2 इतिहास 7 : 1 (ERVHI)
{मन्दिर यहोवा को अर्पित} [PS] जब सुलैमान ने प्रार्थना पूरी की तो आकाश से आग उतरी और उसने होमबलि और बलियों को जलाया। यहोवा के तेज ने मन्दिर को भर दिया।
2 इतिहास 7 : 2 (ERVHI)
याचक यहोवा के मन्दिर में नहीं जा सकते थे क्योंकि यहोवा के तेज ने उसे भर दिया था।
2 इतिहास 7 : 3 (ERVHI)
इस्राएल के सभी लोगों ने आकाश से आग को उतरते देखा। इस्राएल के लोगों ने मन्दिर पर भी यहोवा के तेज को देखा। उन्होंने अपने चेहरे को चबूतरे की फर्श तक झुकाया। उन्होंने यहोवा की उपासना की तथा उसे धन्यवाद दिया। उन्होंने गाया, “यहोवा भला है, [QBR2] और उसकी दया सदा रहती है।” [*यहोवा … रहती है देखें भजन. 136] [PS]
2 इतिहास 7 : 4 (ERVHI)
तब राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने बलि यहोवा के सामने चढ़ाई।
2 इतिहास 7 : 5 (ERVHI)
राजा सुलैमान ने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़े भेंट कीं। राजा और सभी लोगों ने परमेश्वर के मन्दिर को पवित्र बनाया। इसका उपयोग केवल परमेश्वर की उपासना के लिये होता था।
2 इतिहास 7 : 6 (ERVHI)
याचक अपना कार्य करने के लिये तैयार खड़े थे। लेवीवंशी भी यहोवा के संगीत के उपकरणों के साथ खड़े थे। ये उपकरण राजा दाऊद द्वारा यहोवा को धन्यवाद देने के लिये बनाए गए थे। याचक और लेवीवंशी कह रहे थे, “यहोवा का प्रेम सदैव रहता है!” जब लेवीवंशियों के दूसरी ओर याजक खड़े हुए तो याचकों ने अपनी तुरहियाँ बजाई और इस्राएल के सभी लोग खड़े थे। [PE][PS]
2 इतिहास 7 : 7 (ERVHI)
सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के सामने वाले आँगन के मध्य भाग को भी पवित्र किया। यह वही स्थान है जहाँ सुलैमान ने होमबलि और मेलबलि की चर्बी चढ़ाई। सुलैमान ने आँगन का मध्य भाग काम में लिया क्योंकि काँसे की वेदी पर जिसे सुलैमान ने बनाई थी, सारी होमबलि, अन्नबलि और चर्बी नहीं आ सकती थी वैसी भेंटें बहुत अधिक थीं। [PE][PS]
2 इतिहास 7 : 8 (ERVHI)
सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने सात दिनों तक दावतों का उत्सव मनाया। सुलैमान के साथ लोगों का एक बहुत बड़ा समूह था। वे लोग उत्तर दिशा के हमथ नगर के प्रवेश द्वार तथा दक्षिण के मिस्र के झरने जैसे सुदूर क्षेत्रों से आये थे।
2 इतिहास 7 : 9 (ERVHI)
आठवें दिन उन्होंने एक धर्मसभा की क्योंकि वे सात दिन उत्सव मना चुके थे। उन्होंने वेदी को पवित्र किया और इसका उपयोग केवल यहोवा की उपासना के लिये होना था और उन्होंने सात दिन दावत का उत्सव मनाया।
2 इतिहास 7 : 10 (ERVHI)
सातवें महीने के तेईसवें दिन सुलैमान ने लोगों को वापस उनके घर भेज दिया। लोग बड़े प्रसन्न थे और उनका हृदय आनन्द से भरा था क्योंकि यहोवा दाऊद, सुलैमान और अपने इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत भला था। [PS]
2 इतिहास 7 : 11 (ERVHI)
{यहोवा सुलैमान के पास आता है} [PS] सुलैमान ने यहोवा का मन्दिर और राजमहल को पूरा कर लिया। सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर और अपने आवास में जो कुछ करने की योजना बनाई थी उसमें उसे सफलता मिली।
2 इतिहास 7 : 12 (ERVHI)
तब यहोवा सुलैमान के पास रात को आया। यहोवा ने उससे कहा, “सुलैमान, मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुनी है और मैंने इस स्थान को अपने लिये बलि के गृह के रूप में चुना है।
2 इतिहास 7 : 13 (ERVHI)
जब मैं आकाश को बन्द करता हूँ तो वर्षा नहीं होती या मैं टिड्डियों को आदेश देता हूँ कि वे देश को नष्ट करें या अपने लोगों में बीमारी भेजता हूँ,
2 इतिहास 7 : 14 (ERVHI)
और मेरे नाम से पुकारे जाने वाले लोग यदि विनम्र होते तथा प्रार्थना करते हैं, और मुझे ढूढ़तें हैं और अपने बुरे रास्तों से दूर हट जाते हैं तो मैं स्वर्ग से उनकी सुनूँगा और मैं उनके पाप को क्षमा करूँगा और उनके देश को अच्छा कर दूँगा।
2 इतिहास 7 : 15 (ERVHI)
अब, मेरी आखें खुली हैं और मेरे कान इस स्थान पर की गई प्रार्थनाओं पर ध्यान देंगे।
2 इतिहास 7 : 16 (ERVHI)
मैंने इस मन्दिर को चुना है और मैंने इसे पवित्र किया है जिससे मेरा नाम यहाँ सदैव रहे। हाँ, मेरी आँखें और मेरा हृदय इस मन्दिर में सदा रहेगा।
2 इतिहास 7 : 17 (ERVHI)
अब सुलैमान, यदि तुम मेरे सामने वैसे ही रहोगे जैसे तुम्हारा पिता दाऊद रहा, यदि तुम उन सभी का पालन करोगे जिनके लिये मैंने आदेश दिया है और यदि तुम मेरे विधियों और नियमों का पालन करोगे।
2 इतिहास 7 : 18 (ERVHI)
तब मैं तुम्हें शक्तिशाली राजा बनाऊँगा और तुम्हारा राज्य विस्तृत होगा। यही वाचा है जो मैंने तुम्हारे पिता दाऊद से की है। मैंने उससे कहा था, ‘दाऊद, तुम अपने परिवार में एक ऐसा व्यक्ति सदा पाओगे जो इस्राएल में राजा होगा।’
2 इतिहास 7 : 19 (ERVHI)
“किन्तु यदि तुम मेरे नियमों और आदेशों को नहीं मानोगे जिन्हें मैंने दिया है और तुम अन्य देवताओं की पूजा और सेवा करोगे,
2 इतिहास 7 : 20 (ERVHI)
तब मैं इस्राएल के लोगों को अपने उस देश से बाहर करूँगा जिसे मैंने उन्हें दिया है। मैं इस मन्दिर को अपनी आँखों से दूर कर दूँगा। जिसे मैंने अपने नाम के लिये पवित्र बनाया है। मैं इस मन्दिर को ऐसा कुछ बनाऊँगा कि सभी राष्ट्र इसकी बुराई करेंगे।
2 इतिहास 7 : 21 (ERVHI)
हर एक व्यक्ति जो इस प्रतिष्ठित मन्दिर के पास से गुजरेगा, आश्चर्य करेगा। वे कहेंगे, ‘यहोवा ने ऐसा भयंकर काम इस देश और इस मन्दिर के साथ क्यों किया’
2 इतिहास 7 : 22 (ERVHI)
तब लोग उत्तर देंगे, ‘क्योंकि इस्राएल के लोगों ने यहोवा’ परमेश्वर जिसकी आज्ञा का पालन उनके पूर्वज करते थे, उसकी आज्ञा पालन करने से इन्कार कर दिया। वह ही परमेश्वर है जो उन्हें मिस्र देश के बाहर ले आया। किन्तु इस्राएल के लोगों ने अन्य देवताओं को अपनाया। उन्होंने मूर्ति रूप में देवताओं की पूजा और सेवा की। यही कारण है कि यहोवा ने इस्राएल के लोगों पर इतना सब भयंकर घटित कराया है।” [PE]
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