भजन संहिता 2 : 1 (ERVHI)
दूसरे देशों के लोग क्यों इतनी हुल्लड़ मचाते हैं और लोग व्यर्थ ही क्यों षड़यन्त्र रचते हैं
भजन संहिता 2 : 2 (ERVHI)
ऐसे दशों के राजा और नेता यहोवा और उसके चुने हुए राजा के विरुद्ध होने को आपस में एक हो जाते हैं।
भजन संहिता 2 : 3 (ERVHI)
वे नेता कहते हैं, “आओ परमेश्वर से और उस राजा से जिसको उसने चुना है, हम सब विद्रोह करें। आओ उनके बन्धनों को हम उतार फेंके।”
भजन संहिता 2 : 4 (ERVHI)
किन्तु मेरा स्वामी, स्वर्ग का राजा, उन लोगों पर हँसता है।
भजन संहिता 2 : 5 (ERVHI)
परमेश्वर क्रोधित है और यही उन नेताओं को भयभीत करता है।
भजन संहिता 2 : 6 (ERVHI)
वह उन से कहता है,“मैंने इस पुरुष को राजा बनने के लिये चुना है। वह सिय्योन पर्वत पर राज करेगा। सिय्योन मेरा विशेष पर्वत है।”
भजन संहिता 2 : 7 (ERVHI)
अब मै यहोवा की वाचा के बारे में तुझे बताता हूँ। यहोवा ने मुझसे कहा था, “आज मैं तेरा पिता बनता हूँ और तू आज मेरा पुत्र बन गया है।
भजन संहिता 2 : 8 (ERVHI)
यदि तू मुझसे माँगे, तो इन देशों को मैं तुझे दे दूँगा और इस धरती के सभी जन तेरे हो जायेंगे।
भजन संहिता 2 : 9 (ERVHI)
तेरे पास उन देशों को नष्ट करने की वैसी ही शक्ति होगी जैसे किसी मिट्टी के पात्र को कोई लौह दण्ड से चूर चूर कर दे।”
भजन संहिता 2 : 10 (ERVHI)
इसलिए, हे राजाओं, तुम बुद्धिमान बनो। हे शासकों, तुम इस पाठ को सीखो।
भजन संहिता 2 : 11 (ERVHI)
तुम अति भय से यहोवा की आज्ञा मानों।
भजन संहिता 2 : 12 (ERVHI)
स्वयं को परमेश्वर के पुत्र का विश्वासपात्र दिखओ। यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो वह क्रोधित होगा और तुम्हें नष्ट कर देगा। जो लोग यहोवा में आस्था रखते हैं वे आनन्दित रहते हैं, किन्तु अन्य लोगों को सावधान रहना चाहिए। यहोवा अपना क्रोध बस दिखाने ही वाला है।
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