1. [PS]*‘नष्ट मत कर’ नामक धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीत। *[PE][QS]हे परमेश्वर, हम तेरी प्रशंसा करते हैं! [QE][QS2]हम तेरे नाम का गुणगान करते हैं! [QE][QS2]तू समीप है और लोग तेरे उन अद्भत कर्मो का जिनको तू करता है, बखान करते हैं। [QE][PBR]
2. [QS]परमेश्वर, कहता है, “मैंने न्याय का समय चुन लिया, [QE][QS2]मैं निष्पक्ष होकर के न्याय करूँगा। [QE]
3. [QS]धरती और धरती की हर वस्तु डगमगा सकती है और गिरने को तैयार हो सकती है, [QE][QS2]किन्तु मैं ही उसे स्थिर रखता हूँ। [QE][PBR]
4. [QS]“कुछ लोग बहुत ही अभिमानी होते हैं, वे सोचते रहते है कि वे बहुत शाक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण है। [QE]
5. [QS]लेकिन उन लोगों को बता दो, ‘डींग मत हाँकों!’ [QE][QS2]‘तने अभिमानी मतबने रह!’ ” [QE][PBR]
6. [QS]इस धरती पर सचुमच, [QE][QS2]कोई भी मनुष्य नीच को महान नहीं बना सकता। [QE]
7. [QS]परमेश्वर न्याय करता है। [QE][QS2]परमेश्वर इसका निर्णय करता है कि कौन व्यक्ति महान होगा। [QE][QS2]परमेश्वर ही किसी व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण पद पर बिठाता है। और किसी दूसरे को निची दशा में पहुँचाता है। [QE]
8. [QS]परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देने को तत्पर है। [QE][QS2]परमेश्वर के पास विष मिला हुआ मधु पात्र है। [QE][QS]परमेश्वर इस दाखमधु (दण्ड) को उण्डेलता है [QE][QS2]और दुष्ट जन उसे अंतिम बूँद तक पीते हैं। [QE]
9. [QS]मैं लोगों से इन बातों का सदा बखान करूँगा। [QE][QS2]मैं इस्राएल के परमेश्वर के गुण गाऊँगा। [QE]
10. [QS]मैं दुष्ट लोगों की शक्ति को छीन लूँगा, [QE][QS2]और मैं सज्जनों को शक्ति दूँगा। [QE][PBR]