पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
योना
1. [NBS]तब मछली के पेट में से योनाह ने याहवेह अपने परमेश्वर से प्रार्थना की.
2. उसने कहा: [NBE][QS]“अपने संकट में मैंने याहवेह को पुकारा, [QE][QS2]और उन्होंने मुझे उत्तर दिया. [QE][QS]मृत्युलोक की गहराई में से मैंने सहायता की याचना की, [QE][QS2]और आपने मेरी याचना सुन ली. [QE]
3. [QS]आपने मुझे गहराई में, [QE][QS2]समुद्र के गहराई में डाल दिया, [QE][QS2]मैं समुद्र के जल प्रवाह में समा गया; [QE][QS]आप ही की लहरें टकराकर [QE][QS2]मेरे ऊपर से प्रवाहित होती रहीं. [QE]
4. [QS]मैंने कहा, ‘मुझे आपके सामने से [QE][QS2]निकाल दिया गया है; [QE][QS]फिर भी मैं आपके पवित्र मंदिर की ओर [QE][QS2]फिर ताकूंगा.’ [QE]
5. [QS]डुबानेवाला पानी मुझे डरा रहा था, [QE][QS2]गहराई मेरे चारों तरफ थी; [QE][QS2]समुद्री घांसपात से मेरा सिर लिपटा हुआ था. [QE]
6. [QS]समुद्र में मैं तो पर्वतों के जड़ तक उतर गया; [QE][QS2]पृथ्वी के तल ने मुझे सदा के लिए जकड़ लिया था. [QE][QS]किंतु आपने, हे याहवेह मेरे परमेश्वर, [QE][QS2]मुझे गड्ढे में से निकाल लिया. [QE][PBR]
7. [QS]“जब मेरे जीवन का अंत हो रहा था, [QE][QS2]हे याहवेह, मैंने आपको स्मरण किया, [QE][QS]और मेरी प्रार्थना आपके पास, [QE][QS2]आपके पवित्र मंदिर में पहुंची. [QE][PBR]
8. [QS]“वे जो बेकार की मूर्तियों पर मन लगाते हैं [QE][QS2]वे अपने आपको परमेश्वर के प्रेम से दूर रखते हैं. [QE]
9. [QS]पर मैं कृतज्ञता से भरे प्रशंसा के ऊंचे शब्दों के साथ, [QE][QS2]आपके लिये बलिदान चढ़ाऊंगा. [QE][QS]जो मन्नत मैंने मानी है, उसे मैं पूरी करूंगा. [QE][QS2]मैं कहूंगा, ‘उद्धार याहवेह ही से होता है.’ ” [QE]
10. [PS]तब याहवेह ने उस मछली को आज्ञा दी, और उसने योनाह को सूखी भूमि पर उगल दिया. [PE]
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1 तब मछली के पेट में से योनाह ने याहवेह अपने परमेश्वर से प्रार्थना की. 2 उसने कहा: “अपने संकट में मैंने याहवेह को पुकारा, और उन्होंने मुझे उत्तर दिया. मृत्युलोक की गहराई में से मैंने सहायता की याचना की, और आपने मेरी याचना सुन ली. 3 आपने मुझे गहराई में, समुद्र के गहराई में डाल दिया, मैं समुद्र के जल प्रवाह में समा गया; आप ही की लहरें टकराकर मेरे ऊपर से प्रवाहित होती रहीं. 4 मैंने कहा, ‘मुझे आपके सामने से निकाल दिया गया है; फिर भी मैं आपके पवित्र मंदिर की ओर फिर ताकूंगा.’ 5 डुबानेवाला पानी मुझे डरा रहा था, गहराई मेरे चारों तरफ थी; समुद्री घांसपात से मेरा सिर लिपटा हुआ था. 6 समुद्र में मैं तो पर्वतों के जड़ तक उतर गया; पृथ्वी के तल ने मुझे सदा के लिए जकड़ लिया था. किंतु आपने, हे याहवेह मेरे परमेश्वर, मुझे गड्ढे में से निकाल लिया. 7 “जब मेरे जीवन का अंत हो रहा था, हे याहवेह, मैंने आपको स्मरण किया, और मेरी प्रार्थना आपके पास, आपके पवित्र मंदिर में पहुंची. 8 “वे जो बेकार की मूर्तियों पर मन लगाते हैं वे अपने आपको परमेश्वर के प्रेम से दूर रखते हैं. 9 पर मैं कृतज्ञता से भरे प्रशंसा के ऊंचे शब्दों के साथ, आपके लिये बलिदान चढ़ाऊंगा. जो मन्नत मैंने मानी है, उसे मैं पूरी करूंगा. मैं कहूंगा, ‘उद्धार याहवेह ही से होता है.’ ” 10 तब याहवेह ने उस मछली को आज्ञा दी, और उसने योनाह को सूखी भूमि पर उगल दिया.
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