मरकुस 7 : 1 (ERVHI)
{मनुष्य के नियमों से परमेश्वर का विधान महान है} (मत्ती 15:1-20) [PS] तब फ़रीसी और कुछ धर्मशास्त्री जो यरूशलेम से आये थे, यीशु के आसपास एकत्र हुए।
मरकुस 7 : 2 (ERVHI)
उन्होंने देखा कि उसके कुछ शिष्य बिना हाथ धोये भोजन कर रहे हैं।
मरकुस 7 : 3 (ERVHI)
क्योंकि अपने पुरखों की रीति पर चलते हुए फ़रीसी और दूसरे यहूदी जब तक सावधानी के साथ पूरी तरह अपने हाथ नहीं धो लेते भोजन नहीं करते।
मरकुस 7 : 4 (ERVHI)
ऐसे ही बाज़ार से लाये खाने को वे बिना धोये नहीं खाते। ऐसी ही और भी अनेक रुढ़ियाँ हैं, जिनका वे पालन करते हैं। जैसे कटोरों, कलसों, ताँबे के बर्तनों को माँजना, धोना आदि। [*बर्तनों कुछ यूनानी प्रतियों में “और चौकियों” को जोड़ा गया है।] [PE][PS]
मरकुस 7 : 5 (ERVHI)
इसलिये फरीसियों और धर्मशास्त्रियों ने यीशु से पूछा, “तुम्हारे शिष्य पुरखों की परम्परा का पालन क्यों नहीं करते? बल्कि अपना खाना बिना हाथ धोये ही खा लेते हैं।” [PE][PS]
मरकुस 7 : 6 (ERVHI)
यीशु ने उनसे कहा, “यशायाह ने तुम जैसे कपटियों के बारे में ठीक ही भविष्यवाणी की थी। जैसा कि लिखा है: ‘ये मेरा आदर केवल होठों से करते है, [QBR2] पर इनके मन मुझसे सदा दूर हैं। [QBR]
मरकुस 7 : 7 (ERVHI)
मेरे लिए उनकी उपासना व्यर्थ है, [QBR2] क्योंकि उनकी शिक्षा केवल लोगों द्वारा बनाए हुए सिद्धान्त हैं।’ यशायाह 29:13
मरकुस 7 : 8 (ERVHI)
तुमने परमेश्वर का आदेश उठाकर एक तरफ रख दिया है और तुम मनुष्यों की परम्परा का सहारा ले रहे हो।” [PE][PS]
मरकुस 7 : 9 (ERVHI)
उसने उनसे कहा, “तुम परमेश्वर के आदेशों को टालने में बहुत चतुर हो गये हो ताकि तुम अपनी रूढ़ियों की स्थापना कर सको!
मरकुस 7 : 10 (ERVHI)
उदाहरण के लिये मूसा ने कहा, ‘अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, उसे निश्चय ही मार डाला जाये।’
मरकुस 7 : 11 (ERVHI)
पर तुम कहते हो कि यदि कोई व्यक्ति अपने माता-पिता से कहता है कि ‘मेरी जिस किसी वस्तु से तुम्हें लाभ पहुँच सकता था, मैंने परमेश्वर को समर्पित कर दी है।’
मरकुस 7 : 12 (ERVHI)
तो तुम उसके माता-पिता के लिये कुछ भी करना समाप्त कर देने की अनुमति देते हो।
मरकुस 7 : 13 (ERVHI)
इस तरह तुम अपने बनाये रीति-रिवाजों से परमेश्वर के वचन को टाल देते हो। ऐसी ही और भी बहुत सी बातें तुम लोग करते हो।” [PE][PS]
मरकुस 7 : 14 (ERVHI)
यीशु ने भीड़ को फिर अपने पास बुलाया और कहा, “हर कोई मेरी बात सुने और समझे।
मरकुस 7 : 15 (ERVHI)
ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो बाहर से मनुष्य के भीतर जा कर उसे अशुद्ध करे, बल्कि जो वस्तुएँ मनुष्य के भीतर से निकलतीं हैं, वे ही उसे अशुद्ध कर सकती हैं।”
मरकुस 7 : 16 (ERVHI)
[†कुछ यूनानी प्रतियों में पद 16 जोड़ा गया है: “यदि किसी के सुनने के कान हों तो सुन ले।”] [PE][PS]
मरकुस 7 : 17 (ERVHI)
फिर जब भीड़ को छोड़ कर वह घर के भीतर गया तो उसके शिष्यों ने उससे इस दृष्टान्त के बारे में पूछा।
मरकुस 7 : 18 (ERVHI)
तब उसने उनसे कहा, “क्या तुम भी कुछ नहीं समझे? क्या तुम नहीं देखते कि कोई भी वस्तु जो किसी व्यक्ति में बाहर से भीतर जाती है, वह उसे दूषित नहीं कर सकती।
मरकुस 7 : 19 (ERVHI)
क्योंकि वह उसके हृदय में नहीं, पेट में जाती है और फिर पखाने से होकर बाहर निकल जाती है।” (ऐसा कहकर उसने खाने की सभी वस्तुओं को शुद्ध कहा।) [PE][PS]
मरकुस 7 : 20 (ERVHI)
फिर उसने कहा, “मनुष्य के भीतर से जो निकलता है, वही उसे अशुद्ध बनाता है
मरकुस 7 : 21 (ERVHI)
क्योंकि मनुष्य के हृदय के भीतर से ही बुरे विचार और अनैतिक कार्य, चोरी, हत्या,
मरकुस 7 : 22 (ERVHI)
व्यभिचार, लालच, दुष्टता, छल-कपट, अभद्रता, ईर्ष्या, चुगलखोरी, अहंकार और मूर्खता बाहर आते हैं।
मरकुस 7 : 23 (ERVHI)
ये सब बुरी बातें भीतर से आती हैं और व्यक्ति को अशुद्ध बना देती हैं।” [PE][PS]
मरकुस 7 : 24 (ERVHI)
{ग़ैर यहूदी महिला को सहायता} (मत्ती 15:21-28) [PS] फिर यीशु ने वह स्थान छोड़ दिया और सूर के आस-पास के प्रदेश को चल पड़ा। वहाँ वह एक घर में गया। वह नहीं चाहता था कि किसी को भी उसके आने का पता चले। किन्तु वह अपनी उपस्थिति को छुपा नहीं सका।
मरकुस 7 : 25 (ERVHI)
वास्तव में एक स्त्री जिसकी लड़की में दुष्ट आत्मा का निवास था, यीशु के बारे में सुन कर तत्काल उसके पास आयी और उसके पैरों में गिर पड़ी।
मरकुस 7 : 26 (ERVHI)
यह स्त्री यूनानी थी और सीरिया के फिनीकी में पैदा हुई थी। उसने अपनी बेटी में से दुष्टात्मा को निकालने के लिये यीशु से प्रार्थना की। [PE][PS]
मरकुस 7 : 27 (ERVHI)
यीशु ने उससे कहा, “पहले बच्चों को तृप्त हो लेने दे क्योंकि बच्चों की रोटी लेकर उसे कुत्तों के आगे फेंक देना ठीक नहीं है।” [PE][PS]
मरकुस 7 : 28 (ERVHI)
स्त्री ने उससे उत्तर में कहा, “प्रभु कुत्ते भी तो मेज़ के नीचे बच्चों के खाते समय गिरे चूरचार को खा लेते हैं।” [PE][PS]
मरकुस 7 : 29 (ERVHI)
फिर यीशु ने उससे कहा, “इस उत्तर के कारण, तू चैन से अपने घर जा सकती है। दुष्टात्मा तेरी बेटी को छोड़ बाहर जा चुकी है।” [PE][PS]
मरकुस 7 : 30 (ERVHI)
सो वह घर चल दी और अपनी बच्ची को खाट पर सोते पाया। तब तक दुष्टात्मा उससे निकल चुकी थी। [PS]
मरकुस 7 : 31 (ERVHI)
{बहरा गूँगा सुनने} [PS] फिर वह सूर के इलाके से वापस आ गया और दिकपुलिस यानी दस-नगर के रास्ते सिदोन होता हुआ झील गलील पहुँचा।
मरकुस 7 : 32 (ERVHI)
वहाँ कुछ लोग यीशु के पास एक व्यक्ति को लाये जो बहरा था और ठीक से बोल भी नहीं पाता था। लोगों ने यीशु से प्रार्थना की कि वह उस पर अपना हाथ रख दे। [PE][PS]
मरकुस 7 : 33 (ERVHI)
यीशु उसे भीड़ से दूर एक तरफ़ ले गया। यीशु ने अपनी उँगलियाँ उसके कानों में डालीं और फिर उसने थूका और उस व्यक्ति की जीभ छुई।
मरकुस 7 : 34 (ERVHI)
फिर स्वर्ग की ओर ऊपर देख कर गहरी साँस भरते हुए उससे कहा, “इप्फतह।” (अर्थात् “खुल जा!”)
मरकुस 7 : 35 (ERVHI)
और उसके कान खुल गए, और उसकी जीभ की गांठ भी खुल गई, और वह साफ साफ बोलने लगा। [PE][PS]
मरकुस 7 : 36 (ERVHI)
फिर यीशु ने उन्हें आज्ञा दी कि वे किसी को कुछ न बतायें। पर उसने लोगों को जितना रोकना चाहा, उन्होंने उसे उतना ही अधिक फैलाया।
मरकुस 7 : 37 (ERVHI)
लोग आश्चर्यचकित होकर कहने लगे, “यीशु जो करता है, भला करता है। यहाँ तक कि वह बहरों को सुनने की शक्ति और गूँगों को बोली देता है।” [PE]

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37

BG:

Opacity:

Color:


Size:


Font: