मरकुस 1 : 1 (ERVHI)
यीशु के आने की तैयारी
(मत्ती 3:1-12; लूका 3:1-9, 15-17; यूहन्ना 1:19-28)
यह परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह के शुभ संदेश का प्रारम्भ है।* परमेश्वर के पुत्र कुछ यूनानी प्रतियों में यह शब्द नहीं है।
मरकुस 1 : 2 (ERVHI)
भविष्यवक्ता यशायाह की पुस्तक में लिखा है कि: “सुन! मैं अपने दूत को तुझसे पहले भेज रहा हूँ। वह तेरे लिये मार्ग तैयार करेगा।” मलाकी 3:1
मरकुस 1 : 3 (ERVHI)
“जंगल में किसी पुकारने वाले का शब्द सुनाई दे रहा है: ‘प्रभु के लिये मार्ग तैयार करो। और उसके लिये राहें सीधी बनाओ।’ ” यशायाह 40:3
मरकुस 1 : 4 (ERVHI)
यूहन्ना लोगों को जंगल में बपतिस्मा देते आया था। उसने लोगों से पापों की क्षमा के लिए मन फिराव का बपतिस्मा लेने को कहा।
मरकुस 1 : 5 (ERVHI)
फिर समूचे यहूदिया देश के और यरूशलेम के लोग उसके पास गये और उस ने यर्दन नदी में उन्हें बपतिस्मा दिया। क्योंकि उन्होंने अपने पाप मान लिये थे।
मरकुस 1 : 6 (ERVHI)
मरकुस 1 : 7 (ERVHI)
यूहन्ना ऊँट के बालों के बने वस्त्र पहनता था और कमर पर चमड़े की पेटी बाँधे रहता था। वह टिड्डियाँ और जंगली शहद खाया करता था। वह इस बात का प्रचार करता था: “मेरे बाद मुझसे अधिक शक्तिशाली एक व्यक्ति आ रहा है। मैं इस योग्य भी नहीं हूँ कि झुक कर उसके जूतों के बन्ध तक खोल सकूँ।
मरकुस 1 : 8 (ERVHI)
मैं तुम्हें जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह पवित्र आत्मा से तुम्हें बपतिस्मा देगा।”
मरकुस 1 : 9 (ERVHI)
यीशु का बपतिस्मा और उसकी परीक्षा
(मत्ती 3:13-17; लूका 3:21-22)
उन दिनों ऐसा हुआ कि यीशु नासरत से गलील आया और यर्दन नदी में उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया।
मरकुस 1 : 10 (ERVHI)
जैसे ही वह जल से बाहर आया उसने आकाश को खुले हुए देखा। और देखा कि एक कबूतर के रूप में आत्मा उस पर उतर रहा है।
मरकुस 1 : 11 (ERVHI)
फिर आकाशवाणी हुई: “तू मेरा पुत्र है, जिसे मैं प्यार करता हूँ। मैं तुझ से बहुत प्रसन्न हूँ।”
मरकुस 1 : 12 (ERVHI)
यीशु की परीक्षा
(मत्ती 4:1-11; लूका 4:1-13)
फिर आत्मा ने उसे तत्काल बियाबान जंगल में भेज दिया।
मरकुस 1 : 13 (ERVHI)
जहाँ चालीस दिन तक शैतान उसकी परीक्षा लेता रहा। वह जंगली जानवरों के साथ रहा और स्वर्गदूतों ने उसकी सेवा करते रहे।
मरकुस 1 : 14 (ERVHI)
यीशु के कार्य का आरम्भ
(मत्ती 4:12-17; लूका 4:14-15)
यूहन्ना को बंदीगृह में डाले जाने के बाद यीशु गलील आया। और परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने लगा।
मरकुस 1 : 15 (ERVHI)
उसने कहा, “समय पूरा हो चुका है। परमेश्वर का राज्य आ रहा है। मन फिराओ और सुसमाचार में विश्वास करो।”
मरकुस 1 : 16 (ERVHI)
यीशु द्वारा कुछ शिष्यों का चयन
(मत्ती 4:18-22; लूका 5:1-11)
जब यीशु गलील झील के किनारे से हो कर जा रहा था उसने शमौन और शमौन के भाई अन्द्रियास को देखा। क्योंकि वे मछुआरा थे इसलिए झील में जाल डाल रहे थे।
मरकुस 1 : 17 (ERVHI)
यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे आओ, और मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुआरा बनाऊँगा।”
मरकुस 1 : 18 (ERVHI)
उन्होंने तुरंत अपने जाल छोड़ दिये और उसके पीछे चल पड़े।
मरकुस 1 : 19 (ERVHI)
फिर थोड़ा आगे बड़ कर यीशु ने जब्दी के बेटे याकूब और उसके भाई यूहन्ना को देखा। वे अपनी नाव में जालों की मरम्मत कर रहे थे।
मरकुस 1 : 20 (ERVHI)
उसने उन्हें तुरंत बुलाया। सो वे अपने पिता जब्दी को मज़दूरों के साथ नाव में छोड़ कर उसके पीछे चल पड़े।
मरकुस 1 : 21 (ERVHI)
दुष्टात्मा के चंगुल से छुटकारा
(लूका 4:31-37)
और कफरनहूम पहुँचे। फिर अगले सब्त के दिन यीशु आराधनालय में गया और लोगों को उपदेश देने लगा।
मरकुस 1 : 22 (ERVHI)
उसके उपदेशों पर लोग चकित हुए। क्योंकि वह उन्हें किसी शास्त्र ज्ञाता की तरह नहीं बल्कि एक अधिकारी की तरह उपदेश दे रहा था।
मरकुस 1 : 23 (ERVHI)
उनकी यहूदी आराधनालय में संयोग से एक ऐसा व्यक्ति भी था जिसमें कोई दुष्टात्मा समायी थी। वह चिल्ला कर बोला,
मरकुस 1 : 24 (ERVHI)
“नासरत के यीशु! तुझे हम से क्या चाहिये? क्या तू हमारा नाश करने आया है? मैं जानता हूँ तू कौन है, तू परमेश्वर का पवित्र जन है।”
मरकुस 1 : 25 (ERVHI)
इस पर यीशु ने झिड़कते हुए उससे कहा, “चुप रह! और इसमें से बाहर निकल!”
मरकुस 1 : 26 (ERVHI)
दुष्टात्मा ने उस व्यक्ति को झिंझोड़ा और वह ज़ोर से चिल्लाती हुई उसमें से निकल गयी।
मरकुस 1 : 27 (ERVHI)
हर व्यक्ति चकित हो उठा। इतना चकित, कि सब आपस में एक दूसरे से पूछने लगे, “यह क्या है? अधिकार के साथ दिया गया एक नया उपदेश! यह दुष्टात्माओं को भी आज्ञा देता है और वे उसे मानती हैं।”
मरकुस 1 : 28 (ERVHI)
इस तरह गलील और उसके आसपास हर कहीं यीशु का नाम जल्दी ही फैल गया।
मरकुस 1 : 29 (ERVHI)
यीशु द्वारा अनेक व्यक्तियों का चंगा किया जाना
(मत्ती 8:14-17; लूका 4:38-41)
फिर वे आराधनालय से निकल कर याकूब और यूहन्ना के साथ सीधे शमौन और अन्द्रियास के घर पहुँचे।
मरकुस 1 : 30 (ERVHI)
शमौन की सास ज्वर से पीड़ित थी इसलिए उन्होंने यीशु को तत्काल उसके बारे में बताया।
मरकुस 1 : 31 (ERVHI)
यीशु उसके पास गया और हाथ पकड़ कर उसे उठाया। तुरंत उसका ज्वर उतर गया और वह उनकी सेवा करने लगी।
मरकुस 1 : 32 (ERVHI)
सूरज डूबने के बाद जब शाम हुई तो वहाँ के लोग सभी रोगियों और दुष्टात्माओं से पीड़ित लोगों को उसके पास लाये।
मरकुस 1 : 33 (ERVHI)
सारा नगर उसके द्वार पर उमड़ पड़ा।
मरकुस 1 : 34 (ERVHI)
उसने तरह तरह के रोगों से पीड़ित बहुत से लोगों को चंगा किया और बहुत से लोगों को दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया। क्योंकि वे उसे जानती थीं इसलिये उसने उन्हें बोलने नहीं दिया।
मरकुस 1 : 35 (ERVHI)
लोगों को सुसमाचार सुनाने की तैयारी
(लूका 4:42-44)
अँधेरा रहते, सुबह सवेरे वह घर छोड़ कर किसी एकांत स्थान पर चला गया जहाँ उसने प्रार्थना की।
मरकुस 1 : 36 (ERVHI)
किन्तु शमौन और उसके साथी उसे ढूँढने निकले
मरकुस 1 : 37 (ERVHI)
और उसे पा कर बोले, “हर व्यक्ति तेरी खोज में है।”
मरकुस 1 : 38 (ERVHI)
इस पर यीशु ने उनसे कहा, “हमें दूसरे नगरों में जाना ही चाहिये ताकि वहाँ भी उपदेश दिया जा सके क्योंकि मैं इसी के लिए आया हूँ।”
मरकुस 1 : 39 (ERVHI)
इस तरह वह गलील में सब कहीं उनकी आराधनालयों में उपदेश देता और दुष्टात्माओं को निकालता गया।
मरकुस 1 : 40 (ERVHI)
कोढ़ से छुटकारा
(मत्ती 8:1-4; लूका 5:12-16)
मरकुस 1 : 41 (ERVHI)
फिर एक कोढ़ी उसके पास आया। उसने उसके सामने झुक कर उससे विनती की और कहा, “यदि तू चाहे, तो तू मुझे ठीक कर सकता है।” उसे उस पर गुस्सा आया और उसने अपना हाथ फैला कर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम अच्छे हो जाओ!” उसे … गुस्सा आया अधिकतर यूनानी प्रतियों में “उसे उस पर दया आयी” है। लेकिन यह कहना बड़ा कठिन है कि कुछ यूनानी एवं कुछ लातेनी प्रतियों में “उसे उस पर गुस्सा आया” यह क्यों है? बहुत से विद्वान अब इसे ही मूलपाठ मानते हैं।
मरकुस 1 : 42 (ERVHI)
और उसे तत्काल कोढ़ से छुटकारा मिल गया। वह पूरी तरह शुद्ध हो गया।
मरकुस 1 : 43 (ERVHI)
यीशु ने उसे कड़ी चेतावनी दी और तुरन्त भेज दिया।
मरकुस 1 : 44 (ERVHI)
यीशु ने उससे कहा, “देख इसके बारे में तू किसी को कुछ नहीं बताना। किन्तु याजक के पास जा और उसे अपने आप को दिखा। और मूसा के नियम के अनुसार अपने ठीक होने की भेंट अर्पित कर ताकि हर किसी को तेरे ठीक होने की साक्षी मिले।”
मरकुस 1 : 45 (ERVHI)
परन्तु वह बाहर जाकर खुले तौर पर इस बारे में लोगों से बातचीत करके इसका प्रचार करने लगा। इससे यीशु फिर कभी नगर में खुले तौर पर नहीं जा सका। वह एकांत स्थानों में रहने लगा किन्तु लोग हर कहीं से उसके पास आते रहे।

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