यशायाह 33 : 1 (ERVHI)
बुराई से और अधिक बुराई ही पैदा होती है देखो, तुम लोग लड़ाई करते हो और उन लोगों की वस्तुएँ लूटते हो और वह भी ऐसे लोगों कि जिन्होंने कभी कोई तुम्हारी वस्तु नहीं चोरी की। तुम ऐसे लोगों को धोखा देते रहे जिन्होंने कभी तुम्हें धोखा नहीं दिया। इसलिये जब तुम चोरी करना बन्द कर दोगे तो दूसरे लोग तुम्हारी वस्तुऐं चोरी करना शुरु कर देंगे। जब तुम लोगों को धोखा देना बंद कर दोगे तो लोग तुम्हें धोखा देना आरम्भ कर देंगे। तब तुम कहोगे।
यशायाह 33 : 2 (ERVHI)
हे यहोवा, हम पर दया कर। हमने तेरे सहारे की बाट जोही है। हे यहोवा, हर सुबह तू हमको शक्ति दे। जब हम विपत्ति में हो, तू हम को बचा ले।
यशायाह 33 : 3 (ERVHI)
तेरी शक्तिशाली ध्वनि से लोग डरा करते हैं और वे तुझ से दूर भाग जाते हैं। तेरी महानता के कारण राष्ट्र दूर भाग जाते हैं।
यशायाह 33 : 4 (ERVHI)
यशायाह 33 : 5 (ERVHI)
तुम लोग युद्ध में चोरी किया करते हो। वे सभी वस्तुएँ तुमसे ले ली जायेंगी। अनगिनत लोग आयेंगे और तुम्हारी धन—दौलत तुमसे छीन लेंगे। यह उस समय का जैसा होगा जब टिड्डी दल आता है और तुम्हारी सभी फसलों को चट कर जाता है।
यशायाह 33 : 6 (ERVHI)
यहोवा बहुत महान है। वह बहुत ऊँचे स्थान पर रहता है। यहोवा सिय्योन को खरेपन और सच्चाई से परिपूर्ण करता है।
यशायाह 33 : 7 (ERVHI)
हे यरूशलेम, तू सम्पन्न है। तू परमेश्वर के ज्ञान और विवेक से सम्पन्न है। तू मुक्ति से भरपूर है। तू यहोवा का आदर करता है और वही आदर तुझे सम्पन्न बनाता है। इसीलिए तू जान सकता है कि तू सदा बना रहेगा। किन्तु सुनो! वीर पुरुष बाहर पुकार रहे हैं और सन्देशवाहक जो शांति लाते हैं, ज़ोर—ज़ोर से बोल रहे हैं।
यशायाह 33 : 8 (ERVHI)
रास्ते नष्ट हो गये हैं। गलियों में कोई नहीं चल फिर रहा है। लोगों ने जो सन्धियाँ की थी, वे उन्होंने तोड़ दिये हैं। लोग साक्षियों के प्रमाण पर विश्वास करने से मना करते हैं। कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति का आदर नहीं करता।
यशायाह 33 : 9 (ERVHI)
धरती बीमार है और मर रही है। लबानोन मर रहा है और शारोन की घाटी सूखी और उजाड़ है। बाशान और कर्मेल जो कभी एक सुन्दर वृक्ष के समान विकसित हो रहे थे, अब उन वृक्षों का विकास रुक गया है।
यशायाह 33 : 10 (ERVHI)
यहोवा कहता है, “मैं अब खड़ा होऊँगा और अपनी महानता दर्शाऊँगा। अब मैं लोगों के लिए महत्वपूर्ण बनूँगा।
यशायाह 33 : 11 (ERVHI)
तुम लोगों ने बेकार के काम किये हैं। वे चीजें भूसे और सूखी घास के जैसे हैं। वे बेकार हैं। तुम्हारी आत्मा अग्नि के समान हो जायेगी और तुम्हें जला डालेगी।
यशायाह 33 : 12 (ERVHI)
लोग तब तक जलते रहेंगे जब तक उनकी हड्डियाँ जल कर चूने जैसी नहीं हो जातीं। लोग काँटों और सूखी झाड़ियों के समान जल्दी ही जल जायेंगे।
यशायाह 33 : 13 (ERVHI)
यशायाह 33 : 14 (ERVHI)
“दूर देशों के लोगों, जो काम मैंने किये हैं, तुम उनके बारे में सुनते हो। हे मेरे पास के लोगों, तुम मेरी शक्ति को समझते हो।”
यशायाह 33 : 15 (ERVHI)
सिय्योन में पापी डरे हुए हैं। वे लोग जो बुरे काम किया करते हैं, डर से थर—थऱ काँप रहे हैं। वे कहते हैं, “क्या इस विनाशकारी आग से हम में से कोई बच सकता है कौन रह सकता है इस आग के निकट जो सदा—सदा के लिये जलती रहती है” वे लोग ही इस आग में से बच पायेंगे जो अच्छे हैं, सच्चे हैं। वे लोग पैसे के लिये दूसरों को हानि नहीं पहुँचाना चाहते। वे लोग घूस नहीं लेते। दूसरे लोगों की हत्याओं की योजना को वे सुनने तक से मना कर देते हैं। बुरे काम करने की योजनाओं को वे देखना भी नहीं चाहते।
यशायाह 33 : 16 (ERVHI)
ऐसे लोग ऊँचे स्थानों पर सुरक्षा पूर्वक निवास करेंगे। ऊँची चट्टान की गढ़ियों में वे सुरक्षित रहेंगे। ऐसे लोगों के पास सदा ही खाने को भोजन और पीने को जल रहेगा।
यशायाह 33 : 17 (ERVHI)
तुम्हारी आँखे उस राजा (परमेश्वर) का, उसकी सुंदरता में दर्शन करेंगी। तुम उस महान धरती को देखोगे।
यशायाह 33 : 18 (ERVHI)
(18-19)बीते हुए दिनों में तुमने जो कष्ट उठाये हैं, तुम उनके बारे में सोचोगे। तुम सोचोगे, “दूसरे देशों के वे लोग कहाँ हँ वे लोग ऐसी बोली बोला करते थे, जिसे हम समझ नहीं सकते थे। दूसरे देशों के वे सेवक और कर एकत्र करने वाले कहाँ है वे गुप्तचर जिन्होंने हमारी सुरक्षा मिनारों का लेखा जोखा लिया था, कहाँ हैं वे सब समाप्त हो गये!”
यशायाह 33 : 19 (ERVHI)
परमेश्वर यरूशलेम को बचायेगा
यशायाह 33 : 20 (ERVHI)
हमारे धर्मिक उत्सवों की नगरी, सिय्योन को देखो। विश्राम निवास के उस सुन्दरस्थान यरूशलेम को देखो। यरूशलेम उस तम्बू के समान है जिसे कभी उखाड़ा नहीं जायेगा। वे खूँटे जो उसे अपने स्थान पर थामे रखते हैं, कभी उखाड़े नहीं जायेंगें। उसके रस्से कभी टूटेंगे नहीं।
यशायाह 33 : 21 (ERVHI)
(21-23)वहाँ हमारे लिए शक्तिशाली यहोवा विस्तृत झरनों और नदियों वाले एक स्थान के समान होगा। किन्तु उन नदियों पर कभी शत्रु की नौकाएँ अथवा शक्तिशाली जहाज़ नहीं होंगे। उन नौकाओं पर काम करने वाले तुम लोग रस्सियों को नहीं थामे रख सके। तुम मस्तूल को मजबूत नहीं बनाये रख सके। सो तुम अपनी पालों को भी नहीं खोल पाओगे। क्यों क्योंकि यहोवा हमारा न्यायकर्ता है। यहोवा हमारे लिए नियम बनाता है। यहोवा हमारा राजा है। वह हमारी रक्षा करता है। इसी से यहोवा हमें बहुत सा धन देगा। यहाँ तक कि अपाहिज लोग भी युद्ध में बहुत सा धन जीत लेंगे।
यशायाह 33 : 22 (ERVHI)
यशायाह 33 : 23 (ERVHI)
यशायाह 33 : 24 (ERVHI)
वहाँ रहने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं कहेगा, “मैं रोगी हूँ।” वहाँ रहने वाले लोग ऐसे लोग हैं जिनके पाप क्षमा कर दिये गये हैं।

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