व्यवस्थाविवरण 10 : 1 (ERVHI)
नई पत्थर की शिलाएँ “उस समय, यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तुम पहली शिलाओं की तरह पत्थर काटकर दो शिलाएँ बनाओ। तब तुम मेरे पास पर्वत पर आना। अपने लिए एक लकड़ी का सनदूक भी बनाओ।
व्यवस्थाविवरण 10 : 2 (ERVHI)
मैं पत्थर की शिलाओं पर वे ही शब्द लिखूँगा जो तुम्हारे द्वारा तोड़ी गई पहली शिलाओं पर थे। तब तुम्हें इन नयी शिलाओं को सन्दूक में रखना चाहिए।’
व्यवस्थाविवरण 10 : 3 (ERVHI)
“इसलिए मैंने देवदार का एक सन्दूक बनाया। मैंने पहली शिलाओं की तरह पत्थर काटकर दो शिलाएँ बनाई। तब मैं पर्वत पर गया। मेरे हाथ में दोनों शिलाएँ थीं
व्यवस्थाविवरण 10 : 4 (ERVHI)
और यहोवा ने उन्हीं शब्दों को लिखा जिन्हें उसने तब लिखा था जब दस आदेशों को उसने आग में से तुम्हें दिया था और तुम पर्वत के चारों ओर इकट्ठे थे। तब यहोवा ने पत्थर की शिलाएँ मुझे दीं।
व्यवस्थाविवरण 10 : 5 (ERVHI)
मैं मुड़ा और पर्वत के नीचे आया। मैंने अपने बनाएँ सन्दूक में शिलाओं को रखा। यहोवा ने मुझे उसमें रखने को कहा और शिलाएँ अब भी उसी सन्दूक में हैं।”
व्यवस्थाविवरण 10 : 6 (ERVHI)
(इस्राएल के लोगों ने याकान के लोगों के कुँए से मोसेरा की यात्रा की। वहाँ हारून मरा और दफनाया गया। हारून के पुत्र एलीआजर ने हारून के स्थान पर याजक के रूप में सेवा आरम्भ की।
व्यवस्थाविवरण 10 : 7 (ERVHI)
तब इस्राएल के लोग मोसेरा से गुदगोदा गए और वे गुदगोदा से नदियों के प्रदेश योतबाता को गए।
व्यवस्थाविवरण 10 : 8 (ERVHI)
उस समय यहोवा ने लेवी के परिवार समूह को अपने विशेष काम के लिए अन्य परिवार समूहों से अलग किया। उन्हें यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को ले चलने का कार्य करना था। वे याजक की सहायता भी यहोवा के मन्दिर में करते थे और यहोवा के नाम पर, वे लोगों को आशीर्वाद देने का काम भी करते थे। वे अब भी यह विशेष काम करते हैं।
व्यवस्थाविवरण 10 : 9 (ERVHI)
यही कारण है कि लेवीवंश के लोगों को भूमि का कोई भाग अन्य परिवार समूहों की भांति नहीं मिला। लेविवंशियों के हिस्से में यहोवा पड़ा। यही योहवा तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें दिया।)
व्यवस्थाविवरण 10 : 10 (ERVHI)
“मैं पर्वत पर पहली बार की तरह चालीस दिन और चालीस रात रुका रहा। यहोवा ने उस समय भी मेरी बातें सुनी। यहोवा ने तुम लोगों को नष्ट न करने का निश्चय किया।
व्यवस्थाविवरण 10 : 11 (ERVHI)
योहवा ने मुझसे कहा, ‘जाओ और लोगों को यात्रा पर ले जाओ। वे उस देश में जाएंगे और उसमें रहेंगे जिसे मैंने उनके पूर्वजों को देने का वचन दिया है।’
व्यवस्थाविवरण 10 : 12 (ERVHI)
यहोवा वास्तव कें क्या चाहता है “इस्राएल के लोगों, अब सुनो! यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चाहता है कि तुम ऐसा करोः यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करो और वह जो कुछ तुमसे कहे, करो। यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करो और उसकी सेवा हृदय और आत्मा से करो।
व्यवस्थाविवरण 10 : 13 (ERVHI)
आज मैं जिस यहोवा के नियमों और आदेशों को बता रहा हूँ, उसका पालन करो। ये आदेश और नियम तुम्हारी अपनी भलाई के लिए हैं।
व्यवस्थाविवरण 10 : 14 (ERVHI)
“हर एक चीज, यहोवा तुम्हारे परमेश्वर की है। स्वर्ग, सबसे ऊँचा भी उसी का है। पृत्वी और उस पर की सार चीजें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर की हैं।
व्यवस्थाविवरण 10 : 15 (ERVHI)
यहोवा तुम्हारे पूर्वजों से बहुत प्रेम करता था। वह उनसे इतना प्रेम करता था कि उनके वंशज, तुमको, उसने अपने लोग बनाया। उसने किसी अन्य राष्ट्र के स्थान पर तुम्हें चुना और आज भी तुम उसके चुने हुये लोग हो।
व्यवस्थाविवरण 10 : 16 (ERVHI)
इस्राएलियों को यहोवा को याद रखना चाहिए “तुम्हें अड़ियल होना छोड़ देना चाहिए और अपने हृदय को यहोवा पर लगाना चाहिए।
व्यवस्थाविवरण 10 : 17 (ERVHI)
क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर है। वह देवताओं का परमेश्वर, और ईश्वरों का ईश्वर है। वह महान परमेश्वर है। वह आश्यर्जनक और शक्तिशाली योद्धा है। यहोवा की दृष्टि में सभी मनुष्य बराबर है। यहोवा अपने इरादे को बदलने के लए धन नहीं लेता।
व्यवस्थाविवरण 10 : 18 (ERVHI)
वह अनाथ बच्चों की सहायता करता है। वह विधवाओं की सहायता करता है। वह हमारे देश में अजनबियों से भी प्रेम करता है। वह उन्हें भोजन और वस्त्र देता है।
व्यवस्थाविवरण 10 : 19 (ERVHI)
इसलिए तुम्हें भी इन अजनबियों से प्रेम करना चाहिए। क्यों? क्योंकि तुम स्वयं भी मिस्र मे अजनबी थे।
व्यवस्थाविवरण 10 : 20 (ERVHI)
“तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए और केवल उसी की उपासना करनी चाहिए। उसे कभी न छोड़ो। जब तुम वचन दो तो केवल उसके नाम का उपयोग करो।
व्यवस्थाविवरण 10 : 21 (ERVHI)
तुम्हें एकमात्र यहोवा की प्रशंसा करनी चाहिए। उसने तुम्हारे लिए महान और आश्चर्यजनक काम किया है। इन कामों को तुमने अपनी आँखों से देखा है।
व्यवस्थाविवरण 10 : 22 (ERVHI)
जब तुम्हारे पूर्वज मिस्र गए थे तो केवल सत्तर थे। अब यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें बहुत अधिक लोगों के रूप में इतना बढ़ा दिया है जितने आकाश में तारे हैं।

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