भजन संहिता 64 : 1 (ERVHI)
हे परमेश्वर, मेरी सुन! [QBR2] मैं अपने शत्रुओं से भयभीत हूँ। मैं अपने जीवन के लिए डरा हुआ हूँ। [QBR]
भजन संहिता 64 : 2 (ERVHI)
तू मुझको मेरे शत्रुओं के गहरे षड़यन्त्रों से बचा ले। [QBR2] मुझको तू उन दुष्ट लोगों से छिपा ले। [QBR]
भजन संहिता 64 : 3 (ERVHI)
मेरे विषय में उन्होंने बहुत बुरा झूठ बोला है। [QBR2] उनकी जीभे तेज तलवार सी और उनके कटुशब्द बाणों से हैं। [QBR]
भजन संहिता 64 : 4 (ERVHI)
वे छिप जाते हैं, और अपने बाणों का प्रहार सरल सच्चे जन पर फिर करते हैं। [QBR2] इसके पहले कि उसको पता चले, वह घायल हो जाता है। [QBR]
भजन संहिता 64 : 5 (ERVHI)
उसको हराने को बुरे काम करते हैं। [QBR2] वे झूठ बोलते और अपने जाल फैलाते हैं। और वे सुनिश्चित हैं कि उन्हें कोई नहीं पकड़ेगा। [QBR]
भजन संहिता 64 : 6 (ERVHI)
लोग बहुत कुटिल हो सकते हैं। [QBR2] वे लोग क्या सोच रहे हैं [QBR] इसका समझ पाना कठिन है। [QBR]
भजन संहिता 64 : 7 (ERVHI)
किन्तु परमेश्वर निज “बाण” मार सकता है! [QBR2] और इसके पहले कि उनको पता चले, वे दुष्ट लोग घायल हो जाते हैं। [QBR]
भजन संहिता 64 : 8 (ERVHI)
दुष्ट जन दूसरों के साथ बुरा करने की योजना बनाते हैं। [QBR2] किन्तु परमेश्वर उनके कुचक्रों को चौपट कर सकता है। [QBR] वह उन बुरी बातों कों स्वयं उनके ऊपर घटा देता है। [QBR2] फिर हर कोई जो उन्हें देखता अचरज से भरकर अपना सिर हिलाता है। [QBR]
भजन संहिता 64 : 9 (ERVHI)
जो परमेश्वर ने किया है, लोग उन बातों को देखेंगे [QBR2] और वे उन बातों का वर्णन दूसरो से करेंगे, [QBR] फिर तो हर कोई परमेश्वर के विषय में और अधिक जानेगा। [QBR2] वे उसका आदर करना और डरना सीखेंगे। [QBR]
भजन संहिता 64 : 10 (ERVHI)
सज्जनों को चाहिए कि वे यहोवा में प्रसन्न हो। [QBR2] वे उस पर भरोसा रखे। [QBR] अरे! ओ सज्जनों! तुम सभी यहोवा के गुण गाओ। [PE]
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