निर्गमन 32 : 2 (ERVHI)
लोगों ने देखा कि लम्बा समय निकल गया और मूसा पर्वत से नीचे नहीं उतरा। इसलिए लोग हारून के चारों ओर इकट्ठा हुए। उन्होंने उससे कहा, “देखो, मूसा ने हमें मिस्र देश से बाहर निकाला। किन्तु हम यह नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ है। इसलिए कोई देवता हमारे आगे चलने और हमें आगे ले चलने वाला बनाओ।”
निर्गमन 32 : 3 (ERVHI)
हारून ने लोगों से कहा, “अपनी पत्नियों, पुत्रों और पुत्रियों के कानों की बालियाँ मेरे पास लाओ।” इसलिए सभी लोगों ने कान की बालियाँ इकट्ठी कीं और वे उन्हें हारून के पास लाए।
निर्गमन 32 : 4 (ERVHI)
हारून ने लोगों से सोना लिया, और एक बछड़े की मूर्ति बनाने के लिए उसका उपयोग किया। हारून ने मूर्ति बनाने के लिए मूर्ति को आकार देने वाले एक औज़ार का उपयोग किया। तब इसे उसने सोने से मढ़ दिया।
निर्गमन 32 : 5 (ERVHI)
तब लोगों ने कहा, “इस्राएल के लोगों, ये तुम्हारे वे देवता हैं जो तुम्हें मिस्र से बाहार ले आया।”* इस्राएल के … आया यहाँ मूल में पाँच बछड़ो के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। इसका मतलब यह हो सकता है कि सोने का वह बछड़ा बहुत से मिथ्या देवताओं का प्रतीक था।
निर्गमन 32 : 6 (ERVHI)
हारून ने इन चीज़ों को देखा। इसलिए उसने बछड़े के सम्मुख एक वेदी बनाई। तब हारून ने घोषणा की। उसने कहा, “कल यहोवा के लिए विशेष दावत होगी।”
निर्गमन 32 : 7 (ERVHI)
अगले दिन सुबह लोग शीघ्र उठ गए। उन्होंने जानवरों को मारा और होमबलि तथा मेलबलि चढ़ाई। लोग खाने और पीने के लिये बैठे। तब वे खड़े हुए और उनकी एक उन्मत्त दावत हुई। उसी समय यहोवा ने मूसा से कहा, “इस पर्वत से नीचे उतरो। तुम्हारे लोग अर्थात् उन लोगों ने, जिन्हें तुम मिस्र से लाए हो, भयंकर पाप किया है।
निर्गमन 32 : 8 (ERVHI)
उन्होंने उन चीज़ों को करने से शीघ्रता से इन्कार कर दिया है जिन्हें करने का आदेश मैंने उन्हें दिया था। उन्होंने पिघले सोने से अपने लिए एक बछड़ा बनाया है। वे उस बछड़े की पूजा कर रहे हैं और उसे बलि भेंट कर रहे हैं। लोगों ने कहा है, ‘इस्राएल, ये देवता है जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाए हैं।’ ”
निर्गमन 32 : 9 (ERVHI)
यहोवा ने मूसा से कहा, “मैंने इन लोगों को देखा है। मैं जानता हूँ कि ये बड़े हठी लोग हैं जो सदा मेरे विरुद्ध जाएंगे।
निर्गमन 32 : 10 (ERVHI)
इसलिए अब मुझे इन्हें क्रोध करके नष्ट करने दो। तब मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा।”
निर्गमन 32 : 11 (ERVHI)
किन्तु मूसा ने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की। मूसा ने कहा, “हे यहोवा, तू अपने क्रोध को अपने लोगों को नष्ट न करने दे। तू अपार शक्ति और अपने बल से इन्हें मिस्र से बाहर ले आया।
निर्गमन 32 : 12 (ERVHI)
किन्तु यदि तू अपने लोगों को नष्ट करेगा तब मिस्र के लोग कह सकते हैं, ‘यहोवा ने अपने लोगों के साथ बुरा करने की योजना बनाई। यही कारण है कि उसने इनको मिस्र से बाहर निकाला। वह उन्हें पर्वतों में मार डालना चाहता था। वह अपने लोगों को धरती से मिटाना चाहता था।’ इसलिए तू लोगों पर क्रुद्ध न हो। अपना क्रोध त्याग दे। अपने लोगों को नष्ट न कर।
निर्गमन 32 : 13 (ERVHI)
तू अपने सेवक इब्राहीम, इसहाक और इस्राएत (याकूब) को याद कर। तूने अपने नाम का उपयोग किया और तूने उन लोगों को वचन दिया। तूने कहा, ‘मैं तुम्हारे लोगों कों उतना अनगिनत बनाऊँगा जितने आकाश में तारे हैं। मैं तुम्हारे लोगों को वह सारी धरती दूँगा जिसे मैंने उनको देने का वचन दिया है। यह धरती सदा के लिए उनकी होगी।’ ”
निर्गमन 32 : 15 (ERVHI)
इसलिए यहोवा ने लोगों के लिए अफ़सोस किया। यहोवा ने वह नहीं किया जो उसने कहा कि वह करेगा अर्थात् लोगों को नष्ट नहीं किया। तब मूसा पर्वत से नीचे उतरा। मूसा के पास आदेश वाले दो समतल पत्थर थे। ये आदेश पत्थर के सामने तथा पीछे दोनों तरफ लिखे हुए थे।
निर्गमन 32 : 16 (ERVHI)
परमेश्वर ने स्वयं उन पत्थरों को बनाया था और परमेश्वर ने स्वयं उन आदेशों को उन पत्थरों पर लिखा था।
निर्गमन 32 : 18 (ERVHI)
जब वे पर्वत से उतर रहे थे यहोशू ने लोगों का उन्मत्त शोर सुना। यहोशू ने मूसा से कहा, “नीचे पड़ाव में युद्ध की तरह का शोर हैं!”
निर्गमन 32 : 19 (ERVHI)
मूसा ने उत्तर दिया, “यह सेना का विजय के लिये शोर नहीं है। यह हार से चिल्लाने वाली सेना का शोर भी नहीं है। मैं जो आवाज़ सुन रहा हूँ वह संगीत की है।” जब मूसा डेरे के समीप आया तो उसने सोने के बछड़े और गाते हुए लोगों को देखा। मूसा बहुत क्रोधित हो गया और उसने उन विशेष पत्थरों को ज़मीन पर फेंक दिया। पर्वत की तलहटी में पत्थरों के कई टुकडें हो गए।
निर्गमन 32 : 20 (ERVHI)
तब मूसा ने लोगों के बनाए बछड़े को नष्ट कर दिया। उसने इसे आग में गला दिया। उसने सोने को तब तक पीसा जब तक यह चूर्ण न हो गया और उसने उस चूर्ण को पानी में फेंक दिया। उसने इस्राएल के लोगों को वह पानी पीने को विवश किया।
निर्गमन 32 : 22 (ERVHI)
मूसा ने हारून से कहा, “इन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया? तुम उन्हें ऐसा बुरा पाप करने की ओर क्यों ले गए?” हारून ने उत्तर दिया, “महाशय, क्रोधित मत हो। आप जानते हैं कि ये लोग सदा गलत काम करने को तैयार रहते हैं।
निर्गमन 32 : 23 (ERVHI)
लोगों ने मुझ से कहा, ‘मूसा हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया। किन्तु हम लोग नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ।’ इसलिए हम लोगों का मार्ग दिखाने वाला कोई देवता बनाओ,
निर्गमन 32 : 24 (ERVHI)
इसलिए मैंने लोगों से कहा, ‘यदि तुम्हारे पास सोने की अंगूठियाँ हों तो उन्हें मुझे दे दो।’ लोगों ने मुझे अपना सोना दिया। मैंने इस सोने को आग में फेंका और उस आग से यह बछड़ा आया।”
निर्गमन 32 : 25 (ERVHI)
मूसा ने देखा कि हारून ने विद्रोह उत्पन्न किया है। लोग मूर्खो की तरह उग्र व्यवहार इस तरह कर रहे थे कि उनके सभी शत्रु देख सकें।
निर्गमन 32 : 26 (ERVHI)
इसलिए मूसा डेरे के द्वार पर खड़ा हुआ। मूसा ने कहा, “कोई व्यक्ति जो यहोवा का अनुसरण करना चाहता है मेरे पास आए” तब लेवी के परिवार के सभी लोग दौड़कर मूसा के पास आए।
निर्गमन 32 : 28 (ERVHI)
तब मूसा ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें बताऊँगा कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा क्या कहता है ‘हर व्यक्ति अपनी तलवार अवश्य उठा ले और डेरे के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाये। तुम लोग इन लोगों को अवश्य दण्ड दोगे चाहे किसी व्यक्ति को अपने भाई, मित्र और पड़ोसी को ही क्यों न मारना पड़े।’ ” लेवी के परिवार के लोगों ने मूसा का आदेश माना। उस दिन इस्राएल के लगभग तीन हज़ार लोग मरे।
निर्गमन 32 : 29 (ERVHI)
तब मूसा ने कहा, “यहोवा ने आज तुम को ऐसे लोगों के रूप में चुना है जो अपने पुत्रों और भाईयों को आशीर्वाद देंगे।”
निर्गमन 32 : 30 (ERVHI)
अगली सुबह मूसा ने लोगों से कहा, “तुम लोगों ने भयंकर पाप किया है। किन्तु अब मैं यहोवा के पास ऊपर जाऊँगा और ऐसा कुछ कर सकूँगा जिससे वह तुम्हारे पापों को क्षमा कर दें।”
निर्गमन 32 : 31 (ERVHI)
इसलिए मूसा वापस यहोवा के पास गया और उसने कहा, “कृपया सुन! इन लोगों ने बहुत बुरा पाप किया है और सोने का एक देवता बनाया है।
निर्गमन 32 : 32 (ERVHI)
अब उन्हें इस पाप के लिये क्षमा कर। यदि तू क्षमा नहीं करेगा तो मेरा नाम उस किताब से मिटा दें जिसे तूने लिखा है।”† उस किताब … लिखा है संभवत यह “जीवन की पुस्तक” की ओर संकेत है। यह वैसा ही है कि परमेश्वर एक किताब रखता है जिसमें उसके सभी लोगों के नाम लिखे रहते हैं।
निर्गमन 32 : 33 (ERVHI)
किन्तु यहोवा ने मूसा से कहा, “जो मेरे विरुद्ध पाप करते हैं केवल वे ही ऐसे लोग हैं जिनका नाम मैं अपनी पुस्तक से मिटाता हूँ।
निर्गमन 32 : 34 (ERVHI)
इसलिए जाओ और लोगों को वहाँ ले जाओ जहाँ मैं कहता हूँ। मेरा दूत तुम्हारे आगे आगे चलेगा और तुम्हें रास्ता दिखाएगा। जब उन लोगों को दण्ड देने का समय आएगा जिन्होंने पाप किया है तब उन्हें दण्ड दिया जायेगा।”
निर्गमन 32 : 35 (ERVHI)
इसलिए यहोवा ने लोगों में एक भयंकर बीमारी उत्पन्न की। उन्होंने यह इसलिए किया कि उन लोगों ने हारून से सोने का बछड़ा बनाने को कहा था।
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