यशायाह 35 : 1 (ERVHI)
परमेश्वर अपने लोगों को सुख देगा सूखा रेगिस्तान बहुत खुशहाल हो जायेगा। रेगिस्तान प्रसन्न होगा और एक फूल के समान विकसित होगा।
यशायाह 35 : 2 (ERVHI)
वह रेगिस्तान खिलते हुये फलों से भर उठेगा और अपनी प्रसन्नता दर्शाने लगेगा। ऐसा लगेगा जैसे रेगिस्तान आनन्द में भरा नाच रहा है। यह रेगिस्तान ऐसा सुन्दर हो जायेगा जैसा लबानोन का वन है, कर्मेल का पहाड़ है और शारोन की घाटी है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि सभी लोग यहोवा की महिमा का दर्शन करेंगे। लोग हमारे परमेश्वर की महानता को देखेंगे।
यशायाह 35 : 3 (ERVHI)
दुर्बल बाँहों को फिर से शक्तिपूर्ण बनाओ। दुर्बल घुटनों को मज़बूत करो।
यशायाह 35 : 4 (ERVHI)
लोग डरे हुए हैं और असमंजस में पड़े हैं। उन लोगों से कहो, “शक्तिशाली बनो! डरो मत!” देखो, तुम्हारा परमेश्वर आयेगा और तुम्हारे शत्रुओं को जो उन्होंने किया है, उसका दण्ड देगा। वह आयेगा और तुम्हें तुम्हारा प्रतिफल देगा और तुम्हारी रक्षा करेगा।
यशायाह 35 : 5 (ERVHI)
फिर तो अन्धे देखने लगेंगे। उनकी आँखें खुल जायेंगी। फिर तो बहरे लोग सुन सकेंगे। उन के कान खुल जायेंगे।
यशायाह 35 : 6 (ERVHI)
लूले—लंगड़े लोग हिरन की तरह नाचने लगेंगे और ऐसे लोग जो अभी गूंगे हैं, प्रसन्न गीत गाने में अपनी वाणी का उपयोग करने लगेंगे। ऐसा उस समय होगा जब मरूभूमि में पानी के झरने बहने लगेंगे। सूखी धरती पर झरने बह चलेंगे।
यशायाह 35 : 7 (ERVHI)
लोग अभी जल के रूप में मृग मरीचिका को देखते हैं किन्तु उस समय जल के सच्चे सरोवर होंगे। सूखी धरती पर कुएँ हो जायेंगे। सूखी धरती से जल फूट बहेगा। जहाँ एक समय जंगली जानवरों का राज था, वहाँ लम्बे लम्बे पानी के पौधे उग आयेंगे।
यशायाह 35 : 8 (ERVHI)
उस समय, वहाँ एक राह बन जायेगी और इस राजमार्ग का नाम होगा “पवित्र मार्ग”। उस राह पर अशुद्ध लोगों को चलने की अनुमति नहीं होगी। कोई भी मूर्ख उस राह पर नहीं चलेगा। बस परमेश्वर के पवित्र लोग ही उस पर चला करेंगे।
यशायाह 35 : 9 (ERVHI)
उस सड़क पर कोई खतरा नहीं होगा। लोगों को हानि पहुँचाने के लिये उस सड़क पर शेर नहीं होंगे। कोई भी भयानक जन्तु वहाँ नहीं होगा। वह सड़क उन लोगों के लिए होगी जिन्हें परमेश्वर ने मुक्त किया है।
यशायाह 35 : 10 (ERVHI)
परमेश्वर अपने लोगों को मुक्त करेगा और वे लोग फिर लौट कर वहाँ आयेंगे। लोग जब सिय्योन पर आयेंगे तो वे प्रसन्न होंगे। वे सदा सदा के लिए प्रसन्न हो जायेंगे। उनकी प्रसन्नता उनके माथों पर एक मुकुट के समान होगी। वे अपनी प्रसन्नता और आनन्द से पूरी तरह भर जायेंगे। शोक और दु:ख उनसे दूर बहुत दूर चले जायेंगे।
❮
❯
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10