पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
योएल
1. {#1टिड्डियों की एक सेना } [QS]ज़ियोन में तुरही फूंको; [QE][QS2]मेरे पवित्र पहाड़ी पर खतरे की घंटी बजाओ. [QE][PBR] [QS]देश में रहनेवाले सबके सब कांपे [QE][QS2]क्योंकि याहवेह का दिन आ रहा है. [QE][QS]वह निकट आ गया है— [QE]
2. [QS2]वह अंधकार और धुंधलेपन का दिन है, [QE][QS2]वह बादलों से भरा अंधकार का दिन है. [QE][QS]जैसे पहाड़ों पर भोर का उजियाला फैलता है [QE][QS2]वैसे ही एक बड़ी और शक्तिशाली सेना चली आती है, [QE][QS]ऐसा जो पूर्वकाल में कभी नहीं हुआ है, [QE][QS2]और न ही आनेवाले समय में कभी ऐसा होगा. [QE][PBR]
3. [QS]उनके सामने आग विनाश करती है, [QE][QS2]और उनके पीछे आग की लपटें हैं. [QE][QS]उनके सामने देश एदेन की वाटिका के समान है, [QE][QS2]और उनके पीछे, एक उजाड़ मरुस्थल— [QE][QS2]किसी का भी उनसे बचना संभव नहीं है. [QE]
4. [QS]उनका स्वरूप घोड़ों जैसा है; [QE][QS2]और वे घुड़सवार सेना के जैसे सरपट दौड़ते हैं. [QE]
5. [QS]उनके आगे बढ़ने की आवाज रथों के समान है, [QE][QS2]वे पहाड़ के चोटियों पर से कूद जाती हैं, [QE][QS]धधकती आग के समान वे ठूठों को भस्म करती जाती हैं, [QE][QS2]वे युद्ध के लिए तैयार शक्तिशाली सेना के समान हैं. [QE][PBR]
6. [QS]उनके सामने जाति-जाति के लोग भय से पीड़ित हो जाते हैं; [QE][QS2]हर एक का चेहरा डर से पीला पड़ जाता है. [QE]
7. [QS]वे योद्धाओं के समान आक्रमण करते हैं; [QE][QS2]वे सैनिकों की तरह दीवारों पर चढ़ जाते हैं. [QE][QS]वे सब पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़ते हैं, [QE][QS2]और वे अपने क्रम से नहीं हटते हैं. [QE]
8. [QS]वे एक दूसरे को धक्का नहीं देते; [QE][QS2]हर एक सीधा आगे बढ़ता है. [QE][QS]वे अपने क्रम को बिना तोड़े [QE][QS2]समस्याओं से होकर निकल जाते हैं. [QE]
9. [QS]वे तेजी से शहर में प्रवेश करते हैं; [QE][QS2]वे दीवारों के समानांतर दौड़ते हैं. [QE][QS]वे घरों पर चढ़ते हैं; [QE][QS2]और वे चोरों के समान खिड़कियों से अंदर जाते हैं. [QE][PBR]
10. [QS]उनके सामने पृथ्वी तक कांप उठती है, [QE][QS2]आकाश थरथराता है. [QE][QS]सूर्य तथा चंद्रमा धुंधले हो जाते हैं, [QE][QS2]और तारे चमकना छोड़ देते हैं. [QE]
11. [QS]याहवेह अपनी सेना के आगे होकर [QE][QS2]ऊंची आवाज में आदेश देते हैं; [QE][QS]उनकी सेना की संख्या अनगिनत है, [QE][QS2]और वह सेना शक्तिशाली है [QE][QS2]जो उनके आदेश का पालन करती है. [QE][QS]याहवेह का यह दिन महान है; [QE][QS2]यह भयानक है. [QE][QS2]उसे कौन सहन कर सकता है? [QE]
12. {#1मन को फाड़ो } [QS]“फिर भी अब,” याहवेह का कहना है, [QE][QS2]“तुम सारे जन उपवास करते [QE][QS2]और रोते और विलाप करते मेरे पास लौट आओ.” [QE][PBR]
13. [QS]अपने कपड़ों को नहीं, [QE][QS2]अपने मन को फाड़ो. [QE][QS]याहवेह, अपने परमेश्वर के पास लौट आओ, [QE][QS2]क्योंकि वे अनुग्रहकारी और करुणामय, [QE][QS]क्रोध करने में धीमा और बहुतायत से प्रेम करनेवाले हैं, [QE][QS2]विपत्ति भेजने में कोमलता दिखाते हैं. [QE]
14. [QS]कौन जाने? वे अपना विचार छोड़कर कोमलता दिखाएं [QE][QS2]और अपने पीछे एक आशीष— [QE][QS]याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के लिए [QE][QS2]अन्‍नबलि और पेय बलि छोड़ जाएं. [QE][PBR]
15. [QS]ज़ियोन में तुरही फूंको, [QE][QS2]एक पवित्र उपवास की घोषणा करो, [QE][QS2]एक पवित्र सभा का आयोजन करो. [QE]
16. [QS]लोगों को जमा करो, [QE][QS2]सभा को पवित्र करो; [QE][QS]अगुओं को एक साथ लाओ, [QE][QS2]बच्चों और दूध पीते छोटे बच्चों को [QE][QS2]इकट्ठा करो. [QE][QS]दूल्हा अपने कमरे को [QE][QS2]और दुल्हन अपने कक्ष को छोड़कर बाहर आएं. [QE]
17. [QS]पुरोहित और याहवेह की सेवा करनेवाले, [QE][QS2]मंडप और वेदी के बीच रोएं. [QE][QS]और वे कहें, “हे याहवेह, अपने लोगों पर तरस खाईये. [QE][QS2]अपने निज लोगों को जाति-जाति के बीच [QE][QS2]उपहास का विषय, एक कहावत मत बनाइए. [QE][QS]वे लोगों के बीच क्यों कहें, [QE][QS2]‘कहां है उनका परमेश्वर?’ ” [QE]
18. {#1याहवेह का उत्तर } [QS]तब याहवेह को अपने देश के विषय में जलन हुई [QE][QS2]और उन्होंने अपने लोगों पर तरस खाया. [QE]
19. [PS]याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया: [QE][QS]“मैं तुम्हारे लिए अन्‍न, नई अंगूर की दाखमधु और जैतून पर्याप्‍त मात्रा में भेज रहा हूं, [QE][QS2]कि तुम सब पूरी तरह संतुष्ट हो जाओ; [QE][QS]मैं तुम्हें अन्यजातियों के लिए [QE][QS2]फिर कभी हंसी का पात्र नहीं बनाऊंगा. [QE][PBR]
20. [QS]“मैं उत्तर के उपद्रवी झुंड को तुमसे दूर भगा दूंगा, [QE][QS2]और उसे एक सूखा और बंजर देश कर दूंगा; [QE][QS]उसका पूर्वी भाग मृत सागर [QE][QS2]और पश्चिमी भाग भूमध्य-सागर में डूब जाएगा. [QE][QS]और उसकी दुर्गंध ऊपर जाएगी; [QE][QS2]उसकी गंध उठती रहेगी.” [QE][PBR] [QS]निःसंदेह याहवेह ने महान कार्य किए हैं! [QE]
2. [QS2]हे यहूदिया देश, मत डरो; [QE][QS2]खुश और आनंदित हो. [QE][QS]निःसंदेह याहवेह ने महान कार्य किए हैं! [QE]
2. [QS2]हे जंगली जानवरों, मत डरो, [QE][QS2]क्योंकि निर्जन जगह के चरागाह हरे-भरे हो रहे हैं. [QE][QS]पेड़ों में फल लग रहे हैं; [QE][QS2]अंजीर का पेड़ और अंगूर की लता भरपूर उपज दे रही हैं. [QE]
23. [QS]ज़ियोन के लोगों, खुश हो, [QE][QS2]याहवेह, अपने परमेश्वर में आनंदित हो, [QE][QS]क्योंकि उन्होंने तुम्हें शरद ऋतु की बारिश दी है [QE][QS2]क्योंकि वे विश्वासयोग्य हैं. [QE][QS]उन्होंने तुम्हारे लिये बहुत वर्षा दी है, [QE][QS2]पहले के समान शरद और वसन्त ऋतु की वर्षा दी है. [QE]
24. [QS]खलिहान अन्‍न से भर जाएंगे; [QE][QS2]कुंडों में अंगूर की दाखमधु और तेल की इतनी अधिकता होगी कि वे भरकर उछलने लगेंगे. [QE][PBR]
25. [QS]“मैं तुम्हारे उन सब वर्षों की उपज की भरपायी कर दूंगा जिसे टिड्डियों ने खा लिया था— [QE][QS2]बड़े टिड्डी और छोटे टिड्डी, [QE][QS2]दूसरे टिड्डी और टिड्डियों का झुंड— [QE][QS]मेरी बड़ी सेना जिसे मैंने तुम्हारे बीच भेजा था. [QE]
26. [QS]तुम्हारे पास खाने के लिए भोजन वस्तु और तुम पेट भर खाओगे, [QE][QS2]और तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के नाम की स्तुति करोगे, [QE][QS2]जिसने तुम्हारे लिये अद्भुत काम किए हैं; [QE][QS]मेरे लोग फिर कभी लज्जित नहीं होंगे. [QE]
27. [QS]तब तुम जानोगे कि इस्राएल में हूं, [QE][QS2]और यह कि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं, [QE][QS2]और यह भी कि मेरे अतिरिक्त और कोई परमेश्वर नहीं है; [QE][QS]मेरे लोग फिर कभी लज्जित नहीं होंगे. [QE]
28. {#1याहवेह का दिन } [QS]“और उसके बाद, [QE][QS2]मैं अपना आत्मा सब लोगों पर उंडेलूंगा. [QE][QS]तुम्हारे बेटे और बेटियां भविष्यवाणी करेंगे, [QE][QS2]तुम्हारे बुज़ुर्ग लोग स्वप्न देखेंगे, [QE][QS2]तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे. [QE]
29. [QS]मैं उन दिनों में अपने दास, और दासियों, [QE][QS2]पर अपना आत्मा उंडेल दूंगा, [QE]
30. [QS]मैं ऊपर आकाश में अद्भुत चमत्कार [QE][QS2]और नीचे पृथ्वी पर लहू, [QE][QS2]आग और धुएं के बादल के अद्भुत चिह्न दिखाऊंगा. [QE]
31. [QS]याहवेह के उस वैभवशाली और भयानक दिन के [QE][QS2]पूर्व सूर्य अंधेरा [QE][QS2]और चंद्रमा लहू समान हो जाएगा. [QE]
32. [QS]और हर एक, जो प्रभु को पुकारेगा, [QE][QS2]उद्धार प्राप्‍त करेगा. [QE][QS]क्योंकि छुटकारे की जगह [QE][QS2]ज़ियोन पर्वत तथा येरूशलेम होगी, [QE][QS2]जैसे कि याहवेह ने कहा है, [QE][QS]और तो और बचने वालों में वे लोग भी होंगे [QE][QS2]जिन्हें याहवेह बुलाएंगे. [QE]
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टिड्डियों की एक सेना 1 ज़ियोन में तुरही फूंको; मेरे पवित्र पहाड़ी पर खतरे की घंटी बजाओ. देश में रहनेवाले सबके सब कांपे क्योंकि याहवेह का दिन आ रहा है. वह निकट आ गया है— 2 वह अंधकार और धुंधलेपन का दिन है, वह बादलों से भरा अंधकार का दिन है. जैसे पहाड़ों पर भोर का उजियाला फैलता है वैसे ही एक बड़ी और शक्तिशाली सेना चली आती है, ऐसा जो पूर्वकाल में कभी नहीं हुआ है, और न ही आनेवाले समय में कभी ऐसा होगा. 3 उनके सामने आग विनाश करती है, और उनके पीछे आग की लपटें हैं. उनके सामने देश एदेन की वाटिका के समान है, और उनके पीछे, एक उजाड़ मरुस्थल— किसी का भी उनसे बचना संभव नहीं है. 4 उनका स्वरूप घोड़ों जैसा है; और वे घुड़सवार सेना के जैसे सरपट दौड़ते हैं. 5 उनके आगे बढ़ने की आवाज रथों के समान है, वे पहाड़ के चोटियों पर से कूद जाती हैं, धधकती आग के समान वे ठूठों को भस्म करती जाती हैं, वे युद्ध के लिए तैयार शक्तिशाली सेना के समान हैं. 6 उनके सामने जाति-जाति के लोग भय से पीड़ित हो जाते हैं; हर एक का चेहरा डर से पीला पड़ जाता है. 7 वे योद्धाओं के समान आक्रमण करते हैं; वे सैनिकों की तरह दीवारों पर चढ़ जाते हैं. वे सब पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़ते हैं, और वे अपने क्रम से नहीं हटते हैं. 8 वे एक दूसरे को धक्का नहीं देते; हर एक सीधा आगे बढ़ता है. वे अपने क्रम को बिना तोड़े समस्याओं से होकर निकल जाते हैं. 9 वे तेजी से शहर में प्रवेश करते हैं; वे दीवारों के समानांतर दौड़ते हैं. वे घरों पर चढ़ते हैं; और वे चोरों के समान खिड़कियों से अंदर जाते हैं. 10 उनके सामने पृथ्वी तक कांप उठती है, आकाश थरथराता है. सूर्य तथा चंद्रमा धुंधले हो जाते हैं, और तारे चमकना छोड़ देते हैं. 11 याहवेह अपनी सेना के आगे होकर ऊंची आवाज में आदेश देते हैं; उनकी सेना की संख्या अनगिनत है, और वह सेना शक्तिशाली है जो उनके आदेश का पालन करती है. याहवेह का यह दिन महान है; यह भयानक है. उसे कौन सहन कर सकता है? मन को फाड़ो 12 “फिर भी अब,” याहवेह का कहना है, “तुम सारे जन उपवास करते और रोते और विलाप करते मेरे पास लौट आओ.” 13 अपने कपड़ों को नहीं, अपने मन को फाड़ो. याहवेह, अपने परमेश्वर के पास लौट आओ, क्योंकि वे अनुग्रहकारी और करुणामय, क्रोध करने में धीमा और बहुतायत से प्रेम करनेवाले हैं, विपत्ति भेजने में कोमलता दिखाते हैं. 14 कौन जाने? वे अपना विचार छोड़कर कोमलता दिखाएं और अपने पीछे एक आशीष— याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के लिए अन्‍नबलि और पेय बलि छोड़ जाएं. 15 ज़ियोन में तुरही फूंको, एक पवित्र उपवास की घोषणा करो, एक पवित्र सभा का आयोजन करो. 16 लोगों को जमा करो, सभा को पवित्र करो; अगुओं को एक साथ लाओ, बच्चों और दूध पीते छोटे बच्चों को इकट्ठा करो. दूल्हा अपने कमरे को और दुल्हन अपने कक्ष को छोड़कर बाहर आएं. 17 पुरोहित और याहवेह की सेवा करनेवाले, मंडप और वेदी के बीच रोएं. और वे कहें, “हे याहवेह, अपने लोगों पर तरस खाईये. अपने निज लोगों को जाति-जाति के बीच उपहास का विषय, एक कहावत मत बनाइए. वे लोगों के बीच क्यों कहें, ‘कहां है उनका परमेश्वर?’ ” याहवेह का उत्तर 18 तब याहवेह को अपने देश के विषय में जलन हुई और उन्होंने अपने लोगों पर तरस खाया. 19 याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया: “मैं तुम्हारे लिए अन्‍न, नई अंगूर की दाखमधु और जैतून पर्याप्‍त मात्रा में भेज रहा हूं, कि तुम सब पूरी तरह संतुष्ट हो जाओ; मैं तुम्हें अन्यजातियों के लिए फिर कभी हंसी का पात्र नहीं बनाऊंगा. 20 “मैं उत्तर के उपद्रवी झुंड को तुमसे दूर भगा दूंगा, और उसे एक सूखा और बंजर देश कर दूंगा; उसका पूर्वी भाग मृत सागर और पश्चिमी भाग भूमध्य-सागर में डूब जाएगा. और उसकी दुर्गंध ऊपर जाएगी; उसकी गंध उठती रहेगी.” निःसंदेह याहवेह ने महान कार्य किए हैं! 2 हे यहूदिया देश, मत डरो; खुश और आनंदित हो. निःसंदेह याहवेह ने महान कार्य किए हैं! 2 हे जंगली जानवरों, मत डरो, क्योंकि निर्जन जगह के चरागाह हरे-भरे हो रहे हैं. पेड़ों में फल लग रहे हैं; अंजीर का पेड़ और अंगूर की लता भरपूर उपज दे रही हैं. 23 ज़ियोन के लोगों, खुश हो, याहवेह, अपने परमेश्वर में आनंदित हो, क्योंकि उन्होंने तुम्हें शरद ऋतु की बारिश दी है क्योंकि वे विश्वासयोग्य हैं. उन्होंने तुम्हारे लिये बहुत वर्षा दी है, पहले के समान शरद और वसन्त ऋतु की वर्षा दी है. 24 खलिहान अन्‍न से भर जाएंगे; कुंडों में अंगूर की दाखमधु और तेल की इतनी अधिकता होगी कि वे भरकर उछलने लगेंगे. 25 “मैं तुम्हारे उन सब वर्षों की उपज की भरपायी कर दूंगा जिसे टिड्डियों ने खा लिया था— बड़े टिड्डी और छोटे टिड्डी, दूसरे टिड्डी और टिड्डियों का झुंड— मेरी बड़ी सेना जिसे मैंने तुम्हारे बीच भेजा था. 26 तुम्हारे पास खाने के लिए भोजन वस्तु और तुम पेट भर खाओगे, और तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के नाम की स्तुति करोगे, जिसने तुम्हारे लिये अद्भुत काम किए हैं; मेरे लोग फिर कभी लज्जित नहीं होंगे. 27 तब तुम जानोगे कि इस्राएल में हूं, और यह कि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं, और यह भी कि मेरे अतिरिक्त और कोई परमेश्वर नहीं है; मेरे लोग फिर कभी लज्जित नहीं होंगे. याहवेह का दिन 28 “और उसके बाद, मैं अपना आत्मा सब लोगों पर उंडेलूंगा. तुम्हारे बेटे और बेटियां भविष्यवाणी करेंगे, तुम्हारे बुज़ुर्ग लोग स्वप्न देखेंगे, तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे. 29 मैं उन दिनों में अपने दास, और दासियों, पर अपना आत्मा उंडेल दूंगा, 30 मैं ऊपर आकाश में अद्भुत चमत्कार और नीचे पृथ्वी पर लहू, आग और धुएं के बादल के अद्भुत चिह्न दिखाऊंगा. 31 याहवेह के उस वैभवशाली और भयानक दिन के पूर्व सूर्य अंधेरा और चंद्रमा लहू समान हो जाएगा. 32 और हर एक, जो प्रभु को पुकारेगा, उद्धार प्राप्‍त करेगा. क्योंकि छुटकारे की जगह ज़ियोन पर्वत तथा येरूशलेम होगी, जैसे कि याहवेह ने कहा है, और तो और बचने वालों में वे लोग भी होंगे जिन्हें याहवेह बुलाएंगे.
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