व्यवस्थाविवरण 14 : 1 (ERVHI)
इस्राएली, यहोवा के विशेष लोग “तुम यहोवा अपने परमेश्वर के बच्चे हो। यदी कोई मरे तो तुम्हें अपने को शोक में पड़ा दिखाने के लिए स्वयं को काटना नहीं चाहिए। तुम्हें अपने सिर के अगले भाग के बाल नहीं कटवाने चाहिए।* तुम्हें अपने…कटवाना चाहिये जैसा मूसा के समय में किसी के मरने पर शोक प्रकट करने के लिए अपने को काट लेते थे या अपने सिर के बाल उतरवा लेते थे।
व्यवस्थाविवरण 14 : 2 (ERVHI)
क्यों? क्योंकि तुम अन्य लोगों से भिन्न हो। तुम यहोवा अपने परमेश्वर के विशेष लोग हो। उसने संसार के सभी लोगों में से, तुम्हें अपने विशेष लोगों के रूप मे चुना है।
व्यवस्थाविवरण 14 : 3 (ERVHI)
इस्राएलियों का भोजन, जिसे खाने की अनुमति थी “ऐसी कोई चीज न खाओ, यहोवा जिसे खाना बुरा कहता है।
व्यवस्थाविवरण 14 : 4 (ERVHI)
तुम इन जानवरों को खा सकते होः गाय, भेड़, बकरी,
व्यवस्थाविवरण 14 : 5 (ERVHI)
हिरन, निलगाय, मृग, जंगली भेड़, जंगली बकरी, चीतल और पहाड़ी भेड़।
व्यवस्थाविवरण 14 : 6 (ERVHI)
तुम ऐसे किसी जानवर को खा सकते हो जिसके खुर दो भागों मे बंटे हों और जो जुगाली करते हों।
व्यवस्थाविवरण 14 : 7 (ERVHI)
किन्तु ऊँटों, खरगोशर या चहानी बिज्जू को न खाओ। ये जानवर जुगाली करते हैं किन्तु इनके खुर फटे नहीं होते। इसलिए ये जानवर तुम्हारे लिए शुद्ध भोजन नहीं हैं।
व्यवस्थाविवरण 14 : 8 (ERVHI)
तुम्हें सूअर नहीं खाना चाहिए। उनके खुर फटे होते हैं, किन्तु वे जुगाली नहीं करते। इसलिए सूअर तुम्हारे लिए स्वछ भोजन नहीं है। सूअर का कोई माँस न खाओ और न ही मरे हुए सूअर को छुओ।
व्यवस्थाविवरण 14 : 9 (ERVHI)
“तुम ऐसी कोई मछली खा सकते हो जिसके डैने और चोइटें हों।
व्यवस्थाविवरण 14 : 10 (ERVHI)
किन्तु जल में रहने वाले किसी ऐसे प्राणी को न खाओ जिसके डैने और चोइटें न हों। ये तुम्हारे लिए शुद्ध भोजन नहीं हैं।
व्यवस्थाविवरण 14 : 11 (ERVHI)
“तुम किसी शुद्ध पक्षी को खा सकते हो।
व्यवस्थाविवरण 14 : 12 (ERVHI)
(12-18)किन्तु इन पक्षियों में से किसी को न खाओ: चील, किसी भी तरह के गिद्ध, बज्जर्द, किसी प्रकार का बाज, कौवे, तीतर, समुद्री बत्तख, किसी प्रकार का उल्लू, पेलिकन, काँरमारँन्त सारस, किसी प्रकार का बगुला, नौवा या चमगादड़।
व्यवस्थाविवरण 14 : 13 (ERVHI)
व्यवस्थाविवरण 14 : 14 (ERVHI)
व्यवस्थाविवरण 14 : 15 (ERVHI)
व्यवस्थाविवरण 14 : 16 (ERVHI)
व्यवस्थाविवरण 14 : 17 (ERVHI)
व्यवस्थाविवरण 14 : 18 (ERVHI)
व्यवस्थाविवरण 14 : 19 (ERVHI)
“पंख वाले कीड़े तुम्हारे लिए शुद्ध भोजन नहीं हैं। तुम्हें उनको नहीं खाना चाहिए।
व्यवस्थाविवरण 14 : 20 (ERVHI)
किन्तु तुम किसी शुद्ध पक्षी को खा सकते हो।
व्यवस्थाविवरण 14 : 21 (ERVHI)
व्यवस्थाविवरण 14 : 22 (ERVHI)
“अपने आप मरे जानवर को न खाओ। तुम मरे जानवर को अपने नगर के विदेशी को दे सकते हो और वह उसे खा सकता है अथवा तुम मरे जानवर के विदेशी के हाथ बेच सकते हो। किन्तु तुम्हें मरे जानवर को स्वयं नहीं खाना चाहिए। क्यों? क्योंकि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के हो। तुम उसके विशेष लोग हो। “बकरी के बच्चे को उसकी माँ के दूध में न पकाओ। मन्दिर को दिया जानेवाला दशमांश “तुम्हें हर वर्ष अपने खेतों मे उगाई गई फसल का दसवाँ भाग निश्चयपूर्वक बचाना चाहिए।
व्यवस्थाविवरण 14 : 23 (ERVHI)
तब तुम्हें उस स्थान पर जाना चाहिए जिसे यहोवा अपना विशेष निवास चुनता है। वहाँ यहोवा अपने परमेश्वर के साथ अपनी फसल का दशमांश, अन्न का दसवाँ भाग, तुम्हारा नया दाखमधु, तुम्हारा तेल, झुण्ड और रेवड़ में उत्पन्न पहला बच्चा, खाना चाहिए। तब तुम यहोवा अपने परमेश्वर का सदा सम्मान करना सीखोगे।
व्यवस्थाविवरण 14 : 24 (ERVHI)
किन्तु वह स्थान इतना दूर हो सकता है कि तुम वहाँ तक की यात्रा न कर सको। यह सम्भव है कि यहोवा ने फसल का जो वरदान दिया है रउसका दसवाँ भाग तुम वहाँ न पहुँचा सको। यदि ऐसा होता है तो यह करोः
व्यवस्थाविवरण 14 : 25 (ERVHI)
अपनी फसल का वह भाग बेच दो। तब उस धन को लेकर यहोवा द्वारा चुने गए विशेष स्खान पर जाओ।
व्यवस्थाविवरण 14 : 26 (ERVHI)
उस धन का उपयोग जो कुछ तुम चाहो उसके खरीदने में करो—गाय, भेड़, दाखमधु या अन्य स्वादिष्ट पेय या कोई अन्य चीज़ जो तुम चाहते हो। तब तुम्हें और तुम्हारे परिवार को खाना चाहिए और योहवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ उस स्थान पर आनन्द मनाना चाहिए।
व्यवस्थाविवरण 14 : 27 (ERVHI)
किन्तु अपने नगर में रहने वाले लेवीवंशियों की उपेक्षा न करो, क्यों कि उनके पास तुम्हारी तरह भूमि का हिस्सा नहीं हैं।
व्यवस्थाविवरण 14 : 28 (ERVHI)
“हर तीन वर्ष के अन्त में अपनी उस साल की फसल का दशमांश एक जगह इकट्ठा करो। इस भोजन को अपने नगर में उस स्थान पर जमा करो जहाँ दूसरे लोग उसका उपयोग कर सकें।
व्यवस्थाविवरण 14 : 29 (ERVHI)
यह भोजन लेवीवंशियों के लिए है, क्योंकि उनके पास अपनी कोई भूमि नहीं है। यह भोजन तुम्हारे नगर में उन लोगों के लिये भी है जिन्हें इसकी आवश्यकता है—विदेशी, अनाथ बच्चे और विधवायें। यदि तुम यह करते हो तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सभी काम तुम जो कुछ करोगे उसके लिए आशीर्वाद देगा।
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