भजन संहिता 31 : 1 (ERVHI)
हे यहोवा, मैं तेरे भरोसे हूँ, [QBR2] मुझे निराश मत कर। [QBR2] मुझ पर कृपालु हो और मेरी रक्षा कर। [QBR]
भजन संहिता 31 : 2 (ERVHI)
हे यहोवा, मेरी सुन, [QBR2] और तू शीघ्र आकर मुझको बचा ले। [QBR] मेरी चट्टान बन जा, मेरा सुरक्षा बन। [QBR2] मेरा गढ़ बन जा, मेरी रक्षा कर! [QBR]
भजन संहिता 31 : 3 (ERVHI)
हे परमेश्वर, तू मेरी चट्टान है, [QBR2] सो अपने निज नाम हेतु मुझको राह दिखा और मेरी अगुवाई कर। [QBR]
भजन संहिता 31 : 4 (ERVHI)
मेरे लिए मेरे शत्रुओं ने जाल फैलाया है। [QBR2] उनके फँदे से तू मुझको बचा ले, क्योंकि तू मेरा सुरक्षास्थल है। [QBR]
भजन संहिता 31 : 5 (ERVHI)
हे परमेश्वर यहोवा, मैं तो तुझ पर भरोसा कर सकता हूँ। [QBR2] मैं मेरा जीवन तेरे हाथ में सौपता हूँ। [QBR2] मेरी रक्षा कर! [QBR]
भजन संहिता 31 : 6 (ERVHI)
जो मिथ्या देवों को पूजते रहते हैं, उन लोगों से मुझे घृणा है। [QBR2] मैं तो बस यहोवा में विश्वास रखता हूँ। [QBR]
भजन संहिता 31 : 7 (ERVHI)
हे यहोवा, तेरी करुणा मुझको अति आनन्दित करती है। [QBR2] तूने मेरे दु:खों को देख लिया [QBR2] और तू मेरे पीड़ाओं के विषय में जानता है। [QBR]
भजन संहिता 31 : 8 (ERVHI)
तू मेरे शत्रुओं को मुझ पर भारी पड़ने नहीं देगा। [QBR2] तू मुझे उनके फँदों से छुडाएगा। [QBR]
भजन संहिता 31 : 9 (ERVHI)
हे यहोवा, मुझ पर अनेक संकट हैं। सो मुझ पर कृपा कर। [QBR2] मैं इतना व्याकुल हूँ कि मेरी आँखें दु:ख रही हैं। [QBR2] मेरे गला और पेट पीड़ित हो रहे हैं। [QBR]
भजन संहिता 31 : 10 (ERVHI)
मेरा जीवन का अंत दु:ख में हो रहा है। [QBR2] मेरे वर्ष आहों में बीतते जाते हैं। [QBR] मेरी वेदनाएँ मेरी शक्ति को निचोड़ रही हैं। [QBR2] मेरा बल मेरा साथ छोड़ता जा रहा है। [QBR]
भजन संहिता 31 : 11 (ERVHI)
मेरे शत्रु मुझसे घृणा रखते हैं। [QBR2] मेरे पड़ोसी मेरे बैरी बने हैं। [QBR] मेरे सभी सम्बन्धी मुझे राह में देख कर [QBR2] मुझसे डर जाते हैं [QBR2] और मुझसे वे सब कतराते हैं। [QBR]
भजन संहिता 31 : 12 (ERVHI)
मुझको लोग पूरी तरह से भूल चुके हैं। [QBR2] मैं तो किसी खोये औजार सा हो गया हूँ। [QBR]
भजन संहिता 31 : 13 (ERVHI)
मैं उन भयंकर बातों को सुनता हूँ जो लोग मेरे विषय में करते हैं। [QBR2] वे सभी लोग मेरे विरुद्ध हो गए हैं। वे मुझे मार डालने की योजनाएँ रचते हैं।
भजन संहिता 31 : 14 (ERVHI)
हे यहोवा, मेरा भरोसा तुझ पर है। [QBR2] तू मेरा परमेश्वर है। [QBR]
भजन संहिता 31 : 15 (ERVHI)
मेरा जीवन तेरे हाथों में है। मेरे शत्रुओं से मुझको बचा ले। [QBR2] उन लोगों से मेरी रक्षा कर, जो मेरे पीछे पड़े हैं। [QBR]
भजन संहिता 31 : 16 (ERVHI)
कृपा करके अपने दास को अपना ले। [QBR2] मुझ पर दया कर और मेरी रक्षा कर! [QBR]
भजन संहिता 31 : 17 (ERVHI)
हे यहोवा, मैंने तेरी विनती की। [QBR2] इसलिए मैं निराश नहीं होऊँगा। [QBR] बुरे मनुष्य तो निराश हो जाएँगे। [QBR2] और वे कब्र में नीरव चले जाएँगे। [QBR]
भजन संहिता 31 : 18 (ERVHI)
दुर्जन डींग हाँकते हैं [QBR2] और सज्जनों के विषय में झूठ बोलते हैं। [QBR] वे दुर्जन बहुत ही अभिमानी होते हैं। [QBR2] किन्तु उनके होंठ जो झूठ बोलते रहते हैं, शब्द हीन होंगे।
भजन संहिता 31 : 19 (ERVHI)
हे परमेश्वर, तूने अपने भक्तों के लिए बहुत सी अदूभुत वस्तुएँ छिपा कर रखी हैं। [QBR2] तू सबके सामने ऐसे मनुष्यों के लिए जो तेरे विश्वासी हैं, भले काम करता है। [QBR]
भजन संहिता 31 : 20 (ERVHI)
दुर्जन सज्जनों को हानि पहुँचाने के लिए जुट जाते हैं। [QBR2] वे दुर्जन लड़ाई भड़काने का जतन करते हैं। [QBR2] किन्तु तू सज्जनों को उनसे छिपा लेता है, और उन्हें बचा लेता है। तू सज्जनों की रक्षा अपनी शरण में करता है। [QBR]
भजन संहिता 31 : 21 (ERVHI)
यहोवा कि स्तुति करो! जब नगर को शत्रुओं ने घेर रखा था, [QBR2] तब उसने अपना सच्चा प्रेम अद्भुत रीति से दिखाया। [QBR]
भजन संहिता 31 : 22 (ERVHI)
मैं भयभीत था, और मैंने कहा था, “मैं तो ऐसे स्थान पर हूँ जहाँ मुझे परमेश्वर नहीं देख सकता है।” [QBR2] किन्तु हे परमेश्वर, मैंने तुझसे विनती की और तूने मेरी सहायता की पुकार सुन ली।
भजन संहिता 31 : 23 (ERVHI)
के भक्तों, तुम को यहोवा से प्रेम करना चाहिए! [QBR2] यहोवा उन लोगों को जो उसके प्रति सच्चे हैं, रक्षा करता है। [QBR] किन्तु यहोवा उनको जो अपनी ताकत की ढोल पीटते है। [QBR2] उनको वह वैसा दण्ड देता है, जैसा दण्ड उनको मिलना चाहिए। [QBR]
भजन संहिता 31 : 24 (ERVHI)
अरे ओ मनुष्यों जो यहोवा की सहायता की प्रतीक्षा करते हो, सुदृढ़ और साहसी बनो! [PE]
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