ऐसे मनुष्यों के बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार है॥
5. हे परमेश्वर तू स्वर्ग के ऊपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
6. उन्होंने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया है; मेरा प्राण ढला जाता है। उन्होंने मेरे आगे गड़हा खोदा, परन्तु आप ही उस में गिर पड़े॥
7. हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा।
8. हे मेरी आत्मा जाग जा! हे सारंगी और वीणा जाग जाओ। मैं भी पौ फटते ही जाग उठूंगा।
9. हे प्रभु, मैं देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं राज्य राज्य के लोगों के बीच में तेरा भजन गाऊंगा।
10. क्योंकि तेरी करूणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंचती है॥
11. हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 57 / 150
1 हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिए रहूंगा। 2 मैं परम प्रधान परमेश्वर को पुकारूंगा, ईश्वर को जो मेरे लिये सब कुछ सिद्ध करता है। 3 ईश्वर स्वर्ग से भेजकर मुझे बचा लेगा, जब मेरा निगलने वाला निन्दा कर रहा हो। परमेश्वर अपनी करूणा और सच्चाई प्रगट करेगा॥ 4 मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात ऐसे मनुष्यों के बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार है॥ 5 हे परमेश्वर तू स्वर्ग के ऊपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए! 6 उन्होंने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया है; मेरा प्राण ढला जाता है। उन्होंने मेरे आगे गड़हा खोदा, परन्तु आप ही उस में गिर पड़े॥ 7 हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा। 8 हे मेरी आत्मा जाग जा! हे सारंगी और वीणा जाग जाओ। मैं भी पौ फटते ही जाग उठूंगा। 9 हे प्रभु, मैं देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं राज्य राज्य के लोगों के बीच में तेरा भजन गाऊंगा। 10 क्योंकि तेरी करूणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंचती है॥ 11 हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 57 / 150
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