भजन संहिता 75 : 1 (ERVHI)
*‘नष्ट मत कर’ नामक धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीत। *हे परमेश्वर, हम तेरी प्रशंसा करते हैं! हम तेरे नाम का गुणगान करते हैं! तू समीप है और लोग तेरे उन अद्भत कर्मो का जिनको तू करता है, बखान करते हैं।
भजन संहिता 75 : 2 (ERVHI)
परमेश्वर, कहता है, “मैंने न्याय का समय चुन लिया, मैं निष्पक्ष होकर के न्याय करूँगा।
भजन संहिता 75 : 3 (ERVHI)
धरती और धरती की हर वस्तु डगमगा सकती है और गिरने को तैयार हो सकती है, किन्तु मैं ही उसे स्थिर रखता हूँ।
भजन संहिता 75 : 4 (ERVHI)
“कुछ लोग बहुत ही अभिमानी होते हैं, वे सोचते रहते है कि वे बहुत शाक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण है।
भजन संहिता 75 : 5 (ERVHI)
लेकिन उन लोगों को बता दो, ‘डींग मत हाँकों!’ ‘तने अभिमानी मतबने रह!’ ”
भजन संहिता 75 : 6 (ERVHI)
इस धरती पर सचुमच, कोई भी मनुष्य नीच को महान नहीं बना सकता।
भजन संहिता 75 : 7 (ERVHI)
परमेश्वर न्याय करता है। परमेश्वर इसका निर्णय करता है कि कौन व्यक्ति महान होगा। परमेश्वर ही किसी व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण पद पर बिठाता है। और किसी दूसरे को निची दशा में पहुँचाता है।
भजन संहिता 75 : 8 (ERVHI)
परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देने को तत्पर है। परमेश्वर के पास विष मिला हुआ मधु पात्र है। परमेश्वर इस दाखमधु (दण्ड) को उण्डेलता है और दुष्ट जन उसे अंतिम बूँद तक पीते हैं।
भजन संहिता 75 : 9 (ERVHI)
मैं लोगों से इन बातों का सदा बखान करूँगा। मैं इस्राएल के परमेश्वर के गुण गाऊँगा।
भजन संहिता 75 : 10 (ERVHI)
मैं दुष्ट लोगों की शक्ति को छीन लूँगा, और मैं सज्जनों को शक्ति दूँगा।
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