रोमियो 10 : 1 (HOV)
हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उन के लिये परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है, कि वे उद्धार पाएं।
रोमियो 10 : 2 (HOV)
क्योंकि मैं उन की गवाही देता हूं, कि उन को परमेश्वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं।
रोमियो 10 : 3 (HOV)
क्योंकि वे परमेश्वर की धार्मिकता से अनजान होकर, और अपनी धार्मिकता स्थापन करने का यत्न करके, परमेश्वर की धार्मिकता के आधीन न हुए।
रोमियो 10 : 4 (HOV)
क्योंकि हर एक विश्वास करनेवाले के लिये धार्मिकता के निमित्त मसीह व्यवस्था का अन्त है।
रोमियो 10 : 5 (HOV)
क्योंकि मूसा ने यह लिखा है, कि जो मनुष्य उस धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह इसी कारण जीवित रहेगा।
रोमियो 10 : 6 (HOV)
परन्तु जो धार्मिकता विश्वास से है, वह यों कहती है, कि तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? (अर्थात् मसीह को उतार लाने के लिये!)
रोमियो 10 : 7 (HOV)
या गहिराव में कौन उतरेगा? (अर्थात् मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये!)
रोमियो 10 : 8 (HOV)
परन्तु क्या कहती है? यह, कि वचन तेरे निकट है, तेरे मुंह में और तेरे मन में है; यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं।
रोमियो 10 : 9 (HOV)
कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा।
रोमियो 10 : 10 (HOV)
क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।
रोमियो 10 : 11 (HOV)
क्योंकि पवित्रा शास्त्रा यह कहता है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा।
रोमियो 10 : 12 (HOV)
यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है; और अपने सब नाम लेनेवालों के लिये उदार है।
रोमियो 10 : 13 (HOV)
क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।
रोमियो 10 : 14 (HOV)
फिर जिस पर उन्हों ने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें?
रोमियो 10 : 15 (HOV)
और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो क्योंकर प्रचार करें? जैसा लिखा है, कि उन के पांव क्या ही सोहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं।
रोमियो 10 : 16 (HOV)
परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया: यशायाह कहता है, कि हे प्रभु, किस ने हमारे समाचार की प्रतीति की है?
रोमियो 10 : 17 (HOV)
सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।
रोमियो 10 : 18 (HOV)
परन्तु मैं कहता हूं, क्या उन्हों ने नहीं सुना? सुना तो सही क्योंकि लिखा है कि उन के स्वर सारी पृथ्वी पर, और उन के वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं।
रोमियो 10 : 19 (HOV)
फिर मैं कहता हूं। क्या इस्त्राएली नहीं जानते थे? पहिले तो मूसा कहता है, कि मैं उन के द्वारा जो जाति नहीं, तुम्हारे मन में जलन उपजाऊंगा, मैं एक मूढ़ जाति के द्वारा तुम्हें रिस दिलाऊंगा।
रोमियो 10 : 20 (HOV)
फिर यशायाह बड़े हियाव के साथ कहता है, कि जो मुझे नहीं ढूंढ़ते थे, उन्हों ने मुझे पा लिया: और जो मुझे पूछते भी न थे, उन पर मैं प्रगट हो गया।
रोमियो 10 : 21 (HOV)
परन्तु इस्त्राएल के विषय में वह यह कहता है कि मैं सारे दिन अपने हाथ एक आज्ञा न माननेवाली और विवाद करनेवाली प्रजा की ओर पसारे रहा।।

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