नीतिवचन 2 : 1 (ERVHI)
बुद्धि के नैतिक लाभ हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे बोध वचनों को ग्रहण करे और मेरे आदेश मन में संचित करे,

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22