उत्पत्ति 8 : 2 (ERVHI)
लेकिन परमेश्वर नूह को नहीं भूला। परमेश्वर ने नूह और जहाज़ में उसके साथ रहने वाले सभी पशुओं और जानवरों के याद रखा। परमेश्वर ने पृथ्वी पर आँधी चलाई और सारा जल गायब होने लगा। आकाश से वर्षा रूक गई और पृथ्वी के नीचे से पानी का बहना भी रूक गया।
उत्पत्ति 8 : 3 (ERVHI)
पृथ्वी को डुबाने वाला पानी बरबर घटता चला गया। एक सौ पचास दिन बाद पानी इतना उतर गया कि जहाज फिर से भूमि पर आ गमा।
उत्पत्ति 8 : 4 (ERVHI)
जहाज अरारात के पहाड़ों में से एक पर आ टिका। यह सातवें महीने का सत्तरहवाँ दिन था।
उत्पत्ति 8 : 5 (ERVHI)
जल उतरता गया और दसवें महीने के पहले दिन पहाड़ों की चोटियाँ जल के ऊपर दिखाई देने लगी।
उत्पत्ति 8 : 6 (ERVHI)
जहाज में बनी खिड़की को नूह ने चालीस दिन बाद खोला।
उत्पत्ति 8 : 7 (ERVHI)
नूह ने एक कौवे को बाहर उड़ाया। कौवा उड़ कर तब तक फिरता रहा जब तक कि पृथ्वी पूरी तरह से न सूख गयी।
उत्पत्ति 8 : 8 (ERVHI)
नूह ने एक फाख्ता भी बाहर भेजा। वह जानना चाहता था कि पृथ्वी का पानी कम हुआ है या नहीं।
उत्पत्ति 8 : 10 (ERVHI)
फ़ाख्ते को कहीं बैठने की जगह नहीं मिली क्योंकि अभी तक पानी पृथ्वी पर फैला हुआ था। इसलिए वह नूह के पास जहाज़ पर वापस लौट आया। नूह ने अपना हाथ बढ़ा कर फ़ाख्ते को वापस जहाज़ के अन्दर ले लिया। सात दिन बाद नूह ने फिर फ़ाख्ते को भेजा।
उत्पत्ति 8 : 11 (ERVHI)
उस दिन दोपहर बाद फ़ाख्ता नूह के पास आया। फ़ाख्ते के मुँह में एक ताजी जैतून की पत्ती थी। यह चिन्ह नूह को यह बताने के लिए था कि अब पानी पृथ्वी पर धीरे—धीरे कम हो रहा है।
उत्पत्ति 8 : 12 (ERVHI)
नूह ने सात दिन बाद फिर फ़ाख्ते को भेजा। किन्तु इस समय फ़ाख्ता लौटा ही नहीं।
उत्पत्ति 8 : 13 (ERVHI)
उसके बाद नूह ने जहाज़ का दरवाजा खोला* दरवाजा खोला पर्दे को हटाया। नूह ने देखा और पाया कि भूमि सूखी है। यह वर्ष के पहले महीने का पहला दिन था। नूह छः सौ एक वर्ष का था।
उत्पत्ति 8 : 14 (ERVHI)
दूसरे महीने के सत्ताइसवें दिन तक भूमि पूरी तरह सूख गयी।
उत्पत्ति 8 : 15 (ERVHI)
तब परमेश्वर ने नूह से कहा,
उत्पत्ति 8 : 16 (ERVHI)
“जहाज़ को छोड़ो। तुम, तुम्हारी पत्नी, तुम्हारे पुत्र और उनकी पत्नियाँ सभी अब बाहर निकलों।
उत्पत्ति 8 : 17 (ERVHI)
हर एक जीवित प्राणी, सभी पक्षियों, जानवरों तथा पृथ्वी पर रेंगने वाले सभी को जहाज़ के बाहर लाओ। ये जानवर अनेक जानवर उत्पन्न करेंगे और पृथ्वी को फिर भर देंगे।”
उत्पत्ति 8 : 18 (ERVHI)
अतः नूह अपने पुत्रों, अपनी पत्नी, अपने पुत्रों की पत्नियों के साथ जहाज़ से बाहर आया।
उत्पत्ति 8 : 19 (ERVHI)
सभी जानवरों, सभी रेंगने वाले जीवों और सभी पक्षियों ने जहाज़ को छोड़ दिया। सभी जानवर जहाज़ से नर और मादा के जोड़े में बाहर आए।
उत्पत्ति 8 : 21 (ERVHI)
तब नूह ने यहोवा के लिए एक वेदी बनाई। उसने कुछ शुद्ध पक्षियों और कुछ शुद्ध जानवर† शुद्ध जानवर वे पक्षियों और जानवर जिनके बारे में यहोवा ने कहा कि ये भोजन और बलि बनाए जा सकते हैं। को लिया और उनको वेदी पर परमेश्वर को भेंट के रूप में जलाया। यहोवा इन बलियों की सुगन्ध पाकर खुश हुआ। यहोवा ने मन—ही—मन कहा, “मैं फिर कभी मनुष्य के कारण पृथ्वी को शाप नहीं दूँगा। मानव छोटी आयु से ही बुरी बातें सोचने लगता है। इसलिए जैसा मैंने अभी किया है इस तरह मैं अब कभी भी सारे प्राणियों को सजा नहीं दूँगा।
उत्पत्ति 8 : 22 (ERVHI)
जब तक यह पृथ्वी रहेगी तब तक इस पर फसल उगाने और फ़सल काटने का समय सदैव रहेगा। पृथ्वी पर गरमी और जाड़ा तथा दिन औ रात सदा होते रहेंगे।”
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