1. हे परमेश्वर मुझे छुड़ाने के लिये, हे यहोवा मेरी सहायता करने के लिये फुर्ती कर!
2. जो मेरे प्राण के खोजी हैं, उनकी आशा टूटे, और मुंह काला हो जाए! जो मेरी हानि से प्रसन्न होते हैं, वे पीछे हटाए और निरादर किए जाएं।
3. जो कहते हैं, आहा, आहा, वे अपनी लज्जा के मारे उलटे फेरे जाएं॥
4. जितने तुझे ढूंढ़ते हैं, वे सब तेरे कारण हर्षित और आनन्दित हों! और जो तेरा उद्धार चाहते हैं, वे निरन्तर कहते रहें, कि परमेश्वर की बड़ाई हो।
5. मैं तो दीन और दरिद्र हूं; हे परमेश्वर मेरे लिये फुर्ती कर! तू मेरा सहायक और छुड़ाने वाला है; हे यहोवा विलम्ब न कर!