भजन संहिता 51 : 1 (ERVHI)
हे परमेश्वर, अपनी विशाल प्रेमपूर्ण [QBR2] अपनी करूण से [QBR] मुझ पर दया कर। [QBR2] मेरे सभी पापों को तू मिटा दे। [QBR]
भजन संहिता 51 : 2 (ERVHI)
हे परमेश्वर, मेरे अपराध मुझसे दूर कर। [QBR2] मेरे पाप धो डाल, और फिर से तू मुझको स्वच्छ बना दे। [QBR]
भजन संहिता 51 : 3 (ERVHI)
मैं जानता हूँ, जो पाप मैंने किया है। [QBR2] मैं अपने पापों को सदा अपने सामने देखता हूँ। [QBR]
भजन संहिता 51 : 4 (ERVHI)
है परमेश्वर, मैंने वही काम किये जिनको तूने बुरा कहा। [QBR2] तू वही है, जिसके विरूद्ध मैंने पाप किये। [QBR] मैं स्वीकार करता हूँ इन बातों को, [QBR2] ताकि लोग जान जाये कि मैं पापी हूँ और तू न्यायपूर्ण है, [QBR2] तथा तेरे निर्णय निष्पक्ष होते हैं। [QBR]
भजन संहिता 51 : 5 (ERVHI)
मैं पाप से जन्मा, [QBR2] मेरी माता ने मुझको पाप से गर्भ में धारण किया। [QBR]
भजन संहिता 51 : 6 (ERVHI)
हे परमेश्वर, तू चाहता है, हम विश्वासी बनें। और मैं निर्भय हो जाऊँ। [QBR2] इसलिए तू मुझको सच्चे विवेक से रहस्यों की शिक्षा दे। [QBR]
भजन संहिता 51 : 7 (ERVHI)
तू मुझे विधि विधान के साथ, जूफा के पौधे का प्रयोग कर के पवित्र कर। [QBR2] तब तक मुझे तू धो, जब तक मैं हिम से अधिक उज्जवल न हो जाऊँ। [QBR]
भजन संहिता 51 : 8 (ERVHI)
मुझे प्रसन्न बना दे। बता दे मुझे कि कैसे प्रसन्न बनूँ मेरी वे हडिडयाँ जो तूने तोड़ी, [QBR2] फिर आनन्द से भर जायें। [QBR]
भजन संहिता 51 : 9 (ERVHI)
मेरे पापों को मत देख। [QBR2] उन सबको धो डाल। [QBR]
भजन संहिता 51 : 10 (ERVHI)
परमेश्वर, तू मेरा मन पवित्र कर दे। [QBR2] मेरी आत्मा को फिर सुदृढ कर दे। [QBR]
भजन संहिता 51 : 11 (ERVHI)
अपनी पवित्र आत्मा को मुझसे मत दूर हटा, [QBR2] और मुझसे मत छीन। [QBR]
भजन संहिता 51 : 12 (ERVHI)
वह उल्लास जो तुझसे आता है, मुझमें भर जायें। [QBR2] मेरा चित अडिग और तत्पर कर सुरक्षित होने को [QBR2] और तेरा आदेश मानने को। [QBR]
भजन संहिता 51 : 13 (ERVHI)
मैं पापियों को तेरी जीवन विधि सिखाऊँगा, [QBR2] जिससे वे लौट कर तेरे पास आयेंगे। [QBR]
भजन संहिता 51 : 14 (ERVHI)
हे परमेश्वर, तू मुझे हत्या का दोषी कभी मत बनने दें। [QBR2] मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता, [QBR] मुझे गाने दे कि तू कितना उत्तम है [QBR2]
भजन संहिता 51 : 15 (ERVHI)
हे मेरे स्वामी, मुझे मेरा मुँह खोलने दे कि मैं तेरे प्रसंसा का गीत गाऊँ। [QBR]
भजन संहिता 51 : 16 (ERVHI)
जो बलियाँ तुझे नहीं भाती सो मुझे चढ़ानी नहीं है। [QBR2] वे बलियाँ तुझे वाँछित तक नहीं हैं। [QBR]
भजन संहिता 51 : 17 (ERVHI)
हे परमेश्वर, मेरी टूटी आत्मा ही तेरे लिए मेरी बलि हैं। [QBR2] हे परमेश्वर, तू एक कुचले और टूटे हृदय से कभी मुख नहीं मोड़ेगा।
भजन संहिता 51 : 18 (ERVHI)
हे परमेश्वर, सिय्योन के प्रति दयालु होकर, उत्तम बन। [QBR2] तू यरूशलेम के नगर के परकोटे का निर्माण कर। [QBR]
भजन संहिता 51 : 19 (ERVHI)
तू उत्तम बलियों का [QBR2] और सम्पूर्ण होमबलियों का आनन्द लेगा। [QBR2] लोग फिर से तेरी वेदी पर बैलों की बलियाँ चढ़ायेंगे। [PE]

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