2 इतिहास 16 : 1 (ERVHI)
{आसा के अन्तिम वर्ष} [PS] आसा के राज्यकाल के छत्तीसवें वर्ष [*राज्यकाल के छत्तीसवें वर्ष लगभग ई.पू. 879] बाशा ने यहूदा देश पर आक्रमण किया। बाशा इस्राएल का राजा था। वह रामा नगर में गया और इसे एक किले के रूप में बनाया। बाशा ने रामा नगर का उपयोग यहूदा के राजा आसा के पास जाने और उसके पास से लोगों को आने से रोकने के लिये किया।
2 इतिहास 16 : 2 (ERVHI)
आसाने यहोवा के मन्दिर के कोषागार में रखे हुए चाँदी और सोने को लिया और उसने राजमहल से चाँदी सोना लिया। तब आसा ने बेन्हदद को सन्देश भेजा। बेन्हदद अराम का राजा था और दमिश्क नगर में रहता था। आसा का सन्देश था:
2 इतिहास 16 : 3 (ERVHI)
“बेन्हदद मेरे और अपने बीच एक सन्धि होने दो। इस सन्धि को वैसे ही होने दो जैसा वह हमारे पिता और तुम्हारे पिता के बीच की गई थी। ध्यान दो, मैं तुम्हारे पास चाँदी सोना भेज रहा हूँ। अब तुम इस्राएल के राजा बाशा के साथ की गई सन्धि को तोड़ दो जिससे वह मुझे मुक्त छोड़ देगा और मुझे परेशान करना बन्द कर देगा।” [PE][PS]
2 इतिहास 16 : 4 (ERVHI)
बेन्हदद ने आसा की बात मान ली। बेन्हदद ने अपनी सेना के सेनापतियों को इस्राएल के नगरों पर आक्रमण करने के लिये भेजा। इन सेनापतियों ने इय्योन, दान और आबेल्लैम नगरों पर आक्रमण किया। उन्होंने नप्ताली देश में उन सभी नगरों पर आक्रमण किया जहाँ खजाने रखे थे।
2 इतिहास 16 : 5 (ERVHI)
बाशा ने इस्राएल के नगरों पर आक्रमण की बात सुनी। इसलिए उसने रामा में किला बनाने का काम रोक दिया और अपना काम छोड़ दिया।
2 इतिहास 16 : 6 (ERVHI)
तब राजा आसा ने यहूदा के सभी लोगों को इकट्ठा किया। वे रामा नगर को गये और लकड़ी तथा पत्थर उठा लाए जिनका उपयोग बाशा ने किला बनाने के लिये किया था। आसा और यहूदा के लोगों ने पत्थरों और लकड़ी का उपयोग गेवा और मिस्पा नगरों को अधिक मजबूत बनाने के लिये किया। [PE][PS]
2 इतिहास 16 : 7 (ERVHI)
उस समय दृष्टा हनानी यहूदा के राजा आसा के पास आया। हनानी ने उससे कहा, “आसा, तुम सहायता के लिये अराम के राजा पर आश्रित हुए, अपने यहोवा परमेश्वर पर नहीं। तुम्हें यहोवा पर आश्रित रहना चाहिये था। तुम याहोवा पर सहायता के लिये आश्रित नहीं रहे अतः अराम के राजा की सेना तुमसे भाग निकली।
2 इतिहास 16 : 8 (ERVHI)
कूश और लूबी अति विशाल और शक्तिशाली सेना रखते थे। उनेक पास अनेक रथ और सारथी थे। किन्तु आसा, तुम उस विशाल शक्तिशाली सेना को हराने में सहायता के लिये यहोवा पर आश्रित हुए और यहोवा ने तुम्हें उनको हराने दिया।
2 इतिहास 16 : 9 (ERVHI)
यहोवा की आँखे सारी पृथ्वी पर उन लोगों को देखती फिरती है जो उसके प्रति श्रद्धालु हैं जिससे वह उन लोगों को शक्तिशाली बना सके। आसा, तुमने मूर्खतापूर्ण काम किया। इसलिये अब से लेकर आगे तक तुमसे युद्ध होंगे।” [PE][PS]
2 इतिहास 16 : 10 (ERVHI)
आसा हनानी पर उस बात से क्रोधित हुआ जो उसने कहा। आसा इतना क्रोध से पागल हो उठा कि उसने हनानी को बन्दीगृह में डाल दिया। आसा उस समय कुछ लोगों के साथ नीचता और कठोरता का व्यवहार करता था। [PE][PS]
2 इतिहास 16 : 11 (ERVHI)
आसा ने जो कुछ आरम्भ से अन्त तक किया। वह इस्राएल और यहुदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखा है।
2 इतिहास 16 : 12 (ERVHI)
आसा का पैर उसके राज्यकाल के उनतालीसवें वर्ष [†राज्यकाल के उनतालीसवें वर्ष लगभग ई.पू. 875] में रोगग्रस्त हो गया। उसका रोग बहुत बुरा था किन्तु उसने यहोवा से सहायाता नहीं चाही। आसा ने वैद्यों से सहायता चाही।
2 इतिहास 16 : 13 (ERVHI)
आसा अपने राज्यकाल के इकतालीसवें वर्ष में मरा और इस प्रकार आसा ने अपने पूर्वजों के साथ विश्राम किया।
2 इतिहास 16 : 14 (ERVHI)
लोगों ने आसा को उसकी अपनी कब्र में दफनाय जिसे उसने स्वयं दाऊद के नगर में बनाया था। लोगों ने उसे एक अन्तिम शैया पर रखा जिस पर सुगन्धित द्रव्य और विभिन्न प्रकार के मिले इत्र रखे थे। लोगों ने आसा का सम्मान करने के लिये आग की महाज्वाला की। [‡लोगों ने … महाज्वाला की सम्भवत: इसका तात्पर्य है कि आसा के सम्मान में लोगों ने सुगन्धित द्रव्य जलाए, किन्तु इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि उन्होंने उसके शरीर को जलाया।] [PE]

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