यशायाह 66 : 1 (ERVHI)
{परमेश्वर सभी जातियों का न्याय करेगा} [PS] यहोवा यह कहता है, [QBR] “आकाश मेरा सिंहासन है। [QBR2] धरती मेरे पाँव की चौकी बनी है। [QBR] सो क्या तू यह सोचता है कि तू मेरे लिये भवन बना सकता है नहीं, तू नहीं बना सकता। [QBR2] क्या तू मुझको विश्रामस्थल दे सकता है नहीं, तू नहीं दे सकता। [QBR]
यशायाह 66 : 2 (ERVHI)
मैंने स्वयं ही ये सारी वस्तुएँ रची हैं। [QBR2] ये सारी वस्तुएँ यहाँ टिकी हैं क्योंकि उन्हें मैंने बनाया है। [QBR] यहोवा ने ये बातें कहीं थी। [QBR2] मुझे बता कि मैं कैसे लोगों की चिन्ता किया करता हूँ मुझको दीन हीन लोगों की चिंता है। [QBR] ये ही वे लोग हैं जो बहुत दु:खी रहते हैं। [QBR2] ऐसे ही लोगों की मैं चिंता किया करता हूँ जो मेरे वचनो का पालन किया करते हैं। [QBR]
यशायाह 66 : 3 (ERVHI)
मुझे बलि के रूप में अर्पित करने को कुछ लोग बैल का वध किया करते हैं [QBR2] किन्तु वे लोगों से मारपीट भी करते हैं। [QBR] मुझे अर्पित करने को ये भेड़ों को मारते हैं [QBR2] किन्तु ये कुत्तों की गर्दन भी तोड़ते हैं [QBR] और सुअरों का लहू ये मुझ पर चढ़ाते हैं। [QBR2] ऐसे लोगों को धूप के जलाने की याद बनी रहा करती हैं [QBR] किन्तु वे व्यर्थ की अपनी प्रतिमाओं से प्रेम करते हैं। [QBR2] ऐसे ये लोग अपनी मनचीती राहों पर चला करते हैं, मेरी राहों पर नहीं। [QBR] वे पूरी तरह से अपने घिनौने मूर्ति के प्रेम में डूबे हैं। [QBR]
यशायाह 66 : 4 (ERVHI)
इसलिये मैंने यह निश्चय किया है कि मैं उनकी जूती उन्हीं के सिर करूँगा। [QBR2] मेरा यह मतलब है कि मैं उनको दण्ड दूँगा उन वस्तुओं को काम में लाते हुये जिनसे वे बहुत डरते हैं। [QBR] मैंने उन लोगों को पुकारा था किन्तु उन्होंने नहीं सुना। [QBR2] मैंने उनसे बोला था [QBR] किन्तु उन्होंने सुना ही नहीं। [QBR2] इसलिये अब मैं भी उनके साथ ऐसा ही करूँगा। [QBR] वे लोग उन सभी बुरे कामों को करते रहे हैं जिनको मैंने बुरा बताया था। [QBR2] उन्होंने ऐसे काम करने को चुने जो मुझको नहीं भाते थे।”
यशायाह 66 : 5 (ERVHI)
हे लोगों, यहोवा का भय विस्मय मानने वालों [QBR] और यहोवा के आदेशों का अनुसरण करने वालों, [QBR2] उन बातों को सुनो। [QBR] यहोवा कहता है, “तुमसे तुम्हारे भाईयों ने घृणा की क्योंकि तुम मेरे पीछे चला करते थे, [QBR2] वे तुम्हारे विरूद्ध हो गये। [QBR] तुम्हारे बंधु कहा करते थे: ‘जब यहोवा सम्मानित होगा [QBR] हम तुम्हारे पीछे हो लेंगे। [QBR2] फिर तुम्हारे साथ में हम भी खुश हो जायेंगे।’ [QBR2] ऐसे उन लोगों को दण्ड दिया जायेगा।” [PS]
यशायाह 66 : 6 (ERVHI)
{दण्ड और नयी जाति} [PS] सुनो तो, नगर और मन्दिर से एक ऊँची आवाज़ सुनाई दे रही है। यहोवा द्वारा अपने विरोधियों को, जो दण्ड दिया जा रहा है। वह आवाज उसी की है। यहोवा उन्हें वही दण्ड दे रहा है जो उन्हें मिलना चाहिये। [PE][PS]
यशायाह 66 : 7 (ERVHI)
(7-8) “ऐसा तो नहीं हुआ करता कि प्रसव पीड़ा से पहले ही कोई स्त्री बच्चा जनती हो। ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि किसी स्त्री ने किसी पीड़ा का अनुभव करने से पहले ही अपने पुत्र को पैदा हुआ देखा हो। ऐसा कभी नहीं हुआ। इसी प्रकार किसी भी व्यक्ति ने एक दिन में कोई नया संसार आरम्भ होते हुए नहीं देखा। किसी भी व्यक्ति ने किसी ऐसी नयी जाति का नाम कभी नहीं सुना होगा जो एक ही दिन में आरम्भ हो गयी हो। धरती को बच्चा जनने के दर्द जैसी पीड़ा निश्चय ही पहले सहनी होगी। इस प्रसव पीड़ा के बाद ही वह धरती अपनी संतानों—एक नयी जाति को जन्म देगी।
यशायाह 66 : 8 (ERVHI)
जब मैं किसी स्त्री को बच्चा जनने की पीड़ा देता हूँ तो वह बच्चे को जन्म दे देती है।” [PE][PS] तुम्हारा यहोवा कहता है, “मैं तुम्हें बच्चा जनने की पीड़ा में डालकर तुम्हारा गर्भद्वार बंद नहीं कर देता। मैं तुम्हें इसी तरह इन विपत्तियों में बिना एक नयी जाति प्रदान किये, नहीं डालूँगा।”
यशायाह 66 : 9 (ERVHI)
हे यरूशलेम, प्रसन्न रहो! हे लोगों, यरूशलेम के प्रेमियों, तुम निश्चय ही प्रसन्न रहो! [QBR2] यरूशलेम के संग दु:ख की बातें घटी थी इसलिये तुममें से कुछ लोग भी दु:खी हैं। [QBR] किन्तु अब तुमको चाहिये कि तुम बहुत—बहुत प्रसन्न हो जाओ। [QBR]
यशायाह 66 : 10 (ERVHI)
क्यों क्योंकि अब तुम को दया ऐसे मिलेगी जैसे [QBR2] छाती से दूध मिल जाया करता है। [QBR] तुम यरूशलेम के वैभव का सच्चा आनन्द पाओगे। [QBR]
यशायाह 66 : 11 (ERVHI)
यहोवा कहता है, “देखो, मैं तुम्हें शांति दूंगा। [QBR] यह शांति तुम तक ऐसे पहुँचेगी जैसे कोई महानदी बहती हुई पहुँच जाती है। [QBR2] सब धरती के राष्ट्रों की धन—दौलत बहती हुई तुम तक पहुँच जायेगी। [QBR] यह धन—दौलत ऐसे बहते हुये आयेगी जैसे कोई बाढ़ की धारा। [QBR2] तुम नन्हें बच्चों से होवोगे, तुम दूध पीओगे, तुम को उठा लिया जायेगा [QBR2] और गोद में थाम लिये जायेगा, तुम्हें घुटनों पर उछाला जायेगा। [QBR]
यशायाह 66 : 12 (ERVHI)
मैं तुमको दुलारूँगा जैसे माँ अपने बच्चे को दुलारती है। [QBR2] तुम यरूशलेम के भीतर चैन पाओगे।”
यशायाह 66 : 13 (ERVHI)
तुम वे वस्तुएँ देखोगे जिनमें तुम्हें सचमुच रस आता है। [QBR2] तुम स्वतंत्र हो कर घास से बढ़ोगे। [QBR] यहोवा की शक्ति को उसके लोग देखेंगे, [QBR2] किन्तु यहोवा के शत्रु उसका क्रोध देखेंगे। [QBR]
यशायाह 66 : 14 (ERVHI)
देखो, अग्नि के साथ यहोवा आ रहा है। [QBR2] धूल के बादलों के साथ यहोवा की सेनाएँ आ रही हैं। [QBR] यहोवा अपने क्रोध से उन व्यक्तियों को दण्ड देगा। [QBR2] यहोवा जब क्रोधित होगा तो उन व्यक्तियों को दण्ड देने के लिये आग की लपटों का प्रयोग करेगा। [QBR]
यशायाह 66 : 15 (ERVHI)
यहोवा लोगों का न्याय करेगा और फिर आग और अपनी तलवार से वह अपराधी लोगों को नष्ट कर डालेगा। [QBR2] यहोवा उन बहुत से लोगों को नष्ट कर देगा। [QBR2] वह अपनी तलवार से लाशों के अम्बार लगा देगा। [PS]
यशायाह 66 : 16 (ERVHI)
यहोवा का कहना है, “वे लोग जो अपने बगीचों को पूजने के लिए स्नान करके पवित्र होते हैं और एक दूसरे के पीछे परिक्रमा करते हैं, वे जो सुअर का माँस खाते हैं और चूहे जैसे घिनौने जीव जन्तुओं को खाते हैं, इन सभी लोगों का नाश होगा। [PE][PS]
यशायाह 66 : 17 (ERVHI)
“बुरे विचारों में पड़े हुए वे लोग बुरे काम किया करते हैं। इसलिए उन्हें दण्ड देने को मैं आ रहा हूँ। मैं सभी जातियों और सभी लोगों को इकट्ठा करूँगा। परस्पर एकत्र हुए सभी लोग मेरी शक्ति को देखेंगे।
यशायाह 66 : 18 (ERVHI)
कुछ लोगों पर मैं एक चिन्ह लगा दूँगा, मैं उनकी रक्षा करूँगा। इन रक्षा किये लोगों में से कुछ लोगों को मैं तर्शीश लिव्या और लूदी के लोगों के पास भेजूँगा। (इन देशों के लोग धनुर्धारी हुआ करते हैं।) तुबाल, यूनान और सभी दूर देशों में मैं उन्हें भेजूँगा। दूर देशों के उन लोगों ने मेरे उपदेश कभी नहीं सुने। उन लोगों ने मेरी महिमा का दर्शन भी नहीं किया है। सो वे बचाए गए लोग उन जातियों को मेरी महिमा के बारे में बतायेंगे।
यशायाह 66 : 19 (ERVHI)
वे तुम्हारे सभी भाइयों और बहनों को सभी देशों से यहाँ ले आयेंगे। तुम्हारे भाइयों और बहनों को वे मेरे पवित्र पर्वत पर यरूशलेम में ले आयेंगे। तुम्हारे भाई बहन यहाँ घोड़ों, खच्चरों, ऊँटों, रथों और पालकियों में बैठ कर आयेंगे। तुम्हारे वे भाई—बहन यहाँ उसी प्रकार से उपहार के रूप में लाये जायेंगे जैसे इस्राएल के लोग शुद्ध थालों में रख कर यहोवा के मन्दिर में अपने उपहार लाते हैं।
यशायाह 66 : 20 (ERVHI)
इन लोगों में से कुछ लोगों को मैं याजकों और लेवियों के रूप में चुन लूँगा। ये बातें यहोवा ने बताई थीं। [PS]
यशायाह 66 : 21 (ERVHI)
{नये आकाश और नयी धरती} [PS] “मैं एक नये संसार की रचना करूँगा। ये नये आकाश और नयी धरती सदा—सदा टिके रहेंगे और उसी प्रकार तुम्हारे नाम और तुम्हारे वंशज भी सदा मेरे साथ रहेंगे।
यशायाह 66 : 22 (ERVHI)
हर सब्त के दिन और महीने के पहले दिन वे सभी लोग मेरी उपासना के लिये आया करेंगे। [PE][PS]
यशायाह 66 : 23 (ERVHI)
“ये लोग मेरी पवित्र नगरी में होंगे और यदि कभी वे नगर से बाहर जायेंगे, तो उन्हें उन लोगों की लाशें दिखाई देंगी जिन्होंने मेरे विरूद्ध पाप किये हैं। उन लाशों में कीड़े पड़े हुए होंगे और वे कीड़े कभी नहीं मरेंगे। उन देहों को आग जला डालेगी और वह आग कभी समाप्त नहीं होगी।” [PE]
यशायाह 66 : 24 (ERVHI)

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