पवित्र बाइबिल

इंडियन रिवाइज्ड वर्शन (ISV)
भजन संहिता
1. {परमेश्‍वर की कृपा के लिए धन्यवाद } [QS][PS]*दाऊद का भजन *[PE][PBR]मैं पूरे मन से तेरा धन्यवाद करूँगा; [QE][QS]देवताओं के सामने भी मैं तेरा भजन गाऊँगा। [QE]
2. [QS]मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूँगा, [QE][QS]और तेरी करुणा और सच्चाई के कारण तेरे नाम का धन्यवाद करूँगा; [QE][QS]क्योंकि तूने अपने वचन को और अपने बड़े नाम को सबसे अधिक महत्व दिया है। [QE]
3. [QS]जिस दिन मैंने पुकारा, उसी दिन तूने मेरी सुन ली, [QE][QS]और मुझ में बल देकर हियाव बन्धाया। [QE]
4. [QS]हे यहोवा, पृथ्वी के सब राजा तेरा धन्यवाद करेंगे*, [QE][QS]क्योंकि उन्होंने तेरे वचन सुने हैं; [QE]
5. [QS]और वे यहोवा की गति के विषय में गाएँगे, [QE][QS]क्योंकि यहोवा की महिमा बड़ी है। [QE]
6. [QS]यद्यपि यहोवा महान है, तो भी वह नम्र मनुष्य की ओर दृष्टि करता है; [QE][QS]परन्तु अहंकारी को दूर ही से पहचानता है। [QE]
7. [QS]चाहे मैं संकट के बीच में चलूँ तो भी तू मुझे सुरक्षित रखेगा, [QE][QS]तू मेरे क्रोधित शत्रुओं के विरुद्ध हाथ बढ़ाएगा, [QE][QS]और अपने दाहिने हाथ से मेरा उद्धार करेगा। [QE]
8. [QS]यहोवा मेरे लिये सब कुछ पूरा करेगा*; [QE][QS]हे यहोवा, तेरी करुणा सदा की है। [QE][QS]तू अपने हाथों के कार्यों को त्याग न दे। [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 138 / 150
1 {परमेश्‍वर की कृपा के लिए धन्यवाद } दाऊद का भजन मैं पूरे मन से तेरा धन्यवाद करूँगा; देवताओं के सामने भी मैं तेरा भजन गाऊँगा। 2 मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूँगा, और तेरी करुणा और सच्चाई के कारण तेरे नाम का धन्यवाद करूँगा; क्योंकि तूने अपने वचन को और अपने बड़े नाम को सबसे अधिक महत्व दिया है। 3 जिस दिन मैंने पुकारा, उसी दिन तूने मेरी सुन ली, और मुझ में बल देकर हियाव बन्धाया। 4 हे यहोवा, पृथ्वी के सब राजा तेरा धन्यवाद करेंगे*, क्योंकि उन्होंने तेरे वचन सुने हैं; 5 और वे यहोवा की गति के विषय में गाएँगे, क्योंकि यहोवा की महिमा बड़ी है। 6 यद्यपि यहोवा महान है, तो भी वह नम्र मनुष्य की ओर दृष्टि करता है; परन्तु अहंकारी को दूर ही से पहचानता है। 7 चाहे मैं संकट के बीच में चलूँ तो भी तू मुझे सुरक्षित रखेगा, तू मेरे क्रोधित शत्रुओं के विरुद्ध हाथ बढ़ाएगा, और अपने दाहिने हाथ से मेरा उद्धार करेगा। 8 यहोवा मेरे लिये सब कुछ पूरा करेगा*; हे यहोवा, तेरी करुणा सदा की है। तू अपने हाथों के कार्यों को त्याग न दे।
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