यशायाह 46 : 1 (ERVHI)
झुठे देव व्यर्थ हैं बेल और नबो तेरे आगे झुका दिए गये हैं। झूठे देवता तो बस केवल मूर्ति हैं। “लोगों ने इन बुतों को जानवरों की पीठों पर लाद दिया है। ये बुत बस एक बोझ हैं, जिन्हें ढोना ही है। ये झूठे देवता कुछ नहीं कर सकते। बस लोगों को थका सकते हैं।
यशायाह 46 : 2 (ERVHI)
इन सभी झूठे देवताओं को झुका दिया जाएगा। ये बच कर कहीं नहीं भाग सकेंगे। उन सभी को बन्दियों की तरह ले जाया जायेगा।
यशायाह 46 : 3 (ERVHI)
“याकूब के परिवार, मेरी सुन! हे इस्राएल के लोगों जो अभी जीवित हो, सुनो! मैं तुम्हें तब से धारण किए हूँ जब अभी तुम माता के गर्भ में ही थे।
यशायाह 46 : 4 (ERVHI)
मैं तुम्हें तब से धारण किए हूँ जब से तुम्हारा जन्म हुआ है और मैं तुम्हें तब भी धारण करूँगा, जब तुम बूढ़े हो जाओगे। तुम्हारे बाल सफेद हो जायेंगे, मैं तब भी तुम्हें धारण किए रहूँगा क्योंकि मैंने तुम्हारी रचना की है। मैं तुम्हें निरन्तर धारण किए रहूँगा और तुम्हारी रक्षा करूँगा।
यशायाह 46 : 5 (ERVHI)
“क्या तुम किसी से भी मेरी तुलना कर सकते हो नहीं! कोई भी व्यक्ति मेरे समान नहीं है। मेरे बारे में तुम हर बात नही समझ सकते। मेरे जैसा तो कुछ है ही नहीं।
यशायाह 46 : 6 (ERVHI)
कुछ लोग सोने और चाँदी से धनवान हैं। सोने चाँदी के लिए उन्होंने अपनी थैलियों के मुँह खोल दिए हैं। वे अपनी तराजुओं से चाँदी तौला करते हैं। ये लोग लकड़ी से झूठे देवता बनाने के लिये कलाकारों को मजदूरी देते हैं और फिर वे लोग उसी झुठे देवता के आगे झुकते हैं और उसकी पूजा करते हैं।
यशायाह 46 : 7 (ERVHI)
वे लोग झूठे देवता को अपने कन्धों पर रख कर ले चलते हैं। वह झूठा देवता तो बेकार है। लोगों को उसे ढोना पड़ता है। लोग उस झूठे देवता को धरती पर स्थापित करते हैं। किन्तु वह झूठा देवता हिल—डुल भी नहीं पाता। वह झूठा देवता अपने स्थान से चल कर कहीं नहीं जाता। लोग उसके सामने चिल्लाते हैं किन्तु वह कभी उत्तर नहीं देगा। वह झूठा देवता तो बस मूर्ति है। वह लोगों को उनके कष्टों से नहीं उबार सकता।
यशायाह 46 : 8 (ERVHI)
“तुम लोगों ने पाप किये हैं। तुम्हें इन बातों को फिर से याद करना चाहिये। इन बातों को याद करो और सुदृढ़ हो जाओ।
यशायाह 46 : 9 (ERVHI)
उन बातों को याद करो जो बहुत पहले घटी थीं। याद रखो कि मैं परमेश्वर हूँ। कोई दूसरा अन्य परमेश्वर नहीं है। वे झूठे देवता मेरे जैसे नहीं हैं।
यशायाह 46 : 10 (ERVHI)
“प्रारम्भ में मैंने तुम्हें उन बातों के बारे में बता दिया था जो अंत में घटेगी। बहुत पहले से ही मैंने तुम्हें वे बातें बता दी हैं, जो अभी घटी नहीं हैं। जब मैं किसी बात की कोई योजना बनाता हूँ तो वह घटती है। मैं वही करता हूँ जो करना चाहता हूँ।
यशायाह 46 : 11 (ERVHI)
देखो, पूर्व दिशा से मैं एक व्यक्ति को बुला रहा हूँ। वह व्यक्ति एक उकाब के समान होगा। वह एक दूर देश से आयेगा और वह उन कामों को करेगा जिन्हें करने की योजना मैंने बनाई है। मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि मैं इसे करूँगा और मैं उसे करूँगा ही। क्योंकि उसे मैंने ही बनाया है। मैं उसे लाऊँगा ही!
यशायाह 46 : 12 (ERVHI)
“तुम में से कुछ सोचा करते हो कि तुम में महान शक्ति है किन्तु तुम भले काम नहीं करते हो। मेरी सुनों।
यशायाह 46 : 13 (ERVHI)
मैं भले काम करूँगा! मैं शीघ्र ही अपने लोगों की रक्षा करूँगा। मैं अपने सिय्योन और अपने अद्भुत इस्राएल के लिये उद्धार लाऊँगा।”
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