1. {#1आशीष पाने के लिये पश्चात्ताप } [QS]हे इस्राएल, याहवेह अपने परमेश्वर के पास लौट आओ. [QE][QS2]तुम्हारा पाप ही तुम्हारे पतन का कारण है! [QE]
2. [QS]याहवेह की बातों को मानो [QE][QS2]और उसके पास लौट आओ. [QE][QS]उससे कहो: [QE][QS2]“हमारे सब पापों को क्षमा करें, [QE][QS]और अनुग्रहपूर्वक हमें ग्रहण करें, [QE][QS2]कि हम अपने मुंह से धन्यवाद रूपी बलि चढ़ा सकें. [QE]
3. [QS]अश्शूर हमारा उद्धार नहीं कर सकता; [QE][QS2]हम युद्ध के घोड़ों पर नहीं चढ़ेंगे. [QE][QS]हम अपने हाथों से बनाये चीज़ों को [QE][QS2]फिर कभी न कहेंगे ‘हमारे ईश्वर,’ [QE][QS2]क्योंकि अनाथ को आपसे ही करुणा मिलती है.” [QE][PBR]
4. [QS]“मैं उनकी बेवफ़ाई को दूर करूंगा, [QE][QS2]और स्वछंद रूप से उन्हें प्रेम करूंगा, [QE][QS2]क्योंकि मेरा क्रोध उनके ऊपर से हट गया है. [QE]
5. [QS]मैं इस्राएल के लिये ओस के समान होऊंगा; [QE][QS2]वह कुमुदिनी के फूल के समान खिलेगा. [QE][QS]लबानोन के देवदार वृक्ष के समान [QE][QS2]उसकी जड़ें नीचे दूर-दूर तक फैलेंगी; [QE]
2. [QS2]उसके कोमल अंकुर बढ़ेंगे. [QE][QS]उसका वैभव एक जैतून के पेड़ जैसा होगा, [QE][QS2]और उसकी सुगंध लबानोन के देवदार के समान होगी. [QE]
7. [QS]लोग फिर से उसकी छाया में निवास करेंगे; [QE][QS2]वे अन्न की तरह उन्नति करेंगे, [QE][QS]वे अंगूर की लता की तरह बढ़ेंगे, [QE][QS2]इस्राएल की प्रसिद्धि लबानोन के दाखमधु की तरह होगी. [QE]
8. [QS]हे एफ्राईम, मूर्तियों से अब मेरा और क्या काम? [QE][QS2]मैं उसे उत्तर दूंगा और उसका ध्यान रखूंगा. [QE][QS]मैं बढ़ते हुए सनोवर पेड़ के समान हूं; [QE][QS2]तुम्हारा फलवंत होना मेरे कारण होता है.” [QE][PBR]
9. [QS]बुद्धिमान कौन है? उन्हें इन बातों का अनुभव करने दो. [QE][QS2]समझदार कौन है? उन्हें समझने दो. [QE][QS]याहवेह के रास्ते सही हैं; [QE][QS2]धर्मी उन पर चलते हैं, [QE][QS2]परंतु विद्रोही उन पर ठोकर खाकर गिरते हैं. [QE]