पवित्र बाइबिल

बाइबल सोसाइटी ऑफ इंडिया (BSI)
भजन संहिता
1. हे यहोवा क्रोध में आकर मुझे झिड़क न दे, और न जलजलाहट में आकर मेरी ताड़ना कर!
2. क्योंकि तेरे तीर मुझ में लगे हैं, और मैं तेरे हाथ के नीचे दबा हूं।
3. तेरे क्रोध के कारण मेरे शरीर में कुछ भी आरोग्यता नहीं; और मेरे पाप के कारण मेरी हडि्डयों में कुछ भी चैन नहीं।
4. क्योंकि मेरे अधर्म के कामों में मेरा सिर डूब गया, और वे भारी बोझ की नाईं मेरे सहने से बाहर हो गए हैं॥
5. मेरी मूढ़ता के कारण से मेरे कोड़े खाने के घाव बसाते हैं और सड़ गए हैं।
6. मैं बहुत दुखी हूं और झुक गया हूं; दिन भर मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं।
7. क्योंकि मेरी कमर में जलन है, और मेरे शरीर में आरोग्यता नहीं।
8. मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूं; मैं अपने मन की घबराहट से कराहता हूं॥
9. हे प्रभु मेरी सारी अभिलाषा तेरे सम्मुख है, और मेरा कराहना तुझ से छिपा नहीं।
10. मेरा हृदय धड़कता है, मेरा बल घटता जाता है; और मेरी आंखों की ज्योति भी मुझ से जाती रही।
11. मेरे मित्र और मेरे संगी मेरी विपत्ति में अलग हो गए, और मेरे कुटुम्बी भी दूर जा खड़े हुए॥
12. मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि के यत्न करने वाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं।
13. परन्तु मैं बहिरे की नाईं सुनता ही नहीं, और मैं गूंगे के समान मूंह नहीं खोलता।
14. वरन मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूं जो कुछ नहीं सुनता, और जिसके मुंह से विवाद की कोई बात नहीं निकलती॥
15. परन्तु हे यहोवा, मैं ने तुझ ही पर अपनी आशा लगाई है; हे प्रभु, मेरे परमेश्वर, तू ही उत्तर देगा।
16. क्योंकि मैं ने कहा, ऐसा न हो कि वे मुझ पर आनन्द करें; जब मेरा पांव फिसल जाता है, तब मुझ पर अपनी बड़ाई मारते हैं॥
17. क्योंकि मैं तो अब गिरने ही पर हूं, और मेरा शोक निरन्तर मेरे साम्हने है।
18. इसलिये कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूंगा, और अपने पाप के कारण खेदित रहूंगा।
19. परन्तु मेरे शत्रु फुर्तीले और सामर्थी हैं, और मेरे विरोधी बैरी बहुत हो गए हैं।
20. जो भलाई के बदले में बुराई करते हैं, वह भी मेरे भलाई के पीछे चलने के कारण मुझ से विरोध करते हैं॥
21. हे यहोवा, मुझे छोड़ न दे! हे मेरे परमेश्वर, मुझ से दूर न हो!
22. हे यहोवा, हे मेरे उद्धारकर्त्ता, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 38 / 150
1 हे यहोवा क्रोध में आकर मुझे झिड़क न दे, और न जलजलाहट में आकर मेरी ताड़ना कर! 2 क्योंकि तेरे तीर मुझ में लगे हैं, और मैं तेरे हाथ के नीचे दबा हूं। 3 तेरे क्रोध के कारण मेरे शरीर में कुछ भी आरोग्यता नहीं; और मेरे पाप के कारण मेरी हडि्डयों में कुछ भी चैन नहीं। 4 क्योंकि मेरे अधर्म के कामों में मेरा सिर डूब गया, और वे भारी बोझ की नाईं मेरे सहने से बाहर हो गए हैं॥ 5 मेरी मूढ़ता के कारण से मेरे कोड़े खाने के घाव बसाते हैं और सड़ गए हैं। 6 मैं बहुत दुखी हूं और झुक गया हूं; दिन भर मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं। 7 क्योंकि मेरी कमर में जलन है, और मेरे शरीर में आरोग्यता नहीं। 8 मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूं; मैं अपने मन की घबराहट से कराहता हूं॥ 9 हे प्रभु मेरी सारी अभिलाषा तेरे सम्मुख है, और मेरा कराहना तुझ से छिपा नहीं। 10 मेरा हृदय धड़कता है, मेरा बल घटता जाता है; और मेरी आंखों की ज्योति भी मुझ से जाती रही। 11 मेरे मित्र और मेरे संगी मेरी विपत्ति में अलग हो गए, और मेरे कुटुम्बी भी दूर जा खड़े हुए॥ 12 मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि के यत्न करने वाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं। 13 परन्तु मैं बहिरे की नाईं सुनता ही नहीं, और मैं गूंगे के समान मूंह नहीं खोलता। 14 वरन मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूं जो कुछ नहीं सुनता, और जिसके मुंह से विवाद की कोई बात नहीं निकलती॥ 15 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तुझ ही पर अपनी आशा लगाई है; हे प्रभु, मेरे परमेश्वर, तू ही उत्तर देगा। 16 क्योंकि मैं ने कहा, ऐसा न हो कि वे मुझ पर आनन्द करें; जब मेरा पांव फिसल जाता है, तब मुझ पर अपनी बड़ाई मारते हैं॥ 17 क्योंकि मैं तो अब गिरने ही पर हूं, और मेरा शोक निरन्तर मेरे साम्हने है। 18 इसलिये कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूंगा, और अपने पाप के कारण खेदित रहूंगा। 19 परन्तु मेरे शत्रु फुर्तीले और सामर्थी हैं, और मेरे विरोधी बैरी बहुत हो गए हैं। 20 जो भलाई के बदले में बुराई करते हैं, वह भी मेरे भलाई के पीछे चलने के कारण मुझ से विरोध करते हैं॥ 21 हे यहोवा, मुझे छोड़ न दे! हे मेरे परमेश्वर, मुझ से दूर न हो! 22 हे यहोवा, हे मेरे उद्धारकर्त्ता, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
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