व्यवस्थाविवरण 28 : 1 (ERVHI)
{आशीर्वाद} [PS] “यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के इन आदेशों के पालन में सावधान रहोगे जिन्हें मैं आज तुम्हें बता रहा हूँ तो योहवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें पृथ्वी के सभी राष्ट्रों के ऊपर श्रेष्ठ करेगा।
व्यवस्थाविवरण 28 : 2 (ERVHI)
यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे तो ये वरदान तुम्हारे पास आएंगे और तुम्हारे होंगे:
व्यवस्थाविवरण 28 : 3 (ERVHI)
“यहोवा तुम्हारे नगरों और खेतों को [QBR2] आशीष प्रदान करेगा। [QBR]
व्यवस्थाविवरण 28 : 4 (ERVHI)
यहोवा तुम्हारे बच्चों को [QBR2] आशीर्वाद देगा। [QBR] वह तुम्हारी भूमि को [QBR2] अच्छी फसल का वरदानदेगा और [QBR] वह तुम्हारे जानवरों को [QBR2] बच्चे देने का वरदान देगा। [QBR2] तुम्हारे पास बहुत से मवेशी और भेड़ें होंगी। [QBR]
व्यवस्थाविवरण 28 : 5 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें अच्छे अन्न की फसल [QBR2] और बहुत अधिक भोजन पाने का आशीर्वाद देगा। [QBR]
व्यवस्थाविवरण 28 : 6 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें तुम्हारे आगमन और प्रस्थान पर आशीर्वाद देगा। [PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 7 (ERVHI)
“यहोवा तुम्हें उन शत्रुओं पर विजयी बनाएगा जो तुम्हारे विरुद्ध होंगे। तुम्हारे शत्रु तुम्हारे विरुद्ध एक रास्ते से आएंगे किन्तु वे तुम्हारे सामने सात मार्गों में भाग खड़ें होंगे। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 8 (ERVHI)
“यहोवा तुम्हें भरे कृषि—भंडार का आशीर्वाद देगा। तुम जो कुछ करोगे वह उसके लिये आशीर्वाद देगा जिसे वह तुमको दे रहा है।
व्यवस्थाविवरण 28 : 9 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें अपने विशेष लोग बनाएगा। यहोवा ने तुम्हें यह वचन दिया है बशर्ते कि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करो और उनके मार्ग पर चलें।
व्यवस्थाविवरण 28 : 10 (ERVHI)
तब पृथ्वी के सभी लोग देखेंगे कि तुम यहोवा के नाम से जाने जाते हो और वे तुमसे भयभीत होंगे। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 11 (ERVHI)
“और यहोवा तुम्हें बहुत सी अच्छी चीजें देगा। वह तुम्हें बहुत से बच्चे देगा। वह तुम्हें मवेशी और बहुत से बछड़े देगा। वह उस देश में तुम्हें बहुत अच्छी फसल देगा जिसे उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया था। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 12 (ERVHI)
“यहोवा अपने भण्डार खोल देगा जिनमें वह अपना कीमती वरदान रखता है तथा तुम्हारी भूमि के लिये ठीक समय पर वर्षा देगा। यहोवा जो कुछ भी तुम करोगे उसके लिए आशीर्वाद देगा और बहुत से राष्ट्रों को कर्ज देने के लिए तुम्हारे पास धन होगा। किन्तु तुम्हें उनसे कुछ उधार लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
व्यवस्थाविवरण 28 : 13 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें सिर बनाएगा, पूँछ नहीं। तुम चोटी पर होगे, तलहटी पर नहीं। यह तब होगा जह तुम यहोवा अपने परमेश्वर के उन आदेशों पर ध्यान दोगे जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ।
व्यवस्थाविवरण 28 : 14 (ERVHI)
तुम्हें उन शिक्षाओं में से किसी की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। तुम्हें इनसे दाँयी या बाँयी ओर नहीं जाना चाहिए। तुम्हें उपासना के लिये अन्य देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए। [PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 15 (ERVHI)
{अभिशाप} [PS] “किन्तु यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर द्वारा कही गई बातों पर ध्यान नहीं देते और आज मैं जिन आदेशों और नियमों को बता रहा हूँ, पालन नहीं करते तो ये सभी अभिशाप तुम पर आयेंगेः
व्यवस्थाविवरण 28 : 16 (ERVHI)
“यहोवा तुम्हारे नगरों और गाँवों को [QBR2] अभिशाप देगा। [QBR]
व्यवस्थाविवरण 28 : 17 (ERVHI)
यहोवा तुम्हारी टोकरियों व बर्तनों को अभिशाप देगा [QBR2] और तुम्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलेगा। [QBR]
व्यवस्थाविवरण 28 : 18 (ERVHI)
तुम्हारे बच्चे [QBR2] अभिशप्त होंगे। [QBR] तुम्हारी भूमि की फसलें [QBR2] तुम्हारे मवेशियों के बछड़े [QBR] और तुम्हारी रेवड़ों के मेमनें [QBR2] अभिशप्त होंगे। [QBR]
व्यवस्थाविवरण 28 : 19 (ERVHI)
तुम्हारा आगमन और प्रस्थान अभिशप्त होगा। [PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 20 (ERVHI)
“यदि तुम बुरे काम करोगे और अपने यहोवा से मुँह फेरोगे, तो तुम अभिशप्त होगें। तम जो कुछ करोगे उसमें तुम्हें अव्यवस्था और फटकार का समाना करना होगा। वह यह तब तक करेगा जब तक तुम शीघ्रता से और पूरी तरह से नष्ट नहीं हो जाते।
व्यवस्थाविवरण 28 : 21 (ERVHI)
यदि तुम यहोवा की आज्ञा नहीं मानते तो वह तुम्हें तब तक महामारी से पीड़ित करत रहेगा जब तक तुम उस देश में पूरी तरह नष्ट नहीं हो जाते जिसमें तुम रहने के लिये प्रवेश कर रहे हो।
व्यवस्थाविवरण 28 : 22 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें रोग से पीड़ित और दुर्बल होने का दण्ड देगा। तुम्हें ज्वर और सूजन होगी। यहोवा तुम्हारे पास भंयकर गर्मी भेजेगा और तुम्हारे यहाँ वर्षा नहीं होगी। तुम्हारी फसलें गर्मी या रोग से नष्ट हो जाएगी। तुम पर ये आपत्तियाँ तब तक आएँगी जब तक तुम मर नहीं जाते!
व्यवस्थाविवरण 28 : 23 (ERVHI)
आकाश मे कोई बादल नहीं रहेगा और आकाश काँसा जैसा होगा। और तुम्हारे नीचें पृथ्वी लोहें की तरह होगी।
व्यवस्थाविवरण 28 : 24 (ERVHI)
वर्षा के बदले यहोवा तुम्हारे पास आकाश से रेत और धूलि भेजेगा। यह तुम पर तब तक आयेगी जब तक तुम नष्ट नहीं हो जाते। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 25 (ERVHI)
“यहोवा तुम्हारे शत्रुओं द्वारा तुम्हें पराजित करायेगा। तुम अपने शत्रुओं के विरुद्ध एक रास्ते से जाओगे और उनके सामने से सात मार्ग से भागोगे। तुम्हारे ऊपर जो आपत्तियाँ आएँगी वे सारी पृथ्वी के लोगों को भयभीत करेंगी।
व्यवस्थाविवरण 28 : 26 (ERVHI)
तुम्हारे शव सभी जंगली जानवरों और पक्षियों का भोजन बनेंगे। कोई व्यक्ति उन्हें डराकर तुम्हारी लाशों से भगाने वाला न होगा। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 27 (ERVHI)
“यदि तुम यहोवा की आज्ञा का पालन नहीं करते तो वह तुम्हें वैसे फोड़े होने का दण्ड देगा जैसे फोड़े उसने मिस्रियों पर भेजा था। वह तुम्हें भयंकर फोड़ों और खुजली से पीड़ित करेगा।
व्यवस्थाविवरण 28 : 28 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें पागल बना कर दण्ड देगा। वह तुम्हें अन्धा और कुण्ठित बनाएगा।
व्यवस्थाविवरण 28 : 29 (ERVHI)
तुम्हें दिन के प्रकाश मे अन्धे की तरह अपना रास्ता टटोलना पड़ेगा। तुम जो कुछ करोगे उसमें तुम असफल रहोगे। लोग तुम पर बार—बार प्रहार करेंग और तुम्हारी चीजें चुराएंगे। तुम्हें बचाने वाला वहाँ कोई भी न होगा। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 30 (ERVHI)
“तुम्हारा विवाह किसी स्त्री के साथ पक्का हो सकता है, किन्तु दूसरा व्यक्ति उसके साथ सोयेगा। तुम कोई घर बना सकते हो, किन्तु तुम उसमें रहोगे नहीं। तुम अंगूर का बाग लगा सकते हो, किन्तु इससे कुछ भी इकट्ठा नहीं कर सकते।
व्यवस्थाविवरण 28 : 31 (ERVHI)
तुम्हारी बैल तुम्हारी आँखों के सामने मारी जाएगी किन्तु तुम उसका कुछ भी माँस नहीं खा सकते। तुम्हारा गधा तुमसे बलपूर्वक छीन कर ले जाया जाएगा यह तुम्हें लौटाया नहीं जाएगा। तुम्हारी भेड़ें तुम्हारे शत्रुओं को दे दी जाएँगी। तुम्हारा रक्षक कोई व्यक्ति नहीं होगा। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 32 (ERVHI)
“तुम्हारे पुत्र और तुम्हारी पुत्रियाँ दूसरी जाति के लोगों को दे दी जाएँगी। तुम्हारी आँखे सारे दिन बच्चों को देखने के लिये टकटकी लगाए रहेंगी क्योंकि तुम बच्चों को देखना चाहोगे। किन्तु तुम प्रतीक्षा करते—करते कमजोर हो जाओगे, तुम असहाय हो जाओगे। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 33 (ERVHI)
“वह राष्ट्र जिसे तुम नहीं जानते, तुम्हारे पसीन की कमाई की सारी फसल खाएगा। तुम सदैव परेशान रहोगे। तुम सदैव छिन्न—भिन्न होगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 34 (ERVHI)
तुम्हारी आँखें वह देखेंगी जिससे तुम पागल हो जाओगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 35 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें दर्द वाले फोड़ों का दण्ड देगा। ये फोड़े तुम्हारे घुटनों और पैरों पर होंगे। वे तुम्हारे तलवे से लेकर सिर के ऊपर तक फैल जाएंगे और तुम्हरे ये फोड़े भरेंगे नहीं। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 36 (ERVHI)
“यहोवा तुम्हें और तुम्हारे राजा को ऐसे राष्ट्र में भेजेगा जिस तुम नहीं जानते होगें। तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने उस राष्ट्र को कभी नहीं देखा होगा। वहाँ तुम लकड़ी और पत्थर के बने अन्य देवताओं को पूजोगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 37 (ERVHI)
जिन देशों में यहोवा तुम्हें भेजेगा उन देशों के लोग तुम लोगों पर आई विपत्तियों को सुनकर स्तब्ध रह जाएंगे। वे तुम्हारी हँसी उड़ायेंगे और तुम्हारी निन्दा करेंगे। [PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 38 (ERVHI)
{असफलता का अभिशाप} [PS] “तुम अपने खेतों में बोने के लिये आवश्यकता से बहुत अधिक बीज ले जाओगे। किन्तु तुम्हारी उपज कम होगी। क्यों? क्योंकि टिड्डयाँ तुम्हारी फसलें खा जाएंगी।
व्यवस्थाविवरण 28 : 39 (ERVHI)
तुम अंगूर के बाग लगाओगे और उनमें कड़ा परिश्रम करोगे। किन्तु तुम उनंमें से अंगूर इकट्ठे नहीं करोगे और न ही उन से दाखमधु पीओगे। क्यों? क्योंकि उन्हें कीड़े खा जाएंगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 40 (ERVHI)
तुम्हारी सारी भूमि में जैतून के पेड़ होंगे। किन्तु तुम उसके कुछ भी तेल का उपयोग नहीं कर सकोगे। क्यों? क्योंकि तुम्हारे जैतून के पेड़ अपने फलों को नष्ट होने के लिये गिरा देंगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 41 (ERVHI)
तुम्हारे पुत्र और तुम्हारी पुत्रियाँ होंगी, किन्तु तुम उन्हें अपने पास नहीं रख सकोगे। क्यों? क्योंकि वे पकड़कर दूर ले जाए जाएंगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 42 (ERVHI)
टिड्डियाँ तुम्हारे पेड़ों और खेतों की फसलों को नष्ट कर देंगी।
व्यवस्थाविवरण 28 : 43 (ERVHI)
तुम्हारे बीच रहने वाले विदेशी अधिक से अधिक शक्ति बढ़ाते जाएँगे और तुममें जों भी तुम्हारी शक्ति है उसे खोते जाओगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 44 (ERVHI)
विदेशियों के पास तुम्हें उधार देने योग्य धन होगा लेकिन तुम्हारे पास उन्हें उधार देने योग धन नहीं होगा। वे तुम्हारा वैसा ही नियन्त्रण करेंगे जैसा मस्तिष्क शरीर का करता है। तुम पूँछ के समान बन जाओगे। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 45 (ERVHI)
“ये सारे अभिशाप तुम पर पड़ेंगे। वे तुम्हारा पीछा तब तक करते रहेंगे और तुमको ग्रसित करते रहेंगे जब तक तुम नष्ट हो जाते। क्यों? क्योंकि तुमने यहोवा अपने परमेश्वर की कही हुई बातों की परवाह नहीं की। तुमने उसके उन आदेशों और नियमों का पालन नहीं किया जिसे उसने तुम्हें दिया।
व्यवस्थाविवरण 28 : 46 (ERVHI)
ये अभिशाप लोगों को बताएंगे कि परमेश्वर ने तुम्हारे वंशजों के साथ सदैव न्याय किया है। ये अभिशाप संकेत और चेतावनी के रूप में तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को हमेशा याद रहेंगे। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 47 (ERVHI)
“यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें बहुत से वरदान दिये। किन्तु तुमने उसकी सेवा प्रसन्नता और उल्लास भरे हृदय से नहीं की।
व्यवस्थाविवरण 28 : 48 (ERVHI)
इसलिए तुम अपने उन शत्रुओं की सेवा करोगे जिन्हें यहोवा, तुम्हारे विरुद्ध भेजेगा। तुम भूखे, प्यासे और नंगे रहोगे। तुम्हारे पास कुछ भी न होगा। यहोवा तुम्हारी गर्दन पर एक लोहे का जुवा तब तक रखेगा जब तक वह तुम्हें नष्ट नहीं कर देता। [PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 49 (ERVHI)
{शत्रु राष्ट्र का अभिशाप} [PS] “यहोवा तुम्हारे विरुद्ध बहुत दूर से एक राष्ट्र को लाएगा। यह राष्ट्र पृथ्वी की दूसरी ओर से आएगा। यह राष्ट्र तुम्हारे ऊपर आकाश से उतरते उकाब की तरह शीघ्रता से आक्रमण करेगा। तुम इस राष्ट्र की भाषा नहीं समझोगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 50 (ERVHI)
इस राष्ट्र के लोगों के चेहरे कठोर होंगे। वे बूढ़े लोगों की भी परवाह नहीं करेगे। वे छोटे बच्चों पर भी दयालु नहीं होंगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 51 (ERVHI)
वे तुम्हारे मवेशियों के बछड़े और तुम्हारी भूमि की फसल तब तक खायेंगे जब तक तुम नष्ट नहीं हो जाओगे। वे तुम्हारे लिये अन्न, नयी दाखमधु, तेल तुम्हारे मवेशियों के बछड़े अथवा तुम्हारे रेवड़ों के मेमने नहीं छोड़ेंगे। वे यह तब तक करते रहेंगे जब तक तुम नष्ट नहीं हो जाओगे। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 52 (ERVHI)
“यह राष्ट्र तुम्हारे सभी नगरों को घेर लेगा। तुम अपने नगरों के चारों ओर ऊँची और दृढ़ दीवारों पर भरोसा रखते हो। किन्तु तुम्हारे देश में ये दीवारें सर्वत्र गिर जाएंगी। हाँ, वह राष्ट्र तुम्हारे उस देश के सभी नगरों पर आक्रमण करेगा जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है।
व्यवस्थाविवरण 28 : 53 (ERVHI)
जब तक तुम्हारा शत्रु तुम्हारे नगर का घेरा डाले रहेगा तब तक तुम्हारी बड़ी हानि होगी। तुम इतने भूखे होगें कि अपने बच्चों को भी खा जाओगे। तुम अपने पुत्र और पुत्रियों का माँस खाओगे जिन्हें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हे दिया है। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 54 (ERVHI)
“तुम्हारा बहुत विनम्र सज्जन पुरुष भी अपने बच्चों, भाईयों, अपनी प्रिय पत्नी तथा बचे हुए बच्चों के साथ बहुत क्रूरता के बर्ताव करेगा।
व्यवस्थाविवरण 28 : 55 (ERVHI)
उसके पास कुछ भी खाने को नहीं होगा क्योंकि तुम्हारे नगरों के विरूद्ध आने वाले शत्रु इतनी अधिक हानि पहुँचा देंगे। इसलिए वह अपने बच्चों को खायेगा। किन्तु वह अपने परिवार के शेष लोगों को कुछ भी नहीं देगा! [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 56 (ERVHI)
“तुम्हारे बीच सबसे अधिक विनम्र और कोमल स्त्री भी वही करेगी। ऐसी सम्पन्न और कोमल स्त्री भी जिसने कहीं जाने के लिये जमीन पर कभी पैर भी न रखा हो। वह अपने प्रिय पति या अपने पुत्र—पुत्रियों के साथ हिस्सा बँटाने से इन्कार करेगी।
व्यवस्थाविवरण 28 : 57 (ERVHI)
वह अपने ही गर्भ की झिल्ली [*गर्भ की झिल्ली गर्भ की झिल्ली और नाभि जो बच्चे के जन्म के समय बाहर आते हैं।] को खायेगी और उस बच्चे को भी जिसे वह जन्म देगी। वह उन्हें गुप्त रूप से खायेगी। क्यों? क्योंकी वहाँ कोई भी भोजन नहीं बचा है। यह तब होगा जब तुम्हारा शत्रु तुम्हारे नगरों के विरुद्ध आयेगा और बहुत अधिक कष्ट पहुँचायेगा। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 58 (ERVHI)
“इस पुस्तक में जितने आदेश और नियम लिखे गए हैं उन सबका पालन तुम्हें करना चाहिए और तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर के आश्चर्य और आतंक उत्पन्न करने वाले नाम का सम्मान करना चाहिए। यदि तुम इनका पालन नहीं करते
व्यवस्थाविवरण 28 : 59 (ERVHI)
तो यहोवा तुम्हें भयंकर आपत्ति में डालेगा और तुम्हारे वंशज बड़ी परेशानियाँ उठायेंगे और उन्हें भयंकर रोग होंगे जो लम्बे समय तक रहेंगे
व्यवस्थाविवरण 28 : 60 (ERVHI)
और यहोवा मिस्र से वे सभी बीमारियाँ लाएगा जिनसे तुम डरते हो। ये बीमारियाँ तुम लोगों में रहेंगी।
व्यवस्थाविवरण 28 : 61 (ERVHI)
यहोवा उन बीमारियों और परेशानियों को भी तुम्हारे बीच लाएगा जो इस व्यवस्था की किताब में नहीं लिखी गई हैं। वह यह तब तक करता रहेगा जब तक तुम नष्ट नहीं हो जाते।
व्यवस्थाविवरण 28 : 62 (ERVHI)
तुम इतने अधिक हो सकते हो जितने आकाश में तारे हैं। किन्तु तुममें से कुछ ही बचे रहेंगे। तुम्हारे साथ यह क्यों होगा? क्योंकि तुमने यहोवा अपने परमेश्वर की बात नहीं मानी। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 63 (ERVHI)
“पहले यहोवा तुम्हारी भलाई करने और तुम्हारे राष्ट्र को बढ़ाने में प्रसन्न था। उसी तरह यहोवा तुम्हें नष्ट और बरबाद करने में प्रसन्न होगा। तुम उस देश से बाहर ले जाए जाओगे जिसे तुम अपना बनाने के लिये उसमें प्रवेश कर रहे हो।
व्यवस्थाविवरण 28 : 64 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें पृथ्वी के एक छोर से दूसरी छोर तक संसार के सभी लोगों मे बिखेर देगा। वहाँ तुम दूसरे लकड़ी और पत्थर के देवताओं को पूजोगे जिन्हें तुमने या तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं पूजा। [PE][PS]
व्यवस्थाविवरण 28 : 65 (ERVHI)
“तम्हें इने राष्ट्रों के बीच तनिक भी शान्ति नहीं मिलेगी। तुम्हें आराम की कोई जगह नहीं मिलेगी। यहोवा तुम्हारे मस्तिष्क को चिन्ताओं से भर देगा। तुम्हारी आँखें पथरा जाएंगी। तुम अपने को ऊखड़ा हुआ अनुभव करोगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 66 (ERVHI)
तुम संकट में रहोगे। तुम दिन—रात भयभीत रहोगे। सदैव सन्देह में पड़े रहोगे। तुम अपने जीवन के बारे में कभी निशिचन्त नहीं रहोगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 67 (ERVHI)
सवेरे तुम कहोगे, ‘अच्छा होता, यह शाम होती!’ शाम को तुम कहोगे, ‘अच्छा होता, यह सवेरा होता!’ क्यों? क्योंकि उस भय के कारण जो तुम्हारे हृदय में होगा और उन आपत्तियों के कारण जो तुम देखोगे।
व्यवस्थाविवरण 28 : 68 (ERVHI)
यहोवा तुम्हें जहाजों में मिस्र वापस भेजेगा। मैंने यह कहा कि तुम उस स्थान पर दुबारा कभी नहीं जाओगे। किन्तु यहोवा तुम्हें वहाँ भेजेगा। और वहाँ तुम अपने को अपने शत्रुओं के हाथ दास के रूप में बेचने की कोशिश करोगे, किन्तु कोई व्यक्ति तुम्हें खरीदेगा नहीं।” [PE]

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