1. इस्राएल अब यह कहे, कि मेरे बचपन से लोग मुझे बार बार क्लेश देते आए हैं,
2. मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार क्लेश देते तो आए हैं, परन्तु मुझ पर प्रबल नहीं हुए।
3. हलवाहों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया, और लम्बी लम्बी रेखाएं कीं।
4. यहोवा धर्मी है; उसने दुष्टों के फन्दों को काट डाला है।
5. जितने सिय्योन से बैर रखते हैं, उन सभों की आशा टूटे, ओर उन को पीछे हटना पड़े!
6. वे छत पर की घास के समान हों, जो बढ़ने से पहिले सूख जाती है;
7. जिस से कोई लवैया अपनी मुट्ठी नहीं भरता, न पूलियों का कोई बान्धने वाला अपनी अंकवार भर पाता है,
8. और न आने जाने वाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!